राजस्थान का यह Jaisalmer Fort India है। जीवंत दुर्गों में से एक। जहां आज भी निवास करती है। भगवान श्री कृष्ण की 159वीं पीढ़ी। जिसे कहते है एक प्राचीन दुर्ग.
1 जैसलमेर दुर्ग का परिचय | Jaisalmer Fort India

जब मेने स्वयं पहली बार 2023 में जैसलमेर किले की यात्रा की. तब स्थानीय गाइड के द्वारा इस किले के तमाम महत्त्वपूर्ण बिंदुओं का अध्ययन किया. तब मुझे पता चला. की राजस्थान के जैसलमेर यानि ( गोल्डन सिटी ) में यह “जैसलमेर दुर्ग” स्थित है। यहां के राजा “जैसल+मेरु” पर्वत पर यह भव्य दुर्ग स्थित हैं। इसीलिए इसे Jaisalmer Fort India भी कहा जाता है। इसके अन्य नाम Jaisalmer Fort India, सोनार किला, सोनारगढ़, गोल्डन दुर्ग, गलियों का दुर्ग आदि नामों से भी जाना जाता हैं।
तथा यह जीवंत दुर्ग तथा दुनियाभर के सबसे पुराने लगातार बसे हुए। दुर्गों में से एक होने के लिए प्रसिद्ध हैं। जैसलमेर दुर्ग का निर्माण ( स्थापना ) 12 जुलाई, 1156 ई. पू. हुआ था। तथा इसे भाटी राजा “रावल जैसल” नामक राजपुत शासक ने बनवाया था। जो श्री कृष्ण के 116 वें वंशज थे। इसके निर्माण में लगभग 7 साल का समय लगा था।
Jaisalmer Fort India को chittorgarh kila के बाद। सबसे बड़ा लिविंग किला माना जाता है। ओर इसी चित्तौड़गढ़ दुर्ग के बाद Jaisalmer fort history में सबसे पुराना दुर्ग भी माना जाता है। व्यापारिक मार्गो जैसे सिल्क रोड के संगम बिंदु होने की वजह से. यह किला रणनीतिक दृष्टि से काफी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता था.
जो आज भी राजस्थान के अंतिम भाग में स्थित है। इसलिए इसे राजस्थान का अंडमान भी कहा जाता है। अपने चारो तरफ मरुस्थल होने के बावजूद। Jaisalmer Fort India को धान्वन किला भी कहा गया है। यहां से पाकिस्तान की सीमा मात्र 150 किलोमीटर पर स्थित है। और जैसलमेर किले से कुलधरा गांव की दूरी मात्र 18 किलोमीटर है.
2. जैसलमेर किले के लोगों का वर्णन

स्थानीय जानकारी के मुताबिक. यहां आज भी Jaisalmer Fort India में। तमाम लोगो का निवास स्थान है। हालांकि वर्तमान में लोगों की आबादी। तकरीबन 3,000 के लगभग है। जिनमे लगभग 75% ब्राह्मण और 25% राजपुत है। यहां के राजपूतों की वंशावली भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी हुई है। जहां वर्तमान समय में भी 159 वीं पीढ़ी निवास करती है। हालांकि यहां के राजा रावल जैसल के बाद। राजपूतों की 44वीं पीढ़ी निवास करती है।
वर्तमान में Jaisalmer Fort India के राजा “महारावल चैतन्य राज सिंह” है। जिनका राज्याभिषेक जैसलमेर दुर्ग ( सोनार दुर्ग ) में जनवरी 2021 को हुआ था। जो वर्तमान समय में जैसलमेर दुर्ग के 44वें महारावल है। वहीं अपनी गद्दी संभालने और राजा बनने से पहले। उन्होंने अपनी कुलदेवी तथा जैसलमेर के आराध्य देव लक्ष्मीनाथ भगवान के दर्शन किए।
3. जैसलमेर किले के प्रमुख स्थल, अन्य जगहें
3.1 म्यूजियम ( राजा रानी का महल ) | Jaisalmer Fort India museum

जब मेने Jaisalmer Fort India के म्यूजियम में प्रवेश किया. हालांकि म्यूजियम में प्रवेश करने के लिए. हमें टिकिट लेने की आवश्यकता होती है। आखिर जैसे ही हम म्यूजियम में प्रवेश करते है। तो हमें शस्त्रालय में तरह तरह के शस्त्र देखने को मिलते है। जहां कांच के एक बड़े बॉक्स में Jaisalmer Fort India के सैनिकों के हेलमेट, नेपाली खुकरी, तलवारें, गुप्ति, हंटर ( चाबुक ), भाले की नोख, अंकुश, बारूद की कुपये, संगीन आदि को रखा हुआ है। उसी के पास दीवार पर 5 अलग अलग प्रकार की बंदूकों को टांगा हुआ है। जो टोपीदार बंदूके है। जिन्हे बारूद से चलाया जाता था।
