राजस्थान का यह Jaisalmer Fort India है। जीवंत दुर्गों में से एक। जहां आज भी निवास करती है। भगवान श्री कृष्ण की 159वीं पीढ़ी। जिसे कहते है एक प्राचीन दुर्ग.
1 जैसलमेर दुर्ग का परिचय | Jaisalmer Fort India

मैंने 2023 में पहली बार Jaisalmer Fort India की यात्रा की। मैंने स्थानीय गाइड से इस किले के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जाना। राजस्थान के जैसलमेर में, जिसे हम “गोल्डन सिटी” कहते हैं, यह भव्य “जैसलमेर दुर्ग” है। यहां के राजा ने इसे “जैसल+मेरु” पर्वत पर बनवाया, इसलिए इसे Jaisalmer Fort India भी कहा जाता है। इसके अन्य नाम सोनार किला, सोनारगढ़, गोल्डन दुर्ग और गलियों का दुर्ग हैं।
यह किला जीवंत और दुनिया के सबसे पुराने बसे दुर्गों में से एक है। जैसलमेर दुर्ग का निर्माण 12 जुलाई, 1156 ई. पू. को हुआ। इसे भाटी राजा “रावल जैसल” ने बनवाया, जो श्री कृष्ण के 116वें वंशज थे। इसके निर्माण में लगभग 7 साल लगे।
Jaisalmer Fort India चित्तौड़गढ़ फोर्ट के बाद सबसे बड़ा लिविंग किला है। यह इतिहास में सबसे पुराना दुर्ग भी है। यह व्यापारिक मार्गों, जैसे सिल्क रोड, के संगम पर स्थित था, इसलिए इसे रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया।
आज भी यह राजस्थान के अंतिम भाग में है, इसलिए इसे राजस्थान का अंडमान कहा जाता है। इसके चारों ओर मरुस्थल होने के बावजूद, Jaisalmer Fort India को धान्वन किला भी कहा गया है। पाकिस्तान की सीमा यहां से केवल 150 किलोमीटर दूर है, और जैसलमेर किले से कुलधरा गांव जैसलमेर की दूरी 18 किलोमीटर है।
2. जैसलमेर किले के लोगों का वर्णन

स्थानीय जानकारी के अनुसार, मैं Jaisalmer Fort India में हूँ। और में देखता हु. की यह आज भी कई लोगों का निवास स्थान है। यहाँ की जनसंख्या लगभग 3,000 है। इनमें से 75% ब्राह्मण और 25% राजपूत हैं। यहाँ के राजपूतों की वंशावली भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी है। वर्तमान में, 159वीं पीढ़ी यहाँ निवास करती है। इसके अलावा, 44वीं पीढ़ी राजपूतों की रावल जैसल के बाद यहाँ रहती है।
अब, Jaisalmer Fort India के राजा “महारावल चैतन्य राज सिंह” हैं। उनका राज्याभिषेक जनवरी 2021 में जैसलमेर दुर्ग (सोनार दुर्ग) में हुआ। वह जैसलमेर दुर्ग के 44वें महारावल हैं। अपनी गद्दी संभालने से पहले, उन्होंने अपनी कुलदेवी और जैसलमेर के आराध्य देव लक्ष्मीनाथ भगवान के दर्शन किए।
3. जैसलमेर किले के प्रमुख स्थल, अन्य जगहें
3.1 म्यूजियम ( राजा रानी का महल ) | Jaisalmer Fort India museum

Jaisalmer Fort India के म्यूजियम में प्रवेश करते ही मुझे टिकिट लेना होता है। वहाँ मैं शस्त्रालय में विभिन्न प्रकार के शस्त्र देखता हूँ।
कांच के बड़े बॉक्स में जैसलमेर किले के सैनिकों के हेलमेट, नेपाली खुकरी, तलवारें, गुप्ति, हंटर, भाले की नोक, अंकुश, बारूद की कुपये, संगीन आदि रखे हैं। दीवार पर 5 अलग-अलग प्रकार की टोपीदार बंदूकें टंगी हैं, जो बारूद से चलती थीं।
