Mahakali Mandir Pavagadh जो अपने कई रहस्य ओर चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। जहां तांत्रिक करते है अमावस्या के दिन साधना। जहा हो चुके है कई रहस्यमई चमत्कार.
1 पावागढ़ महाकाली का परिचय | Mahakali Mandir Pavagadh

Mahakali Mandir Pavagadh, जो धार्मिक परवर्ती से एक सनातनी ( हिन्दू ) देवी का मंदिर है। जो माता महाकाली को समर्पित हैं। यह गुजरात राज्य के पंचमहल जिले स्थित है। जिसे हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता हैं।
यह मंदिर 800 मीटर ऊंचे। पहाड़ियों की श्रृंखला पावागढ़ पर्वत पर स्थित है। जिसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता हैं।
यह मंदिर आज भी श्रद्धालु ओर साधुओं के लिए। एक शक्ति पीठ के रूप में पूजनीय बना हुआ है। जहां नवरात्रि जैसे पर्व पर। यहां विशेष अनुष्ठान होते है। ओर लाखों भक्त यहां दर्शन करने के लिए आते है।
प्रत्येक अमावस्या ओर पूर्णिमा के दिन। मंदिर में विशेष तांत्रिक साधना की जाती है। वही सच्चे मन से की गई प्रार्थना। कभी यहां व्यर्थ नहीं जाती है।
वहीं Mahakali Mandir Pavagadh Gujarat की। एक शक्ति पीठ उपासना स्थल ही नहीं। बल्कि चमत्कारी घटनाओं, तंत्र साधना एवं दैवीय हस्तक्षेप से जुड़ी। अनगिनत कहानियों का केंद्र है।
भक्तों का मानना है। की यदि कोई व्यक्ति अपने सच्चे मन से महाकाली की मूर्ति को। छू कर प्रार्थना करता है। तो उसे अद्भुत ऊर्जा का अनुभव होता है।
यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया है।
2 महाकाली मंदिर आरती की दिनचर्या

Mahakali Mandir Pavagadh आरती की दिनचर्या यहां दी गई है।
मंदिर के खुलने का समय सुबह 6:00 है।
सुबह की आरती सुबह 6:00 होती है।
श्याम की आरती श्याम 7:00 बजे होती है।
मंदिर के बंद होने का समय रात 7:30 बजे है।
कृपया ध्यान दे कुछ कारणों के चलते। आरती वह मंदिर के खुलने का समय आगे पीछे हो सकता है।
3 महाकाली मंदिर का निर्माण एवं वास्तुशिल्प

महाकाली मंदिर के निर्माणकर्ता एवं स्थापना
Mahakali Mandir Pavagadh का निर्माण मुख्यतः 10वीं या 11वीं शताब्दी में माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि। ऋषि विश्वामित्र ने यहां पहली बार काली माता की मूर्ति को स्थापित किया था।
इस मंदिर का निर्माण कार्य ”राजा वीरसिंह वाघेला” या ( सिद्धराज जयसिंह ) के शासनकाल में करवाया था। हालांकि बाद में अनेक भक्तों ओर राजाओं ने इसका पुनर्निर्माण और इसे विकसित किया। पावागढ़ का महाकाली मंदिर चौहान राजवंशों के संबंध से जुड़ा हुआ भी माना जाता है।
वही ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो। यह मंदिर स्थानीय शासकों ओर महाकाली के उपासकों के सहयोग से बनकर तैयार हुआ। वही दूसरी ओर समय समय पर शासकों ओर महाकाली के श्रद्धालुओं द्वारा इसका जीर्णोद्धार ओर इस मंदिर का विस्तार किया गया।
कुछ समय पहले ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा। मंदिर के शिखर का पुनर्निर्माण करवाया गया था। जिसके कारण इसकी मूल भव्यता पुनः लौट आई।
निर्माण सामग्री एवं शैली का प्रभाव
