Khajuraho Temple Mp का निर्माण चंदेल राजाओं द्वारा. अपनी ताकत, धर्म में विश्वास, और कला के शौक को दिखाने के लिए 85 मंदिर बनाएं। लेकिन आज 20-25 मंदिर ही बचे है।
1. खजुराहो मंदिर का परिचय | Khajuraho Temple Mp

मैं ललित कुमार, इतिहास का जानकार हूँ। वहीं मैंने अपने 6+ वर्षो के परिणाम के बाद, मैंने 2024 में Khajuraho Temple Mp में देखे। ये मंदिर मध्य प्रदेश में हैं और बहुत पुराने हैं। इसीलिए यूनेस्को विश्व धरोहर – यूनेस्को में खजुराहो की लिस्ट 240 दर्ज है। ये मंदिर करीब 950 से 1050 ईस्वी में बने थे।
वहां के लोगों ने बताया कि खजुराहो को पहले ‘खजूरपुरा’ कहते थे। इन मंदिरों में हिंदू और जैन धर्म की कला दिखाई देती है। पहले यहां 85 मंदिर थे, लेकिन अब केवल 25 बचे हैं। Khajuraho Temple Mp के मंदिर लगभग 700 साल तक जंगल में छिपे रहे।
फिर एक अंग्रेज इंजीनियर टी.एस. बर्ट द्वारा – खजुराहों मंदिर की खोज से पहले 1838 में इन्हें खोजा। पुराने लेखों में भी खजुराहो का नाम मिलता है, जिससे पता चलता है कि यह जगह बहुत पुरानी और महत्वपूर्ण है।
खजुराहो में अब लगभग 25 मंदिर बचे हैं। ये मंदिर एक छोटी जगह में हैं। पुराने इतिहास लिखने वाले जिन्होंने खजुराहो के बारे में लिखा है। जिनमें अल बिरूनी और इब्न बतूता शामिल है। इससे पता चलता है कि ये जगह बहुत पुरानी और ज़रूरी है।
1.1 मंदिरों की स्थापना

मैंने सुना है, Khajuraho Temple Mp में चन्देल राजाओं ने बनाए थे, लगभग 950 से 1050 ईस्वी के बीच। ये मंदिर बुंदेलखंड में हैं, जो उस समय चन्देल राजाओं की राजधानी थी। उन्होंने ये शानदार मंदिर अपनी ताकत, धर्म में विश्वास, और कला के शौक को दिखाने के लिए बनवाए।
मैंने देखा कि ये मंदिर नागर शैली वास्तुकला में बने हैं। इस शैली में मंदिर का मुख सूरज उगने की दिशा में होता है। मंदिरों की दीवारों पर भगवान, देवियाँ, अप्सराएँ और जीवन के चार लक्ष्य – धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष – की सुंदर चित्र कला है।
जब मुझे पता चला. चंदेल वंश के राजा भगवान शिव (Shiva) को मानते थे। उन्होंने विष्णु (Vishnu) और जैन धर्म के मंदिर भी बनवाए। इससे पता चलता है कि उस समय लोग अलग-अलग धर्मों को मानते थे और मिल-जुलकर रहते थे। खजुराहो में पहले लगभग 85 मंदिर थे. जो बहुत बड़े इलाके में फैले थे।
पर अब उनमें से केवल 20-25 मंदिर ही बचे हैं। चंदेल वंश के पहले राजा नानुक (831-845 ई.) के बाद, उनके उत्तराधिकारी तेजस्वी राजाओं ने भी Khajuraho Temple Mp में मंदिर बनवाने का काम जारी रखा। उनके समय में कला, धर्म और संस्कृति बहुत आगे बढ़ी.
खजुराहो के मंदिर सिर्फ पूजा की जगह नहीं थे, बल्कि ये लोगों के मिलने-जुलने और अपनी बातें कहने का भी जरिया थे। यहां, खजुराहो के मंदिर चंदेल राजाओं की धर्म और कला का अनोखा उदाहरण हैं। ये आज भी विश्व धरोहर के रूप में मौजूद हैं।
1.2 भौगोलिक स्थिति
मुझे पता है, Khajuraho Temple Mp में खजुराहो शहर के आसपास फैला हुआ है। यह छतरपुर शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। अगर आप देखना चाहें तो, यह झांसी का किला से 175 किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व में है और दिल्ली से 620 किलोमीटर दूर है।
Khajuraho Temple Mp तीन हिस्सों में बँटे हैं: पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी। आइए, इन तीनों के बारे में जानते हैं।
- पश्चिमी समूह: मेने देखा यहाँ ज़्यादातर मंदिर हिंदू भगवानों के हैं। ये खजुराहो के सबसे खास और बड़े मंदिर हैं।
- पूर्वी समूह: यहाँ जैन धर्म के सुंदर मंदिर हैं। ये मंदिर जैन धर्म की तरक्की के समय बने थे।
- दक्षिणी समूह: यहाँ कम मंदिर हैं, और ये ज़्यादातर हिंदू धर्म के लिए हैं।
खजुराहो, मध्य भारत का हिस्सा है। यहाँ की ज़मीन ज़्यादातर बलुआ पत्थर से बनी है, जिससे Khajuraho Temple Mp के बनाने में मदद मिली। यहाँ गर्मी में गर्मी और सर्दी में ठंड होती है। खजुराहो के मंदिर मध्य प्रदेश में हैं।