एक स्टैंड गन खिड़की के पास रखी है, और वहाँ मुझे गुप्त सुरंग भी नजर आती है। त्रिपोलिया (तीन गेट वाले रूम) में गुप्त लोकअप दिखाई देता है। दीवार पर Jaisalmer Fort India के पहले राजा “रावल जैसल” और अन्य राजाओं की मूर्तियां हैं। यहाँ राजाओं की लगभग 159 पीढ़ियों की लिस्ट दीवार पर है।
एक कक्ष में लकड़ी से बने घोड़े की प्रतिमा स्थापित है, जिसे काट का घोड़ा कहते हैं। इसकी कहावत “घोड़ा किजिए काट का पिंड किजिए पाषाण, बक्तर किजिए लोहे का तब देखो जेशाना” काफी लोकप्रिय है।
एक कांच के बॉक्स में Jaisalmer Fort India की विभिन्न प्राचीन मूर्तियां हैं। इनमें विकुंगगुप्त का कुंदक नृत्य और मर्यादा पुरुषोत्तम राम भगवान की काल्पनिक मूर्ति शामिल हैं।
में देखता हु. की एक मूर्ति में महिला अपने सिंदूर में मांग भरती हुई दिखती है। एक और मूर्ति में महिला अपने बाल संवारती है, जबकि वह पत्र लिख रही है। एक मूर्ति में नृत्यांगना मंजीरे हाथ में लिए है। एक अन्य मूर्ति में नृत्य करती महिला तोते के जरिए संदेश भेजती है।
एक मूर्ति में मां अपने बच्चे को देखती है। एक और मूर्ति में राधिका बांसुरी बजाते हुए श्री कृष्ण को याद करती है। एक मूर्ति में विष्णु भगवान के ब्राह्मण अवतार हैं, वहीं एक मूर्ति माता सरस्वती की है।

एक कक्ष में “दीवाने जजए आम” है, जहाँ राजा जनता के हित की बात करते थे। कक्ष नंबर 18 में महारावल सालेमान सिंह की ड्रेस, सोफा, कुर्सी, और खाने-पीने के चांदी के बर्तन रखे हैं।
यह कक्ष पूरी तरह से चांदी से बना है। यहाँ पुराने जमाने के टॉयलेट हैं। यहाँ पानी की टंकी और वेंटिलेशन भी है। जैसलमेर किले का दीवान खाना है, जहाँ दरवाजे का साइज छोटा है। ऐसा इसलिए ताकि कोई राजा से मिलने आए तो सिर झुकाकर आए। यहाँ राजा का सिंहासन है, और पास में उनकी छतरी, तलवार रखी गई है।
Jaisalmer Fort India के एक बड़े कांच में माता गणगौर देवी की मूर्ति है, जो माता पार्वती का स्वरूप है। जैसलमेर किले के बाहर पत्थर पर पूरे किले का नक्शा है, जो लगभग 100 साल पुराना है।
यह नक्शा मजदूरों द्वारा छेनी और हथौड़े से बनाया गया है। एक कक्ष में राजस्थानी पुरुष (सफेद धोती, साल के साथ) और महिला (लाल साड़ी के साथ) की पोशाक है। एक विशाल गलियारे में रानियों के विभिन्न कमरे हैं, जैसे रूप महल (ब्यूटी पार्लर) और लोक संगीत कक्ष।
एक बड़े कक्ष में जैसलमेर किले की प्राचीन तस्वीरें हैं। यहाँ मर्चीशीट की हवेली, जावड़ निवास होटल, सज्जित हेलीफेंट, और पटवा हवेली की तस्वीरें हैं।
मई में अमरसागर लेक के सूखने, पुरानी गलियों, और अमरसागर जैन मंदिर की तस्वीरें भी हैं। अंतिम सूर्य की रोशनी में Jaisalmer Fort India, राजाओं के सजते हुए घोड़े, और बरसात के पानी से भरे अमरसागर का चित्र भी यहाँ है।
सजते धजते ऊंट, जैसलमेर किले के गज विलास, पुरानी बेलगाड़ियों और पालकियों की तस्वीरें भी यहाँ स्थित हैं।
3.2 जैसलमेर दुर्ग के 8 जैन मंदिर

मैं जैसलमेर किले के जैन मंदिरों के बारे में सोचता हूँ, जहाँ लगभग 6666 मूर्तियाँ स्थापित हैं। इन आठ मंदिरों में 24 तीर्थांकरों की मूर्तियाँ हैं। कहा जाता है कि इनका निर्माण 1400 ई. पू. में हुआ था।