Mahakali Mandir Pavagadh के निर्माण कार्य में। पत्थर ओर चुने का उपयोग किया गया था।
बेसाल्ट ओर बलुआ पत्थर:· मंदिर की मुख्य संरचना में। पहाड़ी क्षेत्रों से खोदकर निकाले गए। बेसाल्ट पत्थर का इस्तेमाल किया गया था। इस पत्थर का इस्तेमाल अधिकतर मजबूती ओर लम्बी अवधि ( टिकाऊपन ) के लिए किया जाता हैं।
वही मंदिर के कुछ भागों जिनमें स्तंभों ओर दीवारों पर सुंदर नक्काशी के लिए। कुछ भागों लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया था।
चुना:· चुने का उपयोग प्राचीन काल से ही। पत्थरों को जोड़ने के लिए किया जा रहा है। जहां हमे Mahakali Mandir Pavagadh में भी इसका इस्तेमाल देखने को मिलता है।
लकड़ी:· महाकाली के मंदिर में कुछ हद तक लकड़ी का इस्तेमाल भी किया गया होगा। जैसे मंदिर के मंडप, सभा हाल ओर छतों के निर्माण कार्य में आदि।
शैली:· इस मंदिर के निर्माण में सोलंकी वंश की स्थापत्य कला का प्रभाव हमे देखने को मिलता हैं। वही मंदिर की दीवारों ओर मंदिर के शिखर पर पारंपरिक गुजराती स्थापत्य की झलक हमे देखने को मिल जाएंगी।
यह Mahakali Mandir Pavagadh मुख्य रूप से पावागढ़ की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। जो rajasthani vastukala के अंतर्गत नागर शैली के प्रमुख लक्षणों में से एक माना जाता है।
कुछ ही समय पहले मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया। जिसमें संगमरमर, ग्रेनाइट, ओर आधुनिक सीमेंट जैसी सामग्री का इस्तेमाल किया गया था।
अन्य निर्माण संबंधित जानकारी
महाकाली का वर्तमान स्वरूप कई शताब्दियों के बाद विकसित हुआ है। जहां पहले यह मंदिर एक गुफा के रूप में था। जिसे बाद में विस्तारित किया गया था।
Mahakali Mandir Pavagadh का इतिहास ओर मंदिर की स्थापना। आज से लगभग हजारों वर्ष पहले। पावागढ़ पर्वत पर तपस्वी विश्व आनंद ने कठिन तपस्या की थी।
उनकी भक्ति से प्रश्न होकर। महाकाली ने दर्शन ओर आशीर्वाद दिया। की इस स्थान पर कभी दिव्य मंदिर बनेगा। जहां भक्तों की सम्पूर्ण मनोकामनाएं पूरी होगी।
तभी विश्व आनंद ने माता के आदेश पर। एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया।
जहां उस मंदिर की नींव में। माता काली की स्वयं मूर्ति प्रकट हुई थी। तथा Mahakali Pavagadh की सीढ़ियां जो लगभग 2000 वर्षों पहले की बनी हुई है। जो वह स्वयं तपस्वी और आशियों की साधना का प्रतीक मानी जाती हैं।
प्रत्येक सीढ़ी पर वैदिक मंत्रों का जाप किया गया था। लेकिन इन्ही सीढ़ियों से जुड़ा। एक रहस्य भी माना जाता हैं। जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। जिसकी संपूर्ण देखरेख एक पिशाच करता है।
4 पावागढ़ महाकाली मंदिर के प्रमुख स्थल
4.1 पावागढ़ का मंदिर परिसर | Mahakali Mandir Pavagadh

Mahakali Mandir Pavagadh कि सबसे अनोखी विशेषता। महाकाली की मूर्ति है। जो अन्य मंदिरों की मूर्ति से भिन्न है। जहां महाकाली की प्रतिमा लाल रंग की है। कहा जाता है कि मां की जुबान बाहर की ओर निकली हुई हैं। जो उग्र रूप को दर्शाती है। ओर यहां महाकाली की मुख्य मूर्ति दक्षिण मुखी है।