ये जगह इतिहास, संस्कृति और धर्म के लिए बहुत ज़रूरी है। यह मध्य भारत में घूमने के लिए एक अच्छी जगह है।
1.3 संरक्षण और वर्तमान स्थिति
Khajuraho Temple Mp को बचाना बहुत ज़रूरी है और थोड़ा मुश्किल भी। आज ये मंदिर यूनेस्को की लिस्ट में हैं, इसलिए इनकी सुरक्षा की जाती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण – ASI इनकी देखभाल करता है। वे मूर्तियों, डिजाइनों और मंदिरों को ठीक करते हैं,
साफ करते हैं और आसपास के वातावरण को सुरक्षित रखते हैं। मेने देखा Khajuraho Temple Mp को वैसा ही रखने और उनकी सुंदरता बनाए रखने के लिए हमेशा काम चलता रहता है। हाल ही में कुछ रिपोर्ट्स आई हैं जिनमें बताया गया है कि सुरक्षा में कुछ कमज़ोरियाँ हैं।
2017 में कुछ ऐसी घटनाएँ हुईं, जहाँ अनजान लोग अंदर घुस गए। मैंने देखा है कि सुरक्षा गार्ड उतने चौकन्ने नहीं रहते और गेट पर जाँच भी ठीक से नहीं होती। इससे इस पुरानी जगह की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। मुझे लगता है कि सुरक्षा को और बेहतर करने की ज़रूरत है।
2. खजुराहो मंदिरों की प्रमुख आरतियां, समय और दिनचर्या
Khajuraho Temple Mp में धार्मिक क्रियाएँ और आरती ज़्यादा पता नहीं हैं। मैं कंदरिया महादेव, देवी जगदंबा, चित्रगुप्त और पार्श्वनाथ मंदिर में पूजा और आरती के बारे में बताना चाहता हूँ। ये सब हिंदू रीति-रिवाज़ों से होता है।
2.1 संक्षेप में दिनचर्या का टाइमटेबल (आम और अनुमानित)
समय | गतिविधि |
---|---|
6:00 – 7:00 | प्रातःकालीन पूजा एवं आरती |
8:00 – 12:00 | मंदिर का दर्शन, भक्तजन की भीड़ |
12:00 – 13:30 | दोपहर की पूजा, भोग अर्पित |
13:30 – 18:00 | मंदिर खुला रहता है, दर्शन जारी |
18:30 – 20:00 | संध्या आरती, भजन-कीर्तन |
20:00 – 21:00 | प्रसाद वितरण और मंदिर बंदी |
21:00 – 22:00 | रात्रि पूजा (आंतरिक पुजारी द्वारा) |
2.2 खजुराहो मंदिरों की प्रमुख आरतियां और पूजा समय

1. सुबह की आरती (सुबह 6:00 से 8:00 बजे के बीच): मैंने खजुराहो के मंदिरों में जाकर देखा. Khajuraho Temple Mp में सुबह आरती से दिन शुरू होता है। भगवान की मूर्ति के सामने दीया जलाते हैं। धूप-अगरबत्ती भी जलाते हैं और मंत्र बोलते हैं। ये आरती कंदरिया महादेव, देवी जगदंबा, सूर्य देव (चित्रगुप्त मंदिर), और पार्श्वनाथ मंदिर में होती है।
2. दोपहर की पूजा (दोपहर 12:00 से 1:30 बजे): दोपहर में हल्की पूजा होती है। इसमें तुलसी, फूल और फल भगवान को चढ़ाते हैं। पुजारी लोग देवताओं को भोग लगाने के बाद ये पूजा करते हैं।
3. शाम की आरती (संध्या 6:30 से 8:00 बजे): ये आरती दिन की सबसे ज़रूरी आरती होती है। इसमें दीये जलाते हैं, घंटी बजाते हैं, शंख बजाते हैं और मंत्र बोलते हैं। Khajuraho Temple Mp में भजन गाते हैं, कीर्तन करते हैं, आरती करते हैं और प्रसाद (मीठा) देते हैं।
4. रात्रि पूजा (रात 9:00 से 10:00 बजे): रात को भगवान को आराम करने के लिए तैयार करते हैं। ये पूजा शांति से होती है। इसमें फूल, पत्ते और पानी भगवान को चढ़ाते हैं।
2.3 खजुराहो मंदिरों की दिनचर्या
- मंदिर की सुबह स्नान और सजावट: पुजारी भगवान की मूर्तियों को नहलाते हैं और फिर फूल, चंदन और रोली से सजाते हैं।
- ऊँघी और भजन: Khajuraho Temple Mp में सुबह भजन और मंत्रों से मंदिर का माहौल भक्तिमय हो जाता है।
- पूजा और भोग: भगवान को फल, फूल और मिठाई अर्पित की जाती है।
- मंदिर खुलने का समय: खजुराहो मंदिर सुबह 6-7 बजे खुलते हैं और रात को 8 बजे बंद हो जाते हैं।
- विशेष अवसरों पर योग और ध्यान: पुजारी ने बताया, शिवरात्रि, दशहरा और दीपावली जैसे खास दिनों पर विशेष पूजा और ध्यान होता है।
- प्रसाद देना: आरती के बाद भक्तों को प्रसाद दिया जाता है।
2.4 Khajuraho Temple Mp की प्रमुख आरतियां:

1. कंदरिया महादेव मंदिर की आरती: मैंने देखा, Khajuraho Temple Mp ये मंदिर भगवान शिव का है। और यहाँ सुबह और शाम को बड़ी आरती होती है। पत्थर के शिवलिंग पर दिए जलाकर, भजन गाकर पूजा करते हैं।
2. देवी जगदंबा मंदिर की आरती: यहाँ देवी माँ की प्रार्थना करके आरती करते हैं। फूल और दिए चढ़ाते हैं।