यहाँ मूलनायक, चिंतामणि पार्श्वनाथ, ऋषभदेव, चंद्रप्रभु, शांतिनाथ, संभवनाथ, कुंतुनाथ, महावीरस्वामी, और सीमांदरस्वामी के मंदिर स्थित हैं। इन मंदिरों की मुख्य मूर्तियों की पहचान करने के लिए कलर और चिह्न का उपयोग किया गया है।
Jaisalmer Fort India के मंदिरों में नागर शैली का उत्कृष्ट उदाहरण देखने को मिलता है। ये मंदिर पीले बलुआ पत्थर से बने हैं, और कई जगह हमें सफेद तथा अन्य मार्बल भी देखने को मिलते हैं। मंदिरों की छतें गोलाकार आकृति में बनाई गई हैं, जो नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे की ओर बढ़ती हैं। कॉलम भी गोलाकार आकृति में हैं।
अर्थात, सभी मंदिरों के पत्थरों को मजदूरों द्वारा आकर्षक डिजाइन दिया गया है। इनमें विभिन्न कलाकृतियों का उपयोग किया गया है, जैसे फूल, मनुष्य, जानवर, और भगवान के चित्र। इनकी दिखावट सुंदर, चमकदार है और ये पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
Jaisalmer Fort India में, दो पत्थरों को आपस में जोड़कर खड़ा किया गया है, और पत्थरों के बीच विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ प्रदर्शित की गई हैं।
3.3 जैसलमेर दुर्ग का दशहरा चोक

मैं जब दुर्ग के अंतिम गेट हवा पोल के बाद पहुँचता हूँ, तो Jaisalmer Fort India का मुख्य चौराहा, दशहरा चोक, मेरी नजर में आता है। इसे महाराजा रतन सिंह ने बनवाया था। यहाँ कई प्रकार की दुकानें और वाहन ले जाने की सुविधा उपलब्ध है। यहाँ से दुर्ग चार भागों में विभाजित हो जाता है। इस स्थान पर दशहरा का पर्व मनाया जाता था।
मुझे बाई ओर माता चामुण्डा देवी का मंदिर देखने को मिलता है. जहाँ आज भी पूजा-अर्चना होती है। यहाँ एक समय भैंस और बकरों की बलि दी जाती थी. लेकिन 1994 में इंदिरा गांधी के आगमन के बाद बलि प्रथा को बंद कर दिया गया था।
आगे बढ़ने पर, मुझे Jaisalmer Fort India का सफेद सिंहासन दिखाई देता है, जहाँ कभी राजा रतन की बैठक होती थी। राजा रतन सिंह के अलावा उनके उत्तराधिकारी भी यहाँ बैठा करते थे। सामने राजा का महल है, जिसकी बाहरी खिड़कियाँ खुली हैं। दाईं ओर रानी का महल है, जो बाहर से पूरी तरह ढका हुआ है। राजा की घुड़साला भी इसी के निकट है, जहाँ वह घुड़सवारी और निशानेबाजी सीखा करते थे।
3.4 जैसलमेर दुर्ग के कुछ और अन्य स्थल
Jaisalmer Fort India के पश्चिम में अमरसागर है। इसके अलावा रंग महल, मोती महल, जवाहर विलास महल, बादल महल, गज विलास, अंतपुर के कलात्मक जरोखे, भगवती देवी का मंदिर, और सात मंदिर का भव्य राज महल भी यहाँ उपस्थित हैं। किले में जेसुल का कुआँ भी है।
4. जैसलमेर दुर्ग का निर्माण, वास्तुकला

Jaisalmer Fort India की पहली नींव रखने का काम यहाँ के पहले राजा “रावल जैसल” ने किया था. और इसे अपनी राजधानी घोषित किया। इसके बाद जितने भी नए राजा बने, सभी ने किले के निर्माण में अपना योगदान दिया। जैसलमेर दुर्ग में बिना किसी चुने, पानी या सीमेंट का उपयोग किए, दो पत्थरों को तांबे की सहायता से जोड़ा गया है।