यहां की मान्यता है। की माता काली मूर्ति यहां स्वयं प्रकट हुई थी स्वयंभू मूर्ति। जहां प्राचीन समय से यह स्थान। तांत्रिकों ओर साधकों की भूमि रही है। जहां वर्तमान में मंदिर परिसर में विशाल घंटा लगा हुआ है। जिसको बचाने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती।
कहा जाता है कि यह घंटा। इतनी दिव्य ऊर्जा से भरपूर है। जिसको बजाने से इसकी आवाज दूर तक सुनाई देती है।
वही मंदिर के अंदर एक अखंड दीप जल रहा है। जिसे लगातार हजारों वर्षों से जलते हुए लोगों ने देखा है। यहां के भक्तों का मानना है कि। इस दीपक की लो में Mahakali Mandir Pavagadh की दिव्य शक्ति समाई हुई हैं।
पावागढ़ की महाकाली की मूर्ति के बारे में। एक अनोखी बात कही जाती है। की इस मूर्ति का स्वरूप दिन में बदलता रहता हैं। सुबह के समय महाकाली की मूर्ति कोमल ओर सौम्य दिखाई देती है।
इसके बाद दोपहर ओर रात्रि के वक्त। महाकाली की मूर्ति का चेहरा मां का रूप ओर भी अधिक उग्र हो जाता है।
कुछ भक्तों ने यह भी अनुभव किया है कि। जब वह मां की मूर्ति के सामने ध्यान लगाते है। तो मूर्ति की आंखों विशेष प्रकार की चमक ओर ऊर्जा का अनुभव महसूस होता है। जिसका रहस्य आज भी भक्तों ओर साधुओं के लिए बना हुआ है।
5 पावागढ़ महाकाली मंदिर के रहस्य और चमत्कार
Mahakali Mandir Pavagadh के। कई रहस्य है जो इसे ओर भी अधिक अद्भुत बनाती है।

माता महाकाली का रहस्य
भक्तों एवं पुजारियों का कहना है। की मंदिर में महा महाकाली की एक अदृश्य शक्ति हमेशा उपस्थित रहती है। जहां भक्तों ने कई बार महसूस किया। की जब वह मां से मन ही मन प्रार्थना करते है।
तो उनके पास किसी की मौजूदगी का अहसास होने लगता है। कुछ साधकों ने तो। यहां तक बताया है। की वह भोर के समय मंदिर के अंदर देवी की दिव्य छाया या प्रकाश देख चुके है।
जहां कोई भी महाकाली से सच्चे मन से मंगाता है। तो pavagadh mahakali maa उसकी इच्छाएं जरूर पूरी होती है।
अमावस्या की रात को मंदिर ( महाकाली ) का रहस्य
हर अमावस्या की रात को। कुछ विशेष साधक ओर तांत्रिक यहां pavagadh mahakali में साधना करने आते है। कहा जाता है रात में। महाकाली स्वयं प्रकट होकर। तांत्रिकों को आशीर्वाद प्रदान करती है।
कई लोगों ने यहां रात के समय। अजीबो गरीब आवाजे, दिव्य रोशनी ओर ऊर्जा प्रवाह महसूस करने की बाते बताई है।
मंदिर के निकट जल श्रोत का रहस्य
Mahakali Mandir Pavagadh के निकटतम एक गुप्त झरना है। जिसको जल को दिव्य ओर औषधिगणों से भरपूर माना जाता हैं।
कहा जाता है इस झरने का पानी कभी नहीं सूखता है। जहां स्नान करने से। तमाम रोगों से मुक्ति मिलती है। वही वैज्ञानिक भी इस जल में स्थित कई खनिजों को लेकर शोध कर चुके है।
लेकिन इस पानी का श्रोत। आज भी रहस्य बना हुआ है।
मंदिर के निकट गुप सुरंग का रहस्य
स्थानीय जनश्रुति के मुताबिक। Mahakali Mandir Pavagadh के पास कही एक गुप्त गुफा या द्वार है। जिसका उल्लेख सीधे पाताल लोक से जुड़ा हुआ देखने को मिलता है।
कहा जाता है यह गुफा रहस्यमय शक्तियों से भरपूर है। जिसमें यदि कोई प्रवेश करता है। तो वह दोबारा लौटकर नहीं आता है।
हालांकि कई साधुओं ने इस गुफा की खोज करने की कोशिश की। लेकिन उन्हें इस गुफा को खोजने में सफलता प्राप्त नहीं हुई।