3. चित्रगुप्त मंदिर की आरती: ये मंदिर सूरज भगवान का है। सुबह जब सूरज निकलता है, तब आरती होती है। सूरज भगवान की मूर्ति को दीया दिखाते हैं और जल चढ़ाते हैं।
4. पार्श्वनाथ जैन मंदिर की आरती: मैंने देखा, जैन धर्म के हिसाब से यहां ध्यान करते हैं और ‘नमोकार मंत्र’ बोलते हैं। खास त्योहारों पर जैन तरीके से पूजा करके आरती करते हैं।
2.5 अतिरिक्त जानकारी
मेरे अनुसार Khajuraho Temple Mp में पूजा करने का तरीका अलग-अलग हो सकता है। क्योंकि हिन्दू मंदिरों में आरती होती है। जैन मंदिरों में पूजा ध्यान से की जाती है और “नमोकार मंत्र” बोलते हैं। ये सब मंदिर के पुजारी और समिति मिलकर करवाते हैं।
खजुराहो के मंदिरों में आरती और पूजा के बारे में जानना है तो मंदिर के फोन: +91‑755‑2558250, 2558270, 2558271 ई‑मेल: circlebho[dot]asi@nic.in पुजारी या ऑफिस में बात करें। कुछ मंदिर अपनी पूजा की जानकारी सबको नहीं देते।
सुबह से शाम तक, Khajuraho Temple Mp में भगवान की पूजा होती है। भक्त भी इसमें शामिल होते हैं और भगवान की प्रार्थना करते हैं।
3. खजुराहो मंदिर की पौराणिक दंतकथाओं का उल्लेख
1. चंद्रवर्मन के शुरुआत की कहानी
मेने सुना है, Khajuraho Temple Mp की सबसे मशहूर कहानी चंदेल राजाओं के पहले राजा, चंद्रवर्मन के जन्म की है। कहते हैं कि काशी में हेमवती नाम की एक ब्राह्मण की सुंदर बेटी थी। एक रात, वो चाँदनी में एक तालाब में नहा रही थी, तभी चंद्रमा को वो बहुत सुंदर लगी।
चंद्रदेव ने हेमवती से शादी के बारे में कहा, लेकिन हेमवती ने सामाजिक नियमों का हवाला देते हुए मना कर दिया। चंद्रदेव ने वादा किया कि उनका बेटा एक महान योद्धा और राजा बनेगा। फिर चंद्रवर्मन का जन्म हुआ, जिसने बाद में चंदेल वंश की स्थापना की।
हेमवती ने अपने बेटे को जंगल में छिपाकर पाला। चंद्रदेव ने उसे सपने में बताया कि जब चंद्रवर्मन 16 साल का होगा, तो वह एक महान राजा बनेगा और उसकी याद में एक सुंदर मंदिर बनवाएगा।
2. खजुराहो नाम की शुरुआत
खजुराहो नाम कैसे आया, इसके बारे में कई बातें कही जाती हैं। एक कहानी है कि यहाँ पहले खजूर के बहुत पेड़ थे, इसलिए इसे ‘खजूरवाहिका’ या ‘खजूरपुरा’ कहते थे। बाद में यही नाम बदलकर खजुराहो हो गया।
खजुराहो नाम की उत्पत्ति पर कई कहानियाँ हैं। एक कहानी कहती है कि इसे पहले “खजूरवाहिका” या “खजूरपुरा” कहा जाता था, क्योंकि यहाँ खजूर के पेड़ बहुत थे। दूसरी कहानी के अनुसार, इसे चंद्रदेव के नाम पर “चंद्रपुर” कहा गया, जो बाद में “खजुराहो” बन गया।
यहाँ खजूर शब्द के बारे में एक और बात बताई जा रही है: मेरी पढ़ाई के अनुसार, लोगों का मानना है कि “खजूर” शब्द संस्कृत के एक शब्द “क्षुद्र” से आया है, जिसका मतलब होता है “छोटा”। ऐसा माना जाता है कि इस जगह को यह नाम छोटी-छोटी पहाड़ियों की वजह से मिला है।
3. देवताओं का घर होना
Khajuraho Temple Mp को पुरानी कहानियों में देवताओं का घर माना जाता है। कहते हैं कि इंद्र, वरुण और अग्नि जैसे भगवान यहाँ रहते थे। इसलिए यहाँ मंदिरों में भगवानों की सुंदर मूर्तियाँ हैं।
एक कहानी है कि जब देवताओं और राक्षसों में लड़ाई हुई, तो देवताओं ने इस जगह को अपना घर बनाया और यहाँ तपस्या की।
4. खजुराहो: अप्सराओं का नाचने का स्थान
Khajuraho Temple Mp को अप्सराओं (स्वर्ग की सुंदर महिलाओं) का नाचने का स्थान मानते हैं। कहते हैं कि अप्सराएँ यहाँ नाचने आती थीं। इसलिए मंदिरों की दीवारों पर उनकी सुंदर मूर्तियाँ बनाई गई हैं। कहा जाता है कि जब चंदेल राजाओं ने ये मंदिर बनवाए, तो अप्सराओं ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि ये मंदिर हमेशा सुंदर दिखेंगे।
5. शिव और पार्वती की लीला वाली जगह
कहा जाता है कि Khajuraho Temple Mp में भगवान शिव और पार्वती यहाँ पर बहुत खेले थे। शिव ने यहाँ तांडव नृत्य किया था, और पार्वती भी उनके साथ थीं। इसलिए यहाँ शिव जी के कई मंदिर हैं, जहाँ उनके नाचने के सुंदर चित्र बने हैं।
6. कामदेव की तपस्या वाली जगह