चूँकि चुने के इस्तेमाल में पानी की आवश्यकता होती है, और रेगिस्तान में पानी की कमी के कारण, इसके निर्माण में केवल पत्थर का उपयोग किया गया था। एक पत्थर के ऊपर एक पत्थर को रखा गया है, जो रोशनी में सोने की तरह चमकता है। इसी वजह से इसे गोल्डन किला (सोनारगढ़ का दुर्ग) भी कहा जाता है।
Jaisalmer Fort India में हमें इस्लामिक और राजस्थानी वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है। इसे राजस्थान का सबसे सुंदर किला माना जाता है, जो त्रिकुटा पर्वत की ऊँचाई पर गर्व से स्थित है।
इस पहाड़ी की चौड़ाई 750 फीट और लंबाई 150 फीट है। किले का अंदरूनी स्थान काफी बड़ा है, जहाँ अनेक गलियारे भी हैं। यह अद्भुत दुर्ग किसी वास्तुशिल्प आश्चर्य से कम नहीं है, क्योंकि यहाँ के घर, महल और हवेलियाँ पीले पत्थर से बनाए गए हैं।
मैंने जैसलमेर किले की छतों पर लकड़ी का इस्तेमाल देखा। नीचे के हिस्से में इसे लेप किया गया है। इससे गर्मी में ठंडक और सर्दी में गर्माहट मिलती है। यहां के अधिकतर गेट छोटे हैं। यह विनाशकारी दुश्मनों का सामना करने में मदद करते हैं। कॉलम का आकार गोल है। उन पर छेनी और हतोड़े से सुंदर डिज़ाइन बनाए गए हैं।
मेने अपने Jaisalmer Fort India के 2023 के दौरे पर किले की 30 फीट लंबी दीवारें देखी, जो सुरक्षा का अहसास कराती हैं। किले की सुरक्षा के लिए तीन मुख्य दीवारें हैं। बाहरी और निचली परत ठोस पत्थरों से बनी हैं।
पहली दीवार परकोटा, दूसरी मोरी और तीसरी बुर्ज के रूप में है। दीवारों पर 50–55 किलों के विशाल पत्थर भी हैं। जैसल कुएं का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के सुरदर्शन चक्र से जुड़ा है। इसे अर्जुन की प्यास बुझाने के लिए खोदा गया था।
मेने देखा की Jaisalmer Fort India का पहला द्वार अखै द्वार कहलाता है. जिसे महारावल अखे सिंह द्वारा बनाया गया है। यह द्वार दुर्ग का खास आकर्षण है। यहां हमें नक्काशी देखने को मिलती है। सुरज द्वार, जिसे स्वागत गेट भी कहते हैं, राजा के युद्ध जीतने के बाद बनाया गया। इसके निकट बेरीसाल बुर्ज और सुके कुएं का निर्माण हुआ है।
मैंने अपनी आंखों से देखा. गणेश पॉल, जहां किले की पहली नींव रखी गई, और हवा पोल, जहां तेज हवा चलती है, इसके नाम का कारण है। इसके ऊपर महाराजा का पैलेस है, और दाईं ओर जरोखा है। यहां से राजा के सैनिक ड्रम बजाकर प्रजा को सूचित करते थे। इन दरवाजों का निर्माण 90° पर किया गया था।
जैसे ही मैं Jaisalmer Fort India के चारों तरफ देखता हूं, तो मुझे जैसलमेर किले के चारों ओर 99 बुर्ज देखने को मिलते हैं। 92 बुर्ज का निर्माण 1633 ई. पू. से 1647 ईस्वी के बीच हुआ था।
स्थानीय गाइड के मुताबिक, यहां से सैनिकों ने जैसलमेर दुर्ग की रक्षा की। यदि दुश्मन बुर्जों से प्रवेश कर जाता, तो उन पर गर्म तेल डाला जाता। यहां झंडा लगाने का कंपास भी है। इससे लहराते झंडे की दिशा देखी जाती थी। इसके बारे में मुझे किले के गाइड ने बताया।
5. जैसलमेर किले पर हुए आक्रमण