वही यहां की मान्यता यह भी है कि। यह गुप्त द्वार महाकाली के दिव्य लोक या किसी सिद्ध योगियों की। रहस्यमयी दुनिया तक जाता है।
शिलालेखों का रहस्य
कहा जाता हैं कि Mahakali Mandir Pavagadh के पास। कई पुराने शिलालेख ओर पुराने पत्थरों पर अंकित रहस्यमय लिपि पाई गई है।
वही इतिहासकाओं ओर पुरातत्वविदों ने। इन शिलालेखो की भाषा को समझने की कोशिश की। लेकिन आज तक इन शिलालेखों को पढ़ा नहीं जा सका।
इसके बाद, कुछ मान्यताओं के अनुसार। यह लिपिया प्राचीन तांत्रिक साधनाओं और महाकाली के गुप रहस्यों से जुड़ी हो सकती हैं।
यह भी कहा है। की इन शिलालेखों में इसे गुप्त मंत्र भी लिखे गए है। जो तंत्र साधना से जुड़े। रहस्यों को प्रकट कर सकते है।
गुप्त खजाने का रहस्य

स्थानीय लोगों की मान्यताओं के मुताबिक। Mahakali Mandir Pavagadh ओर इसके आसपास के पर्वतों में। गुप्त खजाने के होने का दावा की भी किया जाता है।
यह कहा है कि पुराने समय में। राजा ओर तांत्रिक साधक। यहां अपने गुप्त खजाने छिपाया करते थे।
जहां मंदिर के आसपास तो कुछ लोगों ने तो खुदाई करने का प्रयास भी किया। लेकिन रहस्यमय घटना के कारण। उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हुई। वही कुछ लोगों ने बताया। की अंधेरी रात में pavagadh mahakali temple के आसपास कुछ चमकती हुई रौशनी भी देखी।
जो किसी खजाने की रक्षा करने वाली। दिव्य शक्ति हो सकती है।
पत्थरों का रहस्य
Mahakali Mandir Pavagadh के पास कुछ खास तरह के पत्थर पाए जाते है। जिनका उपयोग साधना ओर पूजा में किया जाता हैं। वही कहा जाता है इन पत्थरों में दिव्य ऊर्जा होती है।
तथा इनको अपने घर में रखने से। सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश होती है। भक्तों का मानना है कि। यदि कोई व्यक्ति महाकाली की सच्ची श्रद्धा से उपासना करता हैं।
तो उसे यह दिव्य पत्थर स्वाभाविक रूप से मिल जाते है। तांत्रिक अथवा साधक इन पत्थरों को। तंत्र साधना ओर विशेष अनुष्ठानों में इन पथरों का उपयोग करते हैं।
6 पावागढ़ महाकाली मंदिर की पौराणिक दंतकथाएं

यदि में बात करूं। पौराणिक कथाओं की। तो पौराणिक कथाओं के अनुसार। जब भगवान् शिव अपनी अर्धांगिनी। माता शती के मृत शरीर को लेकर। तांडव कर रहे थे।
तब सम्पूर्ण सृष्टि के संतुलन को बनाए रखने के लिए। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता शती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था।
इन्हीं स्थानों पर शक्ति पीठों की स्थापना हुई। कहा जाता है Mahakali Mandir Pavagadh में। माता सती के दाहिने पैर का अंग ( अंगूठा ) गिरा था। ओर यहां माता महाकाली की स्थापना हुई।
7 पावागढ़ के महाकाली मंदिर का इतिहास
काली माता के द्वारा राक्षस का वध करना ( राजा विक्रमादित्य का शासन )

यह बात बहुत समय पहले की है। जब Mahakali Mandir Pavagadh के आसपास के क्षेत्रों पर राजा विक्रमादित्य का शासन था। वही विक्रमादित्य को एक पराक्रमी, न्यायप्रिय और माता महाकाली का अनन्य भक्त माना जाता है।
राजा विक्रमादित्य के साम्राज्य बहुत समृद्ध था। जहां उनकी प्रजा राजा विक्रमादित्य को देवता के समान मानती थीं।