मेरे देखने पर, कहानी यह है कि कामदेव ने यहाँ तपस्या की थी। जब शिवजी ने उन्हें जला दिया था, तब वो यहीं आकर दोबारा जन्म लेने के लिए तप करने लगे। इसलिए इस जगह पर प्यार और कामदेव से जुड़ी मूर्तियाँ बहुत हैं। (
7. सात ऋषियों का आश्रम
बहुत पुराने समय में, ये जगह सात बड़े ऋषियों का आश्रम था। कहते हैं कि विश्वामित्र, भारद्वाज और दूसरे ऋषियों ने यहाँ तपस्या की थी। उनके आशीर्वाद से ये जगह बहुत पवित्र और ताकतवर बन गई।
8. गुप्त सुरंगों की कहानी
खजुराहो के लोगों का मानना है कि Khajuraho Temple Mp के नीचे कुछ गुप्त (secret) रास्ते हैं। कहते हैं कि पुराने ज़माने में भगवान इन रास्तों से मंदिरों में आते-जाते थे।
9. चंद्रदेव का आशीर्वाद
मेने सुना है, द्रदेव ने आशीर्वाद दिया था. जहां चंद्रदेव ने कहा था कि जो भी ये Khajuraho Temple Mp देखेगा, उसे मन की शांति मिलेगी और वो भगवान के करीब जाएगा। इसीलिए आज भी बहुत सारे लोग यहाँ आते हैं।
4. खजुराहो मंदिर की प्रमुख संचनाए, वास्तुशिल्प
मैंने Khajuraho Temple Mp देखे। ये भारत की कला और कारीगरी का बहुत अच्छा नमूना हैं। ये मंदिर बताते हैं कि हिन्दू और जैन धर्म कैसे मिलकर रहते थे। मुझे उनका बनावट, सुंदर नक्काशी और धार्मिक चित्र बहुत पसंद आए। ये सब मिलकर भारत के पुराने मंदिरों की सबसे खास बात दिखाते हैं।
4.1 खजुराहो मंदिरों की प्रमुख वास्तुशिल्प विशेषताएं

1. स्तूपाकार शिखर और उपशिखर: Khajuraho Temple Mp की सबसे बड़ी पहचान है उनका ऊंचा शिखर। ये शिखर नागर शैली में बने हैं। बड़े शिखर के ऊपर छोटे-छोटे शिखर भी होते हैं, जिससे मंदिर पहाड़ जैसा दिखता है। शिखर के सबसे ऊपर अमृतघाट और आमलक होते हैं।
2. मंदिर के हिस्से: Khajuraho Temple Mp आमतौर पर इन भागों में बंटे होते हैं:
- गर्भगृह: यहां भगवान की मूर्ति होती है।
- मंडप: जहां भक्त पूजा करते हैं।
- अर्धमंडप: ये छोटे हॉल होते हैं।
- प्रदक्षिणा पथ: ये वो रास्ता है जहाँ भक्त भगवान के चारों ओर घूमते हैं। इन सब भागों को मिलाकर ही Khajuraho Temple Mp इतने सुंदर और विशाल लगते हैं।
3. ऊंची नींव और चबूतरा: Khajuraho Temple Mp ऊँचे चबूतरे पर बने हैं जो हल्के रंग के पत्थर से बने हैं। यह नींव मंदिर को मज़बूत रखती है। कुछ मंदिरों में काले पत्थर का भी इस्तेमाल हुआ है।
4. नक्काशी और मूर्तियाँ: Khajuraho Temple Mp अपनी सुंदर मूर्तियों के लिए बहुत मशहूर हैं। यहाँ लगभग 900 मूर्तियाँ हैं, जिनमें भगवान, देवियाँ, नाचने वाले, संगीतकार और योगी हैं। ये मूर्तियाँ जीवन के चार ज़रूरी हिस्सों को दिखाती हैं – धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष।
5. दर्शन और धार्मिक दिशा: Khajuraho Temple Mp सूरज उगने की तरफ बने हैं। मंदिर में भगवान के घर (गर्भगृह) के पास सुन्दर दरवाजे हैं, जिन पर फूल और भगवान की मूर्तियाँ बनी हैं।
6. पूजा पंथों का समावेश: खजुराहो में हिन्दू और जैन दोनों तरह के मंदिर हैं। मैंने पूरब की तरफ जैन मंदिर देखे। पश्चिम और दक्षिण में विष्णु और शिव भगवान के बहुत सारे मंदिर हैं।
4.2 खजुराहो मंदिर वास्तुकला के विशेष तत्व
वास्तुशिल्प तत्व | विवरण |
---|---|
शिखर और उपशिखर | मुख्य मंदिर के ऊपर छोटा शिखर |
गर्भगृह | मुख्य भगवान की मूर्ति या शिवलिंग रखने की जगह, यहाँ पूजा होती है |
मंडप और अर्धमंडप | खुले हॉल जहाँ लोग मिलते हैं, पूजा करते हैं और अन्य धार्मिक काम करते हैं |
प्रदक्षिणा पथ | गर्भगृह के चारों ओर रास्ता, जहाँ भक्त परिक्रमा करते हैं |
दीवारों की नक्काशी | दीवारों पर सुंदर मूर्तियां, जो जीवन, देवताओं, और नर्तकियों को दिखाती हैं |
नींव और चबूतरा | मजबूत आधार जो मंदिर को ऊँचा और सीधा रखता है |
प्रवेश द्वार | सुंदर दरवाज़े जो मंदिर के अंदर ले जाते हैं |
4.3 इमारत और संस्कृति से जुड़ी बातें
Khajuraho Temple Mp की दीवारों में खिड़कियाँ हैं और दीवारों के निचले हिस्से पर तिकोने डिज़ाइन बने हैं। ये खिड़कियाँ रोशनी करने और मंदिर को साफ़ दिखाने में मदद करती हैं। मूर्तियों की लाइनें, महिलाओं के हाव-भाव और धार्मिक कहानियाँ उस समय के जीवन की अमीरी दिखाती हैं।