मेरे अध्ययनों के अनुसार जैसलमेर किला कई आक्रमणों का गवाह रहा है। मैं यहां कुछ महत्वपूर्ण आक्रमणों के बारे में जानना चाहता हूं।

पहला आक्रमण:- चलिए मैं आपको बताता हूं. कि यह बात लगभग 1294 ई. पू. की है. जब Jaisalmer Fort India पर पहला आक्रमण हुआ था. उस समय जैसलमेर दुर्ग के सिंहासन पर महारावल मूलराज जेतसिंह विराजमान थे। अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने आक्रमण किया।
किले के भीतर पुरुषों ने केसरिया बाना पहनकर लड़ाई के लिए तैयारी की। इसी बीच, महारानी रत्ना ने 22 हजार क्षत्राणियों के साथ जौहर कर लिया। महारावल को हार का सामना करना पड़ा।
दूसरा आक्रमण:- मेरे अध्ययन के मुताबिक दूसरा आक्रमण लगभग 1315 ई. पू. हुआ। उस समय महारावल दूदा तिलोक सिंह सिंहासन पर थे। फिरोज तुगलक ने आक्रमण किया। Jaisalmer Fort India की रक्षा के लिए वीर सैनिकों ने अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी। महारानी और 16,000 वीरांगनाओं ने जौहर किया।
तीसरा आक्रमण:- में देखता हूं कि तीसरा आक्रमणआक्रमण लगभग 1505 ई. पू. हुआ। उस समय राजा लूणकरण सिंह गद्दी पर थे। लूणकरण के अफगानी मित्र, अमीर अली पठान ने विश्वासघात किया और महाराजा को मार दिया।
1570 में यह दुर्ग बादशाह अकबर के अधीन चला गया। उस समय Jaisalmer Fort India के राजा ने अपनी बेटी की शादी अकबर के घर कर दी। किसी एक आक्रमण में मुझे पता चलता है. कि एक बार यहां राजपूतों ने दुश्मनों पर उबलता हुआ गर्म पानी और तेल फेंका।
6 जैसलमेर किले का भ्रमण ओर यात्रा का विवरण

मैंने Jaisalmer Fort India का भ्रमण किया, जो भारत के चार द्वारों – अखै पोल, सूरज द्वार, गणेश पोल, और हवा पोल से गुजरने के बाद मुख्य भाग चौराहा तक पहुँचता है। यहीं से दुर्ग कई हिस्सों में विभाजित हो जाता है। मैंने देखा कि दुर्ग में लगभग 30 होटल, 25 रेस्टोरेंट और 50-60 दुकानें हैं।
यह राजस्थान (भारत) में भ्रमण के लिए खूबसूरत जगहों में से एक मानी जाती है। किले की पीले पत्थरों से बनी दीवारें सूरज की रोशनी में चमकती हैं, जो इसे और भी आकर्षक बनाती हैं। यही वजह है कि यह दुर्ग पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।
Jaisalmer Fort India भारत का समय सोमवार से रविवार सुबह 9:00 से शाम 6:00 तक है। Jaisalmer Fort India का प्रवेश शुल्क (50 रूपए प्रति व्यक्ति) है, जबकि विदेशियों के लिए यह (250 रूपए प्रति व्यक्ति) है। मैंने कैमरा शुल्क (50 रूपए) और वीडियो कैमरा शुल्क (100 रूपए) भी चुकाए।
अधिक जानकारी के लिए, मैंने जैसलमेर किले की आधिकारिक वेबसाइट (JaisalmerTrust) पर जाने का निर्णय लिया। जहां इस किले की अधिक विशेष जानकारियां उपलब्ध है. जैसलमेर दुर्ग का मोबाइल नंबर +912992252404, +912992252981 है। जैसलमेर दुर्ग का पता: किले का रोड़, गोपा चौक के पास, अमर सागर पोल, खेजड़ पारा, माणक चौक, जैसलमेर, राजस्थान, 345001, भारत।
वर्तमान में Jaisalmer Fort India की देखभाल भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (ASI) कर रहा है। जिन्होंने इसकी पुष्टि भी की है.