हालांकि एक दिन अचानक घटना घटित हुई। जिस घटना ने संपूर्ण राज्य को हिला कर दिया। वही राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में। एक भयानक राक्षस ”काल सुर” Mahakali Mandir Pavagadh ओर उसके आसपास के गांवों ( कस्बों ) में आतंक मचाने लगा।
वह राक्षस प्रत्येक पूर्णिमा की रात को। अनेकों गांवों पर हमला करता। हमले में वह फसलों को जलाता एवं निर्दोष लोग को। मौत के घाट उतार देता।
कहा जाता है उस राक्षस के पास अलौकिक शक्तियां भी मौजूद थी। जहां उसे कोई भी योद्धा परास्त करने में नाकामयाब था। उस समय जनता भयभीत थी। जहां वह राजा से इस समस्या के चलते। प्रार्थना करने लगी।
जहां Mahakali Mandir Pavagadh कि जनता बोलते हुए राजा से कहती है। की महाराज हम सभी को इस दैत्य से बचाइए।
हालांकि विक्रमादित्य ने भी यह ठान ली। की वह इस दैत्य का अंत करके ही रहेंगे। लेकिन जब राजा विक्रमादित्य। उस दैत्य से युद्ध करने को गए। तभी उस दैत्य ने अपनी अलौकिक शक्तियों का प्रयोग किया। जिसके चलते एक बार तो राजा की सेना को। हार का सामना करना पड़ा।
अब राजा विक्रमादित्य जान चुके थे। की यह कोई साधारण युद्ध नहीं है। इस युद्ध के मुख दिव्य शक्ति की आवश्यकता होगी।
वही पराजित होने के पश्चात्। राजा विक्रमादित्य ने Mahakali Mandir Pavagadh में जाकर। घोर तपस्या की शुरुआत की। जहां वह लगभग 40 दिनों तक। बिना भोजन ओर पानी के। मां की आराधना करते रहे।
आखिरकार एक दिन, जब वह काली मां की आराधना में लीन थे। तभी उनके सामने मां काली स्वयं प्रकट हुई।
जहां मां काली बोली। राजन तुमने सच्चे मन से मेरी उपासना की। जहां में तुम्हे अमोघ शक्ति प्रदान करूंगी। तभी मां काली ने। राजा विक्रमादित्य को एक दिव्य तलवार दी। ओर कहा इस तलवार से तुम। राक्षस काल सुर का वध कर सकते हो।
हालांकि तुम्हे याद रहे। यह तलवार केवल धर्म ओर सत्य के लिए। उपयोग में होनी चाहिए। उसी समय राजा विक्रमादित्य ने सिर झुकाकर। Mahakali Mandir Pavagadh का आशीर्वाद लिया।
ओर युद्ध के लिए वहां से निकल पड़े। जहां विक्रमादित्य ने अपनी दिव्य तलवार उठाई। ओर चल पड़े काल सुर के महल की तरफ। उसे मारने के लिए। लेकिन जब काल सुर ने राजा विक्रमादित्य को देखा। तो वह अत्यधिक क्रोधित हो गया।
जहां वह आकाश में उड़ते हुए गरजा। ओर बोला मुझे कोई नहीं पराजित कर सकता है। क्योंकि में अमर हु। वही विक्रमादित्य को महाकाली का आशीर्वाद प्राप्त था। जहां वह मयान से तलवार निकाली। ओर उस राक्षस के सारे मायाजाल नष्ट कर दिए।
हालांकि Mahakali Mandir Pavagadh यह युद्ध बहुत ही भयानक साबित हुआ। जैसे ही राजा विक्रमादित्य ने अंतिम वार किया। वही राक्षस ने भी एक महाशक्ति का प्रयोग किया। जहां राजा वही घायल हो गए।
जहां उसी वक्त आकाश में दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ। जिसमें महाकाली स्वयं प्रकट हुई। जिसने उस राक्षस को अपने त्रिशूल से वही भस्म कर दिया।
काल सुर वही चिल्लाया। ओर बोला महाकाली मुझे क्षमा करो। लेकिन मां काली बोली जो निर्दोष लोगों को परेशान करता है। उसका यही अंत होता है। ओर इस दौरान राक्षस वही जलकर भस्म हो गया। जहां उसके आतंक से। अब पूरा राज्य मुक्त हो चुका था।