Khajuraho Temple Mp को बनाने का तरीका पंचायतन शैली का है। इसमें चार मंदिर देवताओं के लिए होते हैं, और एक मंदिर उनके वाहन (सवारी) के लिए होता है। खजुराहो के मंदिर मेरे लिए सिर्फ़ भगवान में विश्वास के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि ये भारतीय संस्कृति और कला के बहुत ही खास उदाहरण भी हैं।
5. खजुराहो मंदिर के अद्भुत रहस्यों और चमत्कारों का अध्ययन
मैंने देखा, Khajuraho Temple Mp बहुत सुंदर और शानदार हैं। ये मंदिर अपनी कला और मूर्तियों के लिए मशहूर हैं। इन मंदिरों में कई रहस्य छिपे हैं और चमत्कारिक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। यहां की मिथुन मूर्तियां और अनोखा आर्किटेक्चर बहुत आकर्षक हैं।
5.1 प्रमुख रहस्य
1. कामुक मूर्तियों का रहस्य

Khajuraho Temple Mp में बहुत सारी प्रेम और काम की मूर्तियाँ हैं। लोग सोचते हैं कि इनका क्या मतलब है। कुछ लोगों का कहना है कि ये मूर्तियाँ हमें सिखाती हैं कि जीवन में क्या करना चाहिए – अच्छा काम, पैसा कमाना, प्रेम और खुशी, और आज़ादी।
यहाँ प्रेम और खुशी को बहुत ज़रूरी माना गया है। मंदिरों की बाहर की दीवारों पर प्यार और कामुकता की तस्वीरें हैं, लेकिन अंदर का मुख्य कमरा एकदम पवित्र है। इसका मतलब है कि भगवान तक पहुंचने के लिए दुनिया की चीज़ों का अनुभव करना ज़रूरी है।
कुछ लोग कहते हैं कि उस समय तंत्र-मंत्र का असर था। उसमें योग और मज़े दोनों को मुक्ति पाने का तरीका माना जाता था। ये मूर्तियाँ बताती हैं कि उस समय लोग कैसे सोचते थे और धर्म को कैसे मानते थे।
2. मंदिरों का वास्तुशिल्पीय रहस्य
खजुराहो के ज़्यादातर मंदिर एक खास तरीके से बने हैं। इनके ऊपर के हिस्से हिमालय के पहाड़ों जैसे दिखते हैं। इन पर की गई कारीगरी बहुत ही खास है, जो विज्ञान, गणित और खूबसूरती को मिलाकर बनाई गई है।
ये Khajuraho Temple Mp रेत के पत्थरों से बने हैं, जो बिना सीमेंट के एक-दूसरे में फंसे हुए हैं। ये दिखाता है कि उस समय के लोग इंजीनियरिंग में कितने माहिर थे।
3. इमारतों में छुपा चंद्रवंश का राज़
एक कहानी के अनुसार, चंदेल राजाओं की शुरुआत चंद्रवर्मन से हुई थी, जो चंद्रमा और हेमवती के मिलन से पैदा हुए थे। चंद्रमा ने हेमवती को सपने में बताया कि चंद्रवर्मन चंदेल वंश बनाएगा और बहुत सुंदर मंदिर बनवाएगा।
4. चौसठ योगिनी मंदिर का रहस्य
Khajuraho Temple Mp का चौसठ योगिनी मंदिर आज भी एक रहस्य है। यह तंत्र-मंत्र सीखने का बड़ा केंद्र था, जहाँ दुर्गा माँ के 64 रूपों की मूर्तियाँ थीं। आज ज़्यादातर मूर्तियाँ टूट चुकी हैं, लेकिन तंत्र-मंत्र के निशान अभी भी यहाँ मिलते हैं।
5.2 प्रमुख चमत्कारी घटनाएँ
1. शांति नाथ जैन मंदिर का चमत्कार
कहा जाता है कि शांति नाथ मंदिर में एक 14 फीट की मूर्ति को तोड़ने की कोशिश की गई थी। उसी समय, मूर्ति से दूध बहने लगा और मधुमक्खियों के एक झुंड ने हमलावरों को भगा दिया। इसलिए यह जगह “अतिशय क्षेत्र” (चमत्कार की जगह) मानी जाती है।
2. मतंगेश्वर महादेव का अद्भुत शिवलिंग
Khajuraho Temple Mp के मतंगेश्वर महादेव मंदिर में एक बहुत बड़ा शिवलिंग है। लोग कहते हैं कि यहाँ चाहे कितनी भी भीड़ हो, हर भक्त को शिवलिंग देखने का मौका आसानी से मिल जाता है। यहाँ पूजा करते समय कई अनोखी बातें होती हैं।
3. खो जाने और फिर मिलने की कहानी
Khajuraho Temple Mp के ज़्यादातर मंदिर लगभग 600 सालों तक जंगल में छुपे रहे थे. फिर 19वीं सदी में एक अंग्रेज़ अफ़सर ने उन्हें ढूंढ निकाला. इतने सालों तक मंदिरों का सही सलामत रहना एक हैरानी भरी बात है!
5.3 गहन आध्यात्मिक सन्देश
Khajuraho Temple Mp की मूर्तियाँ सिर्फ शारीरिक प्रेम या कामुकता नहीं दिखातीं। ये इंसान के जीवन के हर पहलू – शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक – को जोड़ती हैं। बाहरी दीवारें दुनियादारी दिखाती हैं.
वहीं अंदर का गर्भगृह आत्मा की तरक्की और मोक्ष की तरफ इशारा करता है। ये सच में कमाल का सन्देश है!