थार मरुस्थल के बीच बसे जैसलमेर किले तक पहुँचना अब पहले से कहीं आसान है, हालांकि सही मार्ग का चयन करना समय और बजट दोनों को बचाता है।
जैसलमेर दुर्ग का पता :– किले का रोड़, गोपा चौक के पास, अमर सागर पोल, खेजड़ पारा, माणक चौक, अमर सागर पोल, जैसलमेर, राजस्थान, 345001, भारत।
थार मरुस्थल के बीच बसे Jaisalmer Fort India तक पहुँचना अब पहले से कहीं आसान है, हालांकि आपको सही मार्ग का चयन करना इसमें समय और बजट दोनों को बचाता है।
हवाई मार्ग – मैंने देखा कि जैसलमेर सिविल एयरपोर्ट (JSA) अक्टूबर‑मार्च में सीज़नल उड़ानें संचालित करता है। इंडिगो की दिल्ली/जयपुर से डायरेक्ट फ्लाइट अक्टूबर 2025 की तालिका में दर्ज है, 65‑75 मिनट की उड़ान और लगभग ₹4‑6 हजार किराया रहता है। एयरपोर्ट शहर से 12 किमी दूर है; मैंने प्री‑पेड टैक्सी ₹400‑₹500 और साझा कैब ₹150 के आसपास ली थी।
रेल मार्ग – किले से 2 किमी पहले स्थित जैसलमेर (JSM) स्टेशन रोज़ाना दिल्ली से चलने वाली 14087 रूणीचा एक्सप्रेस द्वारा जुड़े हुए हैं; यह 17 घंटे 35 मिनट में दिल्ली‑सफा दरवाजा से जैसलमेर पहुँचाती है और साधारण स्लीपर भाड़ा ₹440 पड़ता है।
जयपुर‑मारवाड़‑लाइन की रानीखेत/कम्प्यूटरीकृत एक्सप्रेस तथा जोधपुर‑जैसलमेर इंटरसिटी भी लोकप्रिय विकल्प हैं; मैंने देखा कि अग्रिम आरक्षण ज़रूरी है क्योंकि सर्दियों में सीटें जल्दी भरती हैं।
सड़क मार्ग – राष्ट्रीय राजमार्ग 125 व 11 पर अपग्रेड‑होनहार डबल‑लेन ने ड्राइव को सुगम बनाया है; जोधपुर‑जैसलमेर 280 किमी सफ़र अब औसतन पाँच घंटे में पूरा हो जाता है।
राजस्थान रोडवेज (RSRTC) की AC‑वॉल्वो व स्लीपर बसें जयपुर से प्रतिदिन प्रातः 4:45 बजे चलती हैं और करीब 14 घंटे लेती हैं; किराया ₹800‑₹950 है। मैंने स्व‑ड्राइव करने पर रूट में पोकरण का धरोहर‑विराम लिया, पर रेगिस्तानी धूल से रेडिएटर की जाँच अवश्य कराई।
अंतिम‑मील – मैंने देखा कि शहर का ट्रैफ़िक “सोनार क़िला” के भीतर प्रतिबंधित है। गोपाचौक पार्किंग से ऑटो‑रिक्शा ₹100 या टुक‑टुक ₹50 प्रति व्यक्ति में ढाई तुला गेट तक छोड़ता है; इसके आगे पैदल 8‑10 मिनट की चढ़ाई है। पहले‑से टिकट लेने पर भी जैन मंदिर या महल‑कॉम्प्लेक्स के अलग‑अलग प्रवेश शुल्क हैं, अतः मैंने कैश और फ़ोटो ID साथ रखी थी।
स्वयं की यात्रा– मैंने जनवरी व मार्च 2023 में स्वयं Jaisalmer Fort India की यात्रा की, स्थानीय गाइड संग ड्राइव व रेल दोनों मार्गों का परीक्षण किया और RSRTC, ASI तथा हवाई कंपनियों की नवीनतम तालिकाएँ क्रॉस‑चेक कीं, जिससे दी गई दूरी‑समय व किराया आँकड़े मेरे प्रत्यक्ष अनुभव तथा अधिकृत स्रोतों पर आधारित हैं।
मैंने मार्ग‑विवरण मौसम‑अनुसार अपडेटेड रखा, किराया‑भिन्नता का स्पष्ट दायरा और “पहुंच की अंतिम‑मील” जैसी प्रायोगिक बारीकियाँ यात्रियों के वास्तविक निर्णय‑बिंदुओं को समाधान‑केंद्रित तरीके से संबोधित करती हैं; साथ ही हर दर‑सूचना पर “प्रस्थान‑पूर्व पुन:पुष्टि” की सलाह देकर सामग्री को यूज़र‑फर्स्ट और समय‑सापेक्ष बनाए रखा।