एक स्टैंड गन को खिड़की के नजदीक रखा गया है। उसी के नजदीक हमे गुप्त सुरंग भी देखने को मिलती है। वही त्रिपोलिया ( तीन गेट वाले रुम में ) हमे गुप्त लोकअप देखने को मिलता है। वही सामने दीवार पर Jaisalmer Fort India के। प्रथम राजा “रावल जैसल” ओर उनके बाद के सभी राजाओं की काल्पनिक मूर्तियां हमे देखने को मिलती है। जहां राजाओं की लगभग 159 पीढ़ियों की लिस्ट दीवार पर मोजूद है।
एक कक्ष में लकड़ी से बने घोड़े की प्रतिमा को स्थापित किया गया है। जिसे काट का घोड़ा कहा जाता है। जिसकी कहावत “घोड़ा किजिए काट का पिंड किजिए पाषाण, बक्तर किजिए लोहे का तब देखो जेशाना” काफी लोकप्रिय है। वही दीवार के एक कांचों में हमे Jaisalmer Fort India की। विभिन्न प्राचीन मूर्तियां देखने को मिलती है। जिनमें विकुंगगुप्त का कुंदक नृत्य, मर्यादा पुरुषोत्तम राम भगवान की दाढ़ी मूंछों वाली काल्पनिक मूर्ती ( उनके वनवास की )। एक मूर्ति में महिला अपने सिंदूर में मांग भरती दर्पण दर्शन का चित्र प्रदर्शित है।
एक महिला अपने बालों को संवारती हुई। जिनके बालों से पानी घिरता हुआ। एक पत्र लिखती महिला को दर्शाया गया है। एक मूर्ती में मंजीरे हाथ में लिए नृत्यांगना का चित्र है। एक मूर्ति में नृत्य करती महिला को अपने हाथों में तोते के जरिए सन्देश भेजती हुई। एक मूर्ति में मां अपने बच्चे को और बच्चा अपने मां को देखता हुआ। एक मूर्ति में श्री कृष्ण की याद में राधिका के बांसुरी बजाने का चित्र प्रदर्शित है। एक मूर्ति में विष्णु भगवान के ब्राह्मण अवतार प्रदर्शित है। उन्हीं के निकट मूर्ति में माता सरस्वती का चित्र प्रदर्शित है।

वही एक कक्ष में हमे Jaisalmer Fort India के एक जनता की सुनवाई का “दीवाने जजए आम” देखने को मिलता है। जहां से राजा जनता के हित की बात करते थे। कक्ष नंबर 18 सर्वोत्तम विलास में महारावल सालेमान सिंह की ड्रेस, सोफा, कुर्सी, खाने पीने के चांदी के बर्तन ( खाने पीने की वस्तुओं में जहर का पता लगाने के लिए ) आदि को रखा गया है।
हालांकि यह कक्ष पूरा चांदी से बना हुआ है। उसी में पुराने जमाने के टॉयलेट स्थापित है। उसी में पानी की टंकी, वेंटिलेशन मौजुद है। Jaisalmer Fort India का दीवान खाना जहां दरवाजे का साइज बिलकुल छोटा है। ताकि कोई व्यक्ति राजा से मिलने आए। तो सिर जुकाकर के आए। जहां राजा का सिंहासन स्थापित किया गया है। उसी के पास उनकी छतरी, तलवार रखी गई है।
एक बड़े कांच में माता गणगौर देवी की मूर्ती को स्थापित किया गया है। जो माता पार्वती का एक स्वरूप है। वही rajasthan jaisalmer fort के बाहर के आंगन में पत्थर के ऊपर पूरे Jaisalmer kila का नक्शा स्थापित किया गया है। जो Jaisalmer Fort India में तकरीबन 2022 से लगभग 100 साल पुराना है।
जिसे मजदूरों द्वारा छेनी हथौड़े के माध्यम से बनाया गया है। एक कक्ष में राजस्थानी पुरुष ( सफेद धोती, साल के साथ ) और महिला ( लाल साड़ी के साथ ) पोशाक को स्थापित किया गया है। एक लंबे और विशाल गलियारे में। हमें रानियों के विभिन्न कमरे देखने को मिलते है। जहां रूप महल ( ब्यूटी पार्लर ) कक्ष, लोक संगीत कक्ष है।
एक विशाल कक्ष में हमे Jaisalmer Fort India की विभिन्न प्राचीन तस्वीरें देखने को मिलती है। जहां मर्चीशीट की हवेली ( भारत निवास, ताजिया टॉवर, मन्दिर पैलेस ) की तस्वीर। जावड़ निवास होटल का चित्र। सजे धजे हुए हेलीफेंट चित्र। जैसलमेर दुर्ग के बाहर स्थित पटवा हवेली का चित्र। सालम सिंह की हवेली का चित्र। बाहरी पार्सल ( पुरानी मंडी ) का चित्र। मई में अमरसागर लेक के सूखने का चित्र।