6. खजुराहो मंदिरों पर हुए आक्रमणों का वर्णन
Khajuraho Temple Mp हमारी पुरानी संस्कृति की एक ज़रूरी कहानी बताते हैं। चंदेल राजाओं ने इन्हें लगभग 1000 साल पहले बनवाया था। पहले यहाँ 85 मंदिर थे, पर हमलों और देखभाल की कमी से अब सिर्फ 20-25 ही बचे हैं।
6.1 मुख्य आक्रमण और विनाश की घटनाएँ
1. महमूद गजनवी का आक्रमण (1022 ई.): मशहूर विद्वान अल-बरूनी के अनुसार, 1022 में महमूद गज़नवी ने कालिंजर पर हमला किया, जो खजुराहो के पास है। उस समय हिंदू राजाओं ने पैसे देकर मंदिरों को थोड़ा बचाया। इस्लामी सेना मंदिरों में घुस नहीं पाई।
2. 13वीं से 18वीं शताब्दी—मुस्लिम शासन में मंदिरों का विनाश: महमूद गज़नवी के हमले के बाद Khajuraho Temple Mp में राजनीति ठीक नहीं रही। दिल्ली सल्तनत और दूसरे मुस्लिम शासकों का दबदबा बढ़ गया। 14वीं शताब्दी में मोरक्को के यात्री इब्न बतूता ने अपनी यात्रा के बारे में लिखा कि इस समय कई हिंदू मंदिरों को नुकसान हुआ या उन पर ध्यान नहीं दिया गया।
3. सिकंदर लोदी का अभियान (1495 ई.): 1495 में, लोदी वंश के राजा सिकंदर लोदी ने Khajuraho Temple Mp पर हमला किया। उन्होंने मंदिरों को तोड़ने और मूर्तियों को नष्ट करने की कोशिश की। इससे बहुत नुकसान हुआ।
4. कुछ और तबाही: मुस्लिम शासकों के हमलों के अलावा, खजुराहो दूर होने की वजह से कुछ मंदिर बच गए क्योंकि वे जंगल में छिपे थे। लेकिन समय के साथ, देखभाल न करने, मौसम खराब होने और मूर्तियों की चोरी से मंदिरों की हालत खराब हो गई।
5. मूर्तियों और कलाकृतियों को नुकसान: Khajuraho Temple Mp की कामुक मूर्तियों को लेकर समाज में कई बार झगड़े हुए हैं। कुछ लोग इन मूर्तियों को धर्म के खिलाफ मानते हैं और उन्हें तोड़ने की कोशिश करते हैं, जिससे कलाकृतियों को बहुत नुकसान होता है।
6.2 मंदिरों को बचाने की कोशिशें:
- Khajuraho Temple Mp में हिंदू और जैन लोगों ने मंदिरों को बचाने के लिए कई काम किए हैं।
- 1900 के दशक में, भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने इन मंदिरों को बचाने के लिए ज़रूरी कदम उठाए।
- 1986 में, यूनेस्को ने इन्हें विश्व धरोहर (World Heritage) में शामिल किया। इससे पूरी दुनिया में इनकी रक्षा करने में मदद मिलेगी।
7. खजूरपुरा मंदिर के प्रमुख स्थलों की सूची
1. कंदरिया महादेव मंदिर:

यह Khajuraho Temple Mp का सबसे बड़ा मंदिर है। और यह भगवान शिव का मंदिर है। यह बहुत ऊँचा है (लगभग 109 फीट)। इसकी दीवारों पर बहुत सारी सुन्दर मूर्तियाँ हैं (लगभग 900)। मंदिर के अंदर की सजावट बहुत अच्छी है।
यहाँ एक बड़ा शिवलिंग भी है, जो मुझे बहुत पसंद है। सावन और महाशिवरात्रि पर यहाँ बहुत भीड़ होती है। मुझे यहाँ अच्छा लगता है।
2. लक्ष्मण मंदिर: Khajuraho Temple Mp में ये मंदिर भगवान विष्णु जी का है। ये मंदिर बहुत मजबूत है और इस पर बहुत सुंदर मूर्तियाँ बनी हुई हैं। मंदिर के अंदर विष्णु जी की एक मूर्ति है, जिनके चार हाथ हैं। दरवाज़े पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियाँ हैं। ये खजुराहो का सबसे पुराना और खास मंदिर है। मैंने देखा यहाँ शांति बहुत मिलती है।
3. विश्वनाथ मंदिर: ये मंदिर भगवान शिव जी का है। यहाँ शिवलिंग और नंदी की बड़ी मूर्ति है। मंदिर में छोटे शिवलिंग और ब्रह्मा जी की तस्वीर भी है। ये सब मुझे बहुत पसंद हैं।
4. देवी जगदंबिका मंदिर:

Khajuraho Temple Mp में ये मंदिर देवी जगदंबिका को समर्पित है, जिन्हें देवी पार्वती या काली भी माना जाता है। यहां देवी की बहुत सुंदर मूर्ति है। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं और जानवरों की शानदार मूर्तियां बनी हुई हैं। मुझे इनकी सुंदरता देखकर बहुत अच्छा लगता है।
5. चित्रगुप्त (सूर्य) मंदिर: ये मंदिर सूर्य भगवान का है। मंदिर के अंदर सूर्य देव की सात फीट ऊंची मूर्ति है, जो सात घोड़ों के रथ पर बैठी हुई है। ये खजुराहो का अकेला सूर्य मंदिर है। मंदिर के बाहर, रोज की ज़िंदगी और अप्सराओं की मूर्तियां बनी हैं। यहां आकर मुझे बहुत अच्छा लगता है।
6. वराह मंदिर: ये मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार का है। यहाँ वराह की एक बड़ी मूर्ति है जो पत्थर से बनी है और बहुत सुंदर है। मेने आंखों से देखा, ये मंदिर देखने में सरल है, लेकिन बहुत खास है।
7. पार्वती मंदिर: ये मंदिर देवी पार्वती का है। ये अपनी सुंदर मूर्ति और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। मैं अक्सर यहाँ ध्यान करता हूँ।
8. लक्ष्मी मंदिर: ये मंदिर देवी लक्ष्मी का है। यहाँ की मूर्तियाँ बहुत सुंदर और जटिल हैं। हर मूर्ति मुझे एक कहानी कहती है।
9. जैन मंदिर (पूर्वी समूह): यहाँ जैन धर्म के मंदिर हैं, जैसे पार्श्वनाथ और आदिनाथ मंदिर। यहाँ पुराने लेख और जैन कला के सुंदर नमूने हैं। इन मंदिरों में जाना बहुत ही खास होता है। जैसे में खुद यहां गया.