युद्ध के पश्चात् राजा विक्रमादित्य ने मां के पैर पकड़ते हुए। उनका धन्यवाद किया। उसी समय मां बोली राजन। तुमने अपनी प्रजा के लिए महान् कार्य किया है। हालांकि में तुम्हे एक वरदान देती हु। जब तक Mahakali Mandir Pavagadh के पर्वत पर। जब तक मेरी पूजा अर्चना होती रहेगी। वही तुम्हारा नाम हमेशा अमर रहेगा।
उसी समय से Mahakali Mandir Pavagadh कि पूजा अर्चना अनंत काल से होती आ रही है।
आज भी कोई सच्चा भक्त। महाकाली के दर्शन करने जाता है। तो उसे राजा विक्रमादित्य की दिव्य शक्तियों का अनुभव भी महसूस होता है।
महमूद बेगड़ा का आक्रमण 15वीं शताब्दी
यह बात 15वीं शताब्दी की है। जब गुजरात का सुल्तान महमूद बेगड़ा ने। इस क्षेत्र ( Mahakali Mandir Pavagadh ) पर कभी आक्रमण किया था। उसने मंदिर की ताड़ने। ओर महाकाली की मूर्ति को नष्ट करने की सोची।
कहा जाता है युद्ध के दौरान। माता का दिव्य आशीर्वाद राजाओं ओर सैनिकों को मिलता था। जिसके चलते वह अदम्य शक्ति से लड़ाई लड़ते थे।
राजा का अहंकार ओर माता का क्रोध ( सर्वनाश राज्य। )
कहा जाता है Mahakali Mandir Pavagadh का यह क्षेत्र। कभी समृद्ध ओर शक्तिशाली राज्य हुआ करता था।
जहां के राजा ने एक बार। महाकाली की घोर उपेक्षा की थी। ओर उस राजा ने। अपने आप को सबसे शक्तिशाली घोषित कर लिया था।
कहा जाता है महाकाली को उस राजा का यह अहंकार सहन नहीं हुआ। जहां महाकाली ने उस राज्य को श्राप दे दिया। जिसके पश्चात इस राज्य पर समृद्ध मुगलों का आक्रमण हुआ। ओर पूरी नगरी तबाह हो गईं।
आज भी मंदिर के आसपास के खंडहर। इस रहस्य का गंवाई देते है। की यहां एक समृद्ध शहर हुआ करता था। जो समय के साथ विलुप्त हो गया।
8 पावागढ़ महाकाली की संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

Mahakali Mandir Pavagadh के गर्भगृह में। केवल विशेष पुजारी ही प्रवेश कर सकते है। बल्कि आम भक्तों का वहां जाना निषेध है। कहा जाता है मंदिर के अंदर इतनी तीव्र ऊर्जा है। की सामान्य व्यक्ति इसे सहन नहीं कर सकता।
कुछ भक्ति का तो यहां तक का कहना है। की कुछ ज्ञानि या अधर्मी व्यक्त मंदिर में प्रवेश्वकार जाए। तो उसे मानसिक ओर शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।
यह भी कहा जाता है। की मां महाकाली की मूर्ती अधिक रक्षक देवता उपस्थित रहते है। जो केवल सच्चे भक्तों को ही दर्शन देते है।
नवरात्री के दिनों महाकाल की रथ यात्रा
प्रत्येक साल में नवरात्री के दिन। Mahakali Mandir Pavagadh Gujarat की भव्य रथ यात्रा निकली जाती है। जहां महाकाली मूर्ति को एक विशेष रथ में विराजमान किया जाता हैं। जिसे भक्तों द्वारा रथ को खींचा जाता है।
कहा जाता है जब भी इस रथ को चलाया जाता है। तो इसके पहिए कीचड़ में नहीं फंसते है। चाहे मौसम कैसा भी क्यों न हो। भक्तों का कहना है। यह माता की असीम कृपा है। जो इस रथ को स्वयं चलाती है।
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9 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
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