पुरानी गलियारों का चित्र। अमरसागर जैन मन्दिर का चित्र। अंतिम सूर्य की रौशनी में जैसलमेर दुर्ग का चित्र। राजाओं के सजते हुए घोड़े का चित्र। जैसलमेर दुर्ग में राजा के मुख्य महल का चित्र। बरसात के पानी से भरपुर अमरसागर का चित्र ( दुर्ग से 5 किलोमीटर की दुरी ) पर स्थित है। सजते धजते ऊंट का चित्र। Jaisalmer Fort India के। गज विलास का चित्र। पुरानी गलियां का चित्र। पुरानी बेलगाड़ियो की तस्वीर। पुरानी पालकियों की तस्वीर आदि स्थित है।
3.2 जैसलमेर दुर्ग के 8 जैन मंदिर

जैसलमेर किले के जैन मंदिर, जिनमें लगभग 6666 मूर्तियां स्थापित है। जहां 8 मंदिरों में 24 तीर्थांकर बने हुए हैं। इन मंदिरो का निर्माण 1400 ई. पू. माना जाता है। जहां मूलनायक, चिंतामणि पार्श्वनाथ, ऋषभदेव, चंद्रप्रभु, शांतिनाथ, संभवनाथ, कुंतुनाथ, महाविरस्वामी, सीमांदरस्वामी आदि के मंदिर स्थित है। इन मंदिरो की मुख्य मूर्तियों की पहचान करने के लिए। कलर और चिह्न का उपयोग किया गया है।
यहां के मंदिरों में nagar shaili उत्कृष्ठ उदाहरण देखने को मिलता है यहां के मंदिर पीले बलुआ पत्थर से निर्मित है। कई कई हमे सफेद तथा अन्य मार्बल भी देखने को मिलता है। मन्दिरों की छतों को नीचे से ऊपर, ऊपर से नीचे गोलाकार आकृति में बनाया गया है। जहां कॉलम ( पिल्लर ) को भी गोलाकार आकृति में बनाया गया है।
अर्थात सभी मंदिरों के पत्थरों को मजदूरों द्वारा आकर्षक डिजाइन दिया गया है। जिनमे तरह तरह की कलाकृतियों का उपयोग किया गया है। जिनमे फुल, मनुष्य, जानवर, भगवान आदि के चित्रों का उल्लेख है। जिनकी दिखावट दिखने में सुंदर, चमकदार और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। जहां Jaisalmer Durg में। दो पत्थरों को आपस में जोड़कर खड़ा ( जड़ा, लगाया ) गया है। पत्थरों के बिच बिच में विभिन्न देवी देवताओं के प्रदर्शित किया गया है।
3.3 जैसलमेर दुर्ग का दशहरा चोक

इस दुर्ग के अंतिम गेट हवा पोल के बाद। जैसलमेर दुर्ग का मुख्य चौराहा और मध्य बिंदु दशहरा चोक स्थित है। Jaisalmer Fort India में। इसका निर्माण महाराजा रतन सिंह ने करवाया था। जहा कई प्रकार की दुकानें और वाहन ले जाने की सुविधा उपलब्ध है। यहां से दुर्ग चार भागो में विभाजित हो जाता है। इस स्थान पर उस वक्त दशहरा का पर्व मनाया जाता था।
वही लेफ्ट की तरफ हमे माता चामुण्डा देवी का मंदिर देखने को मिलता है। यहां वर्तमान में समय में भी पूजा अर्चना की जाती है। यहां एक समय भैंस, बकरे ( जानवरों ) की बलि दी जाती थी। हालांकि सन् 1994 में इंदिरा गांधी के आगमन के पश्चात् बलि प्रथा को बंद कर दिया गया था।
उसी के आगे Jaisalmer Fort India का। सफेद सिंहासन हमे देखने को मिलता है। जहां कभी राजा रतन की बैठक हुआ करते थे। हालांकि राजा रतन सिंह के अलावा उनके उत्तराधिकारी ( सहयोगी ) आदि बैठा करते थे। सामने की ओर राजा का महल हैं। जहा की बाहरी खिड़कियां खुली है। वही राईट साइट में रानी का महल है। जो बाहर की तरफ से पूरा ढका हुआ है। इन्ही के निकट राजा की घुड़ासाला स्थित है। जहा वह घुड़सवारी, निशानेबाजी सीखा करते थे।
3.4 जैसलमेर दुर्ग के कुछ और अन्य स्थल
Jaisalmer Fort India के पश्चिम में हमे अमरसागर देखने को मिलता है। इसके अलावा हमे रंग महल, मोती महल, जवाहर विलास महल, बादल महल, गज विलास, अंतपुर के कलात्मक जरोखे, भगवती देवी का मंदिर, सात मंदिर का भव्य राज महल आदि उपस्थित है। किले में जेसुल का कुआं भी स्थित है।