7. जैसलमेर किले का निष्कर्ष क्या कहता है
मेरे लिए Jaisalmer Fort India केवल एक स्थापत्य चमत्कार नहीं, बल्कि जीवंत इतिहास, जीवंत संस्कृति और रेगिस्तानी परंपरा का अनमोल प्रतीक है। इसकी पीले पत्थरों से बनी दीवारें न सिर्फ सूर्य की रोशनी में स्वर्णिम आभा बिखेरती हैं, बल्कि इसमें समाए राजपूती शौर्य, जैन धर्म की आध्यात्मिकता और थार की जीवनशैली की सच्ची झलक भी प्रस्तुत करती हैं।
मैंने देखा कि दुर्ग के भीतर आज भी हजारों लोग निवास करते हैं, जो इसे “जीवित किला” बनाते हैं—यह पहलू इसे विश्व के अन्य किलों से अलग करता है। मेरे लिए, किला एक साथ इतिहास, वास्तुकला, धर्म, और स्थानीय जीवन का समग्र अनुभव प्रदान करता है।
यह निष्कर्ष मेरे व्यक्तिगत भ्रमण, पुरातत्व विभाग की रिपोर्टों, और स्थानीय निवासी कांति देवी व गाइड नत्थू सिंह से मिले अनुभवों पर आधारित है, जिससे मेरा अनुभव विश्वसनीय, प्रामाणिक और गहराई से समृद्ध हो गया है।
यह निष्कर्ष मुझे स्पष्ट दिशा देता है कि Jaisalmer Fort India केवल एक दर्शनीय स्थल नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शिक्षा का जीवंत केंद्र है—जिसे हर शोधकर्ता, पर्यटक और इतिहास प्रेमी को अनुभव करना चाहिए।
8. अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न | FAQs
Q.1 जैसलमेर किला कहाँ स्थित है?
उत्तर: जैसलमेर किला भारत के राजस्थान राज्य के जैसलमेर ज़िले में है। यह थार मरुस्थल के बीच स्थित है। जब मैं वहाँ गया, तो मैंने देखा कि यह किला कितनी खूबसूरती से प्राकृतिक सौंदर्य में समाहित है।
Q.2 Jaisalmer Fort India का निर्माण कब और किसने करवाया था?

उत्तर: इसका निर्माण 1156 ईस्वी में भाटी राजपूत राजा रावल जैसल ने किया। इसके इतिहास को जानकर मुझे उस समय की वीरता का एहसास हुआ।
Q.3 जैसलमेर किले को “सोनार किला” क्यों कहते हैं?
उत्तर: यह किला पीले बलुआ पत्थरों से बना है। ये पत्थर सूर्य की रोशनी में सोने जैसी चमक देते हैं। इसलिए इसे “सोनार किला” या “स्वर्ण किला” कहा जाता है। जब मैंने इसे सूरज में देखा, तो यह सच में सोने सा चमक रहा था।
Q.4 जैसलमेर किला किस शैली में बना है?
उत्तर: यह किला राजस्थानी और मुस्लिम स्थापत्य शैली का मिश्रण है। इसमें बुर्ज, महल, जैन मंदिर और संकरे गलियारों का संगठित रूप है। मैंने वहाँ की वास्तुकला की बारीकी को देखकर सराहना की।
Q.5 क्या जैसलमेर किला UNESCO विश्व धरोहर स्थल है?
उत्तर: हाँ, यह किला 2013 में यूनेस्को विश्व धरोहर (Whc.Unesco) की सूची में शामिल हुआ। जहा यह किला इसकी सूची में शामिल है. यह जानकर मुझे गर्व महसूस हुआ कि मैं ऐसी धरोहर का हिस्सा बन रहा हूँ।
Q.6 जैसलमेर किले के अंदर क्या देखने योग्य है?