8. खजुराहो मंदिर में पर्यटकों के भ्रमण का अध्ययन

मैं Khajuraho Temple Mp में खड़ा हूँ। में देखता हु, यह जगह मध्य प्रदेश में है और दुनिया भर में मशहूर है। यहाँ इतिहास, कला और धर्म सब एक साथ मिलते हैं। मैंने जब खजुराहो आने का सोचा, तो यहाँ की खास जगहें और चीज़ें मुझे बहुत अच्छी लगीं।
1. घूमने की खास जगहें
खजुराहो के मंदिर बहुत बड़े इलाके (6 वर्ग किलोमीटर) में फैले हैं। यहाँ 20-25 मंदिर हैं जिनकी देखभाल की जाती है। इन मंदिरों को तीन हिस्सों में बांटा गया है: पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी।
- पश्चिमी हिस्से के मंदिर: ये सबसे ज्यादा मशहूर हैं, जैसे कंदरिया महादेव मंदिर। इनकी बनावट बहुत सुंदर है और पत्थरों पर बेहतरीन कारीगरी की गई है।
- पूर्वी हिस्से के मंदिर: यहाँ जैन मंदिर हैं, जैसे पार्श्वनाथ मंदिर। ये मंदिर दिखाते हैं कि अलग-अलग धर्मों को यहाँ माना जाता है। यहाँ बहुत शांति मिलती है।
- दक्षिणी हिस्से के मंदिर: ये छोटे हैं और यहाँ भीड़ कम होती है। मैंने देखा, यहाँ आराम से समय बिताने में बहुत अच्छा लगता है।
Khajuraho Temple Mp के पास घूमने के लिए बहुत सी अच्छी जगहें हैं, जैसे अजयगढ़ का किला, कालिंजर का किला और पन्ना नेशनल पार्क। ये जगहें प्रकृति और रोमांच पसंद करने वालों को बहुत पसंद आएंगी.
2. मेरे आनंद के स्रोत
मैंने यहाँ के मंदिरों की सुंदरता देखी। मुझे यहाँ की मूर्तियाँ, पुरानी कहानियाँ और त्योहार बहुत अच्छे लगे। हर साल फरवरी में खजुराहो में डांस का एक बड़ा उत्सव होता है, जिसमें बहुत अच्छे डांस होते हैं। मैंने यहाँ का खाना और हाथ से बनी चीज़ें भी बहुत पसंद कीं।
शाम को रंगीन रोशनी में मंदिर देखना बहुत ही अच्छा अनुभव था। तब मैंने मंदिरों को और भी अच्छे से समझा।
3. सुविधाएँ और व्यवस्था
Khajuraho Temple Mp में पर्यटकों के लिए सुविधाएं ठीक थीं, पर मुझे लगा कि उनमें सुधार की ज़रूरत है। यहाँ अलग-अलग तरह के होटल और गेस्ट हाउस हैं, जो सस्ते से लेकर महंगे तक, हर तरह के विकल्प देते हैं। खजुराहो का एयरपोर्ट पास है, पर वहां से ज़्यादा उड़ानें नहीं मिलतीं।
इसलिए मैं आगरा या दिल्ली से आया। खजुराहो रेल से भी जुड़ा है, पर ट्रेन धीमी चलती है, इसलिए मैंने सड़क से (टैक्सी या बस से) जाना ज़्यादा पसंद किया। यहाँ घूमने के लिए ऑटो और टैक्सी आसानी से मिल जाती थीं।
सरकार ने पर्यटकों के लिए घूमने – खजुराहो मंदिर की जानकारी लेवे और टूरिस्ट सेंटर भी खोले थे। पर्यटकों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाता था। मुझे एक टूरिस्ट गाइड भी मिला, जो मंदिरों के बारे में जानकारी दे रहा था।
4. चुनौतियाँ और सुधार की दिशा
Khajuraho Temple Mp बहुत मशहूर है, लेकिन आजकल यहाँ कम विदेशी लोग आ रहे हैं। इसकी वजह है यहाँ आने-जाने में मुश्किल और अच्छी सुविधाओं की कमी। कुछ लोगों का कहना है कि अगर यहाँ आना-जाना आसान हो जाए, तो और भी लोग घूमने आएंगे।
इसलिए, अगर आप घूमने के लिए अच्छी जगह ढूंढ रहे हैं, तो खजुराहो आपके लिए बहुत बढ़िया हो सकती है!