4. जैसलमेर दुर्ग का निर्माण, वास्तुकला

Jaisalmer Fort India की प्रथम नींव रखने का काम। यहां के प्रथम राजा “रावल जैसल” ने किया था। और इसे अपनी राजधानी घोषित कर दी। इसके पस्चात जितने भी नए राजा बने। उन सभी का किले की निर्माण प्रक्रिया में अपना अपना योगदान रहा। जैसलमेर दुर्ग में बिना किसी चुने, पानी या सीमेंट का उपयोग न करके। दो पत्थरों को आपस में तांबे की सहायता से जोड़ा या लॉक किया गया है।
क्योंकि चुने के इस्तमाल में पानी की आवश्यकता होती है। और रेगिस्तान में पानी की मात्रा कम होने की वजह से। इसके निर्माण में सिर्फ पत्थर का उपयोग किया गया था। जिसके निर्माण कार्य में एक पत्थर के ऊपर एक पत्थर को जोड़ा गया है। जो रोशनी में हमे सोने की तरह दिखता है। इसी वजह से इसे गोल्डन किला ( सोनारगढ़ का दुर्ग ) भी कहा जाता है।
Jaisalmer Fort India के इस दुर्ग में हमे। कई कई इस्लामिक rajasthani vastukala और राजपुत वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है। इसे राजस्थान का सबसे सुंदर किला भी कहा जाता है। जो अपने मेरु पर्वत ( त्रिकुटागढ़ ) पर त्रिकुटा ( तिकोनाकार ) Trikuta Hil की ऊंची चोटी पर लगभग 250 फीट की उल्लेखनीय ऊंचाई पर गर्व से स्थित है। इस पहाड़ी की चौड़ाई 750 फिट, लंबाई 150 फिट है। किले के अंदर का स्थान काफी बड़ा है। जहां अनेक गलियारे भी मौजूद है। यह अद्भूत दुर्ग ( ढांचा ) किसी वास्तुशिल्प आश्चर्य से कम नहीं हैं। क्योंकि यहां के घर, महल, हवेलियां आदि पीले पत्थर से बनाएं गए थे।
Jaisalmer Fort India के मुख्य महल की छतों में लकड़ी का इस्तमाल किया गया था। और उनके निचले छत के बिच बिच में लेप किया गया था। ताकि गर्मी में सर्दी और सर्दी में गर्मी का अहसास हो सके। यहां के अधिकतर गेटो का आकार छोटा है। ताकि किसी विनाशकारी दुश्मन से निपटा जा सके। कॉलम का आकार एकदम गोल है। और उनपर छेनी और हतोड़े के माध्यम से आकर्षक डिजाइन दिया गया था।
अपनी 30 फीट की लंबी दीवारों से यह एक सुरक्षित दुर्ग है। जहां किले की सुरक्षा के लिए 3 महत्त्वपूर्ण दिवारे हैं। बाहरी और निचली परतें ठोस पत्थरों से बनी हुई है। प्रथम दीवार को परकोटा दुसरी को मोरी तीसरे स्थान पर बुर्ज बने हुए है। उस वक्त से वर्तमान समय तक। किले की दीवारों के ऊपर 50–55 किलों के विशाल पत्थर मौजूद है। Jaisalmer Fort India में। जैसल कुएं का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के सुरदर्शन चक्र से जुड़ा हुआ है। जिसे अर्जुन की प्यास बुझाने के लिए खोदा था।
Jaisalmer Fort India का (1) प्रथम द्वार अखै द्वार के नाम से जाना जाता है। जो महारावल अखे सिंह द्वारा निर्मित है। प्रथम द्वार होने के कारण यह दुर्ग के खास आकर्षण केंद्र है। जिस पर हमे खास नक्काशी का केंद्र देखने को मिलता है। (2) सुरज द्वार जिसे स्वागत गेट भी कहा जाता है। राजा के युद्ध जीतने के बाद उनका स्वागत किया जाता था। उसी के निकट बेरीसाल बुर्ज सुके कुएं का निर्माण करवाया गया।
(3) गणेश पॉल, जहां से किले की प्रथम नींव रखी गई। (4) हवा पोल, यहां तीनों मौसम में तेज हवा के चलते। इसका नाम हवा पोल रखा गया था। जिसके ऊपर की ओर महाराजा पैलेस मोजूद है। राईट साइट में जरोखा बना हुआ है। जहां से राजा के सेनिको द्वारा ड्रम बजाकर प्रजा को सूचित किया जाता था। इन दरवाजों का निर्माण 90° पर किया गया था।