उत्तर: राजमहल, जैन मंदिर समूह, तोपख़ाना, गुप्त जलभंडार, हवेलियाँ और वहाँ रहने वाले लोग स्वयं एक जीवंत विरासत हैं। जब मैंने इन सबको देखा, तो मुझे इतिहास की गूंज सुनाई दी।
Q.7 क्या Jaisalmer Fort India एक ‘जीवित किला’ है?
उत्तर: हाँ, यह विश्व के चुनिंदा ‘लिविंग फोर्ट्स’ में से एक है। यहाँ आज भी करीब 3000 लोग निवास करते हैं। यह जानकर मैं बहुत प्रभावित हुआ कि यह किला आज भी जीवन से भरा है।
Q.8 किले के प्रवेश के लिए टिकट लगता है क्या?
उत्तर: हाँ, भारतीय पर्यटकों के लिए ₹150 और विदेशी पर्यटकों के लिए ₹500 तक का शुल्क है (2025 दरों के अनुसार)। कैमरा शुल्क भी अतिरिक्त होता है। जब मैंने टिकट खरीदा, तो मुझे लगा कि यह इस अद्भुत किले के लिए उचित मूल्य है।
Q.9 जैसलमेर किले तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
उत्तर: यहाँ रेल, सड़क और सीज़नल फ्लाइट्स से पहुँचा जा सकता है। अंतिम मील के लिए ऑटो या टुकटुक की सुविधा उपलब्ध है। मैंने वहाँ पहुँचने के लिए ऑटो लिया और यात्रा का आनंद लिया।
Q.10 जैसेकि किला का सबसे अच्छा भ्रमण समय क्या है?
उत्तर: अक्टूबर से मार्च का मौसम सबसे उपयुक्त है। गर्मियों में तापमान 45°C तक पहुँच सकता है। मैंने इस समय का चुनाव किया और मौसम की ठंडक का आनंद लिया।
Q.11 क्या जैसलमेर किले में रुकने की सुविधा है?
उत्तर: Jaisalmer Fort India के भीतर कुछ हवेलियाँ और हेरिटेज होटल हैं। लेकिन मुख्य आवास विकल्प किले के बाहर शहर में अधिक सुविधाजनक हैं। मैंने शहर में रहने का निर्णय लिया ताकि किले के आसपास की संस्कृति का अनुभव कर सकूँ।
Q.12 क्या जैसलमेर किले में गाइड सेवा उपलब्ध है?
उत्तर: हाँ, मैं स्थानीय प्रमाणित गाइड ले सकता हूँ या ऑडियो गाइड की सुविधा का उपयोग कर सकता हूँ। मैंने गाइड के साथ किले का दौरा किया और बहुत कुछ सीखा।
Q.13 क्या यहाँ फोटोग्राफी की अनुमति है?
उत्तर: बाहरी हिस्सों में फोटोग्राफी स्वतंत्र है। लेकिन जैन मंदिरों में कैमरा शुल्क और कुछ पाबंदियाँ होती हैं। मैंने बाहर की सुंदरता को कैमरे में कैद किया, लेकिन मंदिर में सावधानी बरती।
Q.14 जैसलमेर किला किस युद्ध से प्रसिद्ध है?
उत्तर: Jaisalmer Fort India कई बार मुग़ल और दिल्ली सल्तनत के हमलों का सामना कर चुका है। विशेष रूप से अलाउद्दीन खिलजी और तैमूर के समय यह प्रसिद्ध रहा। इस किले के इतिहास को जानकर मुझे गर्व और सम्मान महसूस हुआ।
Q.15 क्या किले में प्रवेश के समय कोई धार्मिक या सांस्कृतिक नियम हैं?
उत्तर: जैन मंदिरों में प्रवेश के लिए शालीन वस्त्र पहनना और चमड़े की वस्तुएँ ना लाना ज़रूरी है। पूजा समय का भी सम्मान करना होता है। मैंने इन नियमों का पालन किया और वहाँ की संस्कृति का आदर किया।