8.1 खजुराहो मंदिर के पर्यटकों के लिए यात्रा मार्ग का विवरण

मैं Khajuraho Temple Mp देखने गया। यहाँ जाने के लिए तीन रास्ते हैं: सड़क, रेल और हवाई जहाज। चलो देखते हैं, आप कैसे जा सकते हैं।
खजुराहों से अलग अलग जगहों की दूरियों का छोटा चार्ट
खजुराहो के आसपास के गाँव और शहर कितनी दूर हैं, यह मैंने सड़क से पता किया। ध्यान रखें, रास्ते थोड़े बदल सकते हैं। खजुराहो, नेशनल और स्टेट हाईवे से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
स्थान का नाम | दूरी (किमी में) | विवरण |
---|---|---|
छतरपुर | लगभग 46 किलोमीटर दूर | जिले का मुख्यालय, खजुराहो से सबसे नजदीकी बड़ा शहर |
झांसी | लगभग 175 किलोमीटर दूर | उत्तर प्रदेश का प्रमुख शहर |
ग्वालियर | लगभग 283 किलोमीटर दूर | मध्य प्रदेश का बड़ा शहर |
भोपाल | लगभग 342 किलोमीटर दूर | मध्य प्रदेश की राजधानी |
महोबा | लगभग 54 किलोमीटर दूर | आसपास का शहरी क्षेत्र |
पन्ना | लगभग 50 किलोमीटर दूर | राष्ट्रीय उद्यान के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र |
आगरा | लगभग 350 किलोमीटर दूर | उत्तर प्रदेश का प्रमुख शहर, ताजमहल के लिए प्रसिद्ध |
दिल्ली | लगभग 650-667 किलोमीटर दूर | भारत की राजधानी |
वाराणसी | लगभग 350 किलोमीटर दूर | पवित्र शहर, धार्मिक महत्व का केंद्र |
इंदौर | लगभग 420 किलोमीटर दूर | मध्य प्रदेश का बड़ा शहर |
1. सड़क मार्ग
खजुराहो सड़क से कई शहरों से जुड़ा है। आप झांसी, महोबा, छतरपुर, सतना और पन्ना जैसी जगहों से यहाँ आ सकते हैं। दिल्ली से खजुराहो लगभग 650 किलोमीटर दूर है, और गाड़ी से 10-12 घंटे लगते हैं। यहाँ आने के लिए टैक्सी, बस और अपनी गाड़ी का इस्तेमाल कर सकते हैं। खजुराहो रेलवे स्टेशन से मंदिर सिर्फ 8 किलोमीटर दूर हैं।
2. रेल मार्ग
Khajuraho Temple Mp में एक रेलवे स्टेशन है। ये दिल्ली, झाँसी, आगरा, जयपुर, भोपाल और वाराणसी से जुड़ा है। अगर आपके शहर से सीधी ट्रेन नहीं है, तो आप झाँसी या सतना उतरकर बस या टैक्सी से खजुराहो जा सकते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर जाने के लिए ऑटो, टैक्सी और ई-रिक्शा मिलते हैं।
3. वायु मार्ग
खजुराहो में एक छोटा सा हवाई अड्डा है। ये हवाई अड्डा दिल्ली, वाराणसी, आगरा और काठमांडू से जुड़ा है। यहाँ से टैक्सी, कैब और बस आसानी से मिल जाती हैं। लेकिन, यहाँ ज्यादा उड़ानें नहीं होती हैं, इसलिए मैंने पहले से ही सब कुछ तय कर लिया।
4. स्थानीय आवागमन और सुविधाएँ
ज़रूरत पड़ने पर खजुराहो रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और एयरपोर्ट के बाहर हमेशा ऑटो और टैक्सी मिल जाते हैं। ये आपको मंदिर और होटल तक आसानी से पहुँचा देंगे। खजुराहों – मंदिरों के पास गाइड से संपर्क करें. जो आपको मंदिर और इतिहास के बारे में बताएँगे। यहाँ हर तरह के होटल और गेस्ट हाउस हैं, जो आपके बजट के हिसाब से मिल जाएंगे।
5. सुरक्षा व्यवस्था
Khajuraho Temple Mp की सुरक्षा खजुराहो मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन मिलकर करते हैं। मैंने खुद देखा, मंदिर के अंदर जाने से पहले सिक्योरिटी चेकिंग होती है। पर्यटकों के लिए पुलिस हमेशा मौजूद रहती है, खासकर त्योहारों और नृत्य महोत्सव जैसे आयोजनों के समय सुरक्षा और कड़ी कर दी जाती है।
6. बेहतर योजना और समय
खजुराहो घूमने के लिए अक्टूबर से मार्च का महीना अच्छा होता है क्योंकि मौसम अच्छा रहता है। जाने से पहले, आने-जाने का तरीका, टिकट और रहने की जगह पहले से बुक कर लो। इससे तुम्हारी यात्रा आसान हो जाएगी और तुम खजुराहो में मज़े कर पाओगे!
9. खजुराहो मंदिर का निष्कर्ष क्या कहता है

मैं विकिपीडिया – खजुराहो के मंदिर से प्राप्त जानकारी लेकर सोच रहा हूँ, जो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में हैं। इन्हें चंदेल राजाओं ने लगभग 1000 साल पहले बनवाया था। मुझे गर्व है कि ये मंदिर हिंदू और जैन धर्मों के लिए हैं। ये मंदिर भारत की कला का बहुत अच्छा नमूना हैं।
Khajuraho Temple Mp अपनी सुन्दर नक्काशी के लिए जाने जाते हैं। इनमें स्त्रियों और प्रेम की मूर्तियाँ हैं। ये मूर्तियाँ जीवन के अलग-अलग रंगों को दिखाती हैं। इसलिए ये मंदिर पूरी दुनिया में मशहूर हैं।
यह मंदिर का एक समूह है। पहले यहाँ लगभग 85 मंदिर थे, लेकिन अब केवल 20-25 ही ठीक हैं। अच्छी बात यह है कि ये मंदिर दिखाते हैं कि लोग अलग-अलग धर्मों को मानते थे और खुशहाल थे। यहाँ हिंदू और जैन मंदिर साथ-साथ हैं।
इन मंदिरों की नक्काशी दिखाती