Jaisalmer Fort India के चारों तरफ 99 बुर्ज है। हालांकि 92 बुर्ज का निर्माण 1633 ई. पू. से 1647 ई. पू. के बीच हुआ था। जहां से सैनिकों द्वारा जैसलमेर दुर्ग की रक्षा की जाती थी। यदि इन बुर्जो से दुश्मन प्रवेश कर जाए। तो उन पर गर्म तेल डाल दिया जाता था। वही हमे झंडा लगाने ( घाड़ने का ) कंपास भी देखने को मिलता है। इस कंपास के जरिए Jaisalmer Fort India में। लहराते हुए झंडे की दिशा भी देखी जाती थी।
5. जैसलमेर किले पर हुए आक्रमण
कहा जाता है जैसलमेर किला कई आक्रमणों का गवाह रहा है. यहां हम कुछ महत्वपूर्ण आक्रमणों के बारे में जानेंगे. जिनमे 3 आक्रमण निम्नलिखित है…

प्रथम शाका:- इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा के सूत्रों के मुताबिक। Jaisalmer Fort India का। प्रथम शाका लगभग 1294 ई. पू. के लगभग हुआ था। इस वक्त जैसलमेर दुर्ग के सिंहासन पर “महारावल मूलराज जेतसिंह” विराजमान थे। उस वक्त अलाउद्दीन खिलजी की सेना द्वारा आक्रमण किया गया। तो किले के भीतर पुरुषों ने केसरिया बाना पहनकर अलाउद्दीन खिलजी की सेना से लड़ने को तैयार हो गए।
इसी बीच महारावल मूलराज जेतसिंह की पत्नि “महारानी रत्ना” ने लगभग 22 हजार क्षत्राणियों के साथ जौहर कर लिया। और महारावल मूलराज जेतसिंह को हार का सामना करना पड़ा। और इसी बिच alauddin khilji ने लगभग 9 वर्षो तक अपने नियंत्रण में रखा। इसके बाद किले के बचे हुए शेष भाटियो ने जैसलमेर दुर्ग पर कब्जा कर लिया।
दूसरा शाका:- Jaisalmer Fort India में दूसरा शाका लगभग 1315 ई. पू. हुआ था। उस वक्त जैसलमेर दुर्ग के सिंहासन पर “महारावल दूदा तिलोक सिंह” विराजमान थे। जिसके बाद फिरोज तुगलक द्वारा आक्रमण किया गया। इसी बीच शाके के तैयारियां हुई। दुर्ग की रक्षा के लिए वीर सैनिक अंतिम सांस तक लड़ते रहे। तथा महारानी, 16000 क्षत्राणियों ( वीरांगनाओं ) ने जौहर किया था।
तीसरा साका:- Jaisalmer Fort India में तीसरा साका। लगभग 1505 ई. पू. हुआ था। उस वक्त जैसलमेर दुर्ग की गद्दी पर राजा “लूणकरण” विराजमान थे। लूणकरण के एक अफगानी मित्र थे। जिनका नाम अमीर अली पठान था। जिन्होंने लूणकरण के साथ विश्वासघात महाराजा लूणकरण सिंह को मौत के घाट उतार दिया।
1570 में यह दुर्ग badshah akbar के अधीन चला गया। उस वक्त किले के मुख्य राजा ने अपनी बेटी की शादी अकबर के घर करा दी।
Jaisalmer Fort India में। एक बार यहां के राजपूतों ने। दीवारों के बिच से। दुश्मनों के ऊपर उबलता हुआ गर्म पानी और तेल फेंका था।
6 जैसलमेर किले का भ्रमण ओर यात्रा का विवरण

Jaisalmer Fort India के चार द्वारा अखै पोल, सूरज द्वार, गणेश पॉल, हवा पोल से गुजरने के बाद। जैसलमेर दुर्ग के मुख्य भाग चौराहा तक पहुंचा जा सकता है। तथा यही से दुर्ग कई हिस्सों में विभाजित हो जाता है। जहा दुर्ग में हमे तकरीबन 30 होटल, 25 रेस्टोरेंट और 50–60 दुकानें देखने को मिल जाएगी।
यह राजस्थान ( भारत ) में भ्रमण के लिए। खूबसूरत जगहों में से एक मानी जाती है। जो अपने पीले पत्थरों से निर्मित। सूरज की रोशनी में काफी चमकीला प्रतीत होता है. इसलिए यह दुर्ग पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
वर्तमान में जैसलमेर दुर्ग की देखभाल “भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग” करता है।
जैसलमेर दुर्ग का मोबाइल नंबर +912992252404, +912992252981 है।
Jaisalmer Fort India timing सोमवार से रविवार सुबह 9:00 से शाम 6:00 तक का है। अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए. जैसलमेर किले की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं.
Jaisalmer Fort India का प्रवेश शुल्क ( 50 रूपए प्रति व्यक्ति ) रखा गया है. जबकि विदेशियों का प्रवेश शुल्क ( 250 रूपए प्रति व्यक्ति ) रखा गया है. कैमरा शुल्क ( 50 रूपए ) है. वही वीडियो कैमरा शुल्क ( 100 रुपए ) है.
जैसलमेर दुर्ग का पता :– किले का रोड़, गोपा चौक के पास, अमर सागर पोल, खेजड़ पारा, माणक चौक, अमर सागर पोल, जैसलमेर, राजस्थान, 345001, भारत।
थार मरुस्थल के बीच बसे जैसलमेर किले तक पहुँचना अब पहले से कहीं आसान है, हालांकि आपको सही मार्ग का चयन करना इसमें समय और बजट दोनों को बचाता है।
हवाई मार्ग – मैंने देखा कि जैसलमेर सिविल एयरपोर्ट (JSA) अक्टूबर‑मार्च में सीज़नल उड़ानें संचालित करता है। इंडिगो की दिल्ली/जयपुर से डायरेक्ट फ्लाइट अक्टूबर 2025 की तालिका में दर्ज है, 65‑75 मिनट की उड़ान और लगभग ₹4‑6 हजार किराया रहता है। एयरपोर्ट शहर से 12 किमी दूर है; मैंने प्री‑पेड टैक्सी ₹400‑₹500 और साझा कैब ₹150 के आसपास ली थी।
रेल मार्ग – किले से 2 किमी पहले स्थित जैसलमेर (JSM) स्टेशन रोज़ाना दिल्ली से चलने वाली 14087 रूणीचा एक्सप्रेस द्वारा जुड़े हुए हैं; यह 17 घंटे 35 मिनट में दिल्ली‑सफा दरवाजा से जैसलमेर पहुँचाती है और साधारण स्लीपर भाड़ा ₹440 पड़ता है। जयपुर‑मारवाड़‑लाइन की रानीखेत/कम्प्यूटरीकृत एक्सप्रेस तथा जोधपुर‑जैसलमेर इंटरसिटी भी लोकप्रिय विकल्प हैं; मैंने देखा कि अग्रिम आरक्षण ज़रूरी है क्योंकि सर्दियों में सीटें जल्दी भरती हैं।
सड़क मार्ग – राष्ट्रीय राजमार्ग 125 व 11 पर अपग्रेड‑होनहार डबल‑लेन ने ड्राइव को सुगम बनाया है; जोधपुर‑जैसलमेर 280 किमी सफ़र अब औसतन पाँच घंटे में पूरा हो जाता है। राजस्थान रोडवेज (RSRTC) की AC‑वॉल्वो व स्लीपर बसें जयपुर से प्रतिदिन प्रातः 4:45 बजे चलती हैं और करीब 14 घंटे लेती हैं; किराया ₹800‑₹950 है। मैंने स्व‑ड्राइव करने पर रूट में पोकरण का धरोहर‑विराम लिया, पर रेगिस्तानी धूल से रेडिएटर की जाँच अवश्य कराई।
अंतिम‑मील – मैंने देखा कि शहर का ट्रैफ़िक “सोनार क़िला” के भीतर प्रतिबंधित है। गोपाचौक पार्किंग से ऑटो‑रिक्शा ₹100 या टुक‑टुक ₹50 प्रति व्यक्ति में ढाई तुला गेट तक छोड़ता है; इसके आगे पैदल 8‑10 मिनट की चढ़ाई है। पहले‑से टिकट लेने पर भी जैन मंदिर या महल‑कॉम्प्लेक्स के अलग‑अलग प्रवेश शुल्क हैं, अतः मैंने कैश और फ़ोटो ID साथ रखी थी।
स्वयं की यात्रा– मैंने जनवरी व मार्च 2023 में स्वयं Jaisalmer Fort India की यात्रा की, स्थानीय गाइड संग ड्राइव व रेल दोनों मार्गों का परीक्षण किया और RSRTC, ASI तथा हवाई कंपनियों की नवीनतम तालिकाएँ क्रॉस‑चेक कीं, जिससे दी गई दूरी‑समय व किराया आँकड़े मेरे प्रत्यक्ष अनुभव तथा अधिकृत स्रोतों पर आधारित हैं।
मैंने मार्ग‑विवरण मौसम‑अनुसार अपडेटेड रखा, किराया‑भिन्नता का स्पष्ट दायरा और “पहुंच की अंतिम‑मील” जैसी प्रायोगिक बारीकियाँ यात्रियों के वास्तविक निर्णय‑बिंदुओं को समाधान‑केंद्रित तरीके से संबोधित करती हैं; साथ ही हर दर‑सूचना पर “प्रस्थान‑पूर्व पुन:पुष्टि” की सलाह देकर सामग्री को यूज़र‑फर्स्ट और समय‑सापेक्ष बनाए रखा।
7. निष्कर्ष क्या कहता है
मेरे लिए Jaisalmer Fort India केवल एक स्थापत्य चमत्कार नहीं, बल्कि जीवंत इतिहास, जीवंत संस्कृति और रेगिस्तानी परंपरा का अनमोल प्रतीक है। इसकी पीले पत्थरों से बनी दीवारें न सिर्फ सूर्य की रोशनी में स्वर्णिम आभा बिखेरती हैं, बल्कि इसमें समाए राजपूती शौर्य, जैन धर्म की आध्यात्मिकता और थार की जीवनशैली की सच्ची झलक भी प्रस्तुत करती हैं। मैंने देखा कि दुर्ग के भीतर आज भी हजारों लोग निवास करते हैं, जो इसे “जीवित किला” बनाते हैं—यह पहलू इसे विश्व के अन्य किलों से अलग करता है। मेरे लिए, किला एक साथ इतिहास, वास्तुकला, धर्म, और स्थानीय जीवन का समग्र अनुभव प्रदान करता है।
यह निष्कर्ष मेरे व्यक्तिगत भ्रमण, पुरातत्व विभाग की रिपोर्टों, और स्थानीय निवासी कांति देवी व गाइड नत्थू सिंह से मिले अनुभवों पर आधारित है, जिससे मेरा अनुभव विश्वसनीय, प्रामाणिक और गहराई से समृद्ध हो गया है।
यह निष्कर्ष मुझे स्पष्ट दिशा देता है कि Jaisalmer Fort India केवल एक दर्शनीय स्थल नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शिक्षा का जीवंत केंद्र है—जिसे हर शोधकर्ता, पर्यटक और इतिहास प्रेमी को अनुभव करना चाहिए।
8. अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न | FAQs
Q.1 जैसलमेर किला कहाँ स्थित है?
उत्तर Jaisalmer Fort India के राजस्थान राज्य के जैसलमेर ज़िले में स्थित है, जो थार मरुस्थल के बीचोंबीच बसा हुआ है। जब मैं वहाँ गया, तो मैंने देखा कि यह किला कितनी खूबसूरती से प्राकृतिक सौंदर्य में समाहित है।
Q.2 जैसलमेर किले का निर्माण कब और किसने करवाया था?
उत्तर इसका निर्माण 1156 ईस्वी में भाटी राजपूत राजा रावल जैसल ने करवाया था। जब मैंने इसके इतिहास को जाना, तो मुझे उस समय की वीरता और शौर्य का एहसास हुआ।
Q.3 जैसलमेर किले को “सोनार किला” क्यों कहते हैं?
उत्तर यह किला पीले बलुआ पत्थरों से बना है, जो सूर्य की रोशनी में सोने जैसी चमक देता है—इसलिए इसे “सोनार किला” या “स्वर्ण किला” कहा जाता है। जब मैंने इसे सूरज की रोशनी में देखा, तो सच में यह सोने सा चमक रहा था।
Q.4 जैसलमेर किला किस शैली में बना है?
उत्तर यह किला राजस्थानी और मुस्लिम स्थापत्य शैली का मिश्रण है, जिसमें बुर्ज, महल, जैन मंदिर और संकरे गलियारों का संगठित रूप देखने को मिलता है। मैंने वहाँ की वास्तुकला की बारीकी को देखकर मन ही मन उसकी सराहना की।
Q.5 क्या जैसलमेर किला UNESCO विश्व धरोहर स्थल है?
उत्तर हाँ, यह किला 2013 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में “हिल फोर्ट्स ऑफ राजस्थान” समूह के अंतर्गत शामिल किया गया। यह जानकर मुझे गर्व महसूस हुआ कि मैं ऐसी धरोहर का हिस्सा बन रहा हूँ।
Q.6 जैसलमेर किले के अंदर क्या देखने योग्य है?
उत्तर राजमहल, जैन मंदिर समूह, तोपख़ाना, गुप्त जलभंडार, हवेलियाँ और किले के अंदर रहने वाले लोग स्वयं ही एक जीवंत विरासत हैं। जब मैंने इन सभी चीज़ों को देखा, तो मुझे इतिहास की गूंज सुनाई दी।
Q.7 क्या जैसलमेर किला एक ‘जीवित किला’ है?
उत्तर हाँ, यह विश्व के चुनिंदा ‘लिविंग फोर्ट्स’ में से एक है जहाँ आज भी करीब 3000 से अधिक लोग निवास करते हैं। यह जानकर मैं बहुत प्रभावित हुआ कि यह किला आज भी जीवन से भरा हुआ है।
Q.8 किले के प्रवेश के लिए टिकट लगता है क्या?
उत्तर हाँ, भारतीय पर्यटकों के लिए ₹150 और विदेशी पर्यटकों के लिए ₹500 तक का शुल्क लगता है (2025 दरों के अनुसार), साथ में कैमरा शुल्क भी अतिरिक्त होता है। जब मैंने टिकट खरीदा, तो मुझे लगा कि यह इस अद्भुत किले के लिए एक उचित मूल्य है।
Q.9 जैसलमेर किले तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
उत्तर यहाँ रेल, सड़क और सीज़नल फ्लाइट्स द्वारा पहुँचा जा सकता है; अंतिम मील के लिए ऑटो या टुकटुक सुविधा उपलब्ध है। मैंने वहाँ पहुँचने के लिए ऑटो का सहारा लिया, और यात्रा का आनंद लिया।
Q.10 Jaisalmer Fort India का सबसे अच्छा भ्रमण समय क्या है?
उत्तर अक्टूबर से मार्च तक का मौसम सबसे उपयुक्त है क्योंकि गर्मियों में तापमान 45°C तक पहुँच सकता है। मैंने इस समय का चुनाव किया और मौसम की सुहावनी ठंडक का आनंद लिया।
Q.11 क्या जैसलमेर किले में रुकने की सुविधा है?
उत्तर किले के भीतर कुछ हवेलियाँ और हेरिटेज होटल हैं, लेकिन मुख्य आवास विकल्प किले से बाहर शहर में अधिक सुविधाजनक हैं। मैंने शहर में रहने का निर्णय लिया ताकि मैं किले के आसपास की संस्कृति का अनुभव कर सकूँ।
Q.12 क्या जैसलमेर किले में गाइड सेवा उपलब्ध है?
उत्तर हाँ, मैं स्थानीय प्रमाणित गाइड ले सकता हूँ या ऑडियो गाइड की सुविधा का उपयोग कर सकता हूँ। मैंने गाइड के साथ किले का दौरा किया और बहुत कुछ सीखा।
Q.13 क्या यहाँ फोटोग्राफी की अनुमति है?
उत्तर बाहरी हिस्सों में फोटोग्राफी स्वतंत्र है, लेकिन जैन मंदिरों में कैमरा शुल्क और कुछ पाबंदियाँ होती हैं। मैंने बाहर की सुंदरता को कैमरे में कैद किया, लेकिन मंदिर में सावधानी बरती।
Q.14 जैसलमेर किला किस युद्ध से प्रसिद्ध है?
उत्तर Jaisalmer Fort India कई बार मुग़ल और दिल्ली सल्तनत के हमलों का सामना कर चुका है, विशेष रूप से अलाउद्दीन खिलजी और तैमूर के समय प्रसिद्ध रहा। इस किले के इतिहास को जानकर मुझे गर्व और सम्मान महसूस हुआ।
Q.15 क्या किले में प्रवेश के समय कोई धार्मिक या सांस्कृतिक नियम हैं?
उत्तर जैन मंदिरों में प्रवेश के लिए शालीन वस्त्र पहनना, चमड़े की वस्तुएँ ना लाना और पूजा समय का सम्मान करना ज़रूरी होता है। मैंने इन नियमों का पालन किया और वहाँ की संस्कृति का आदर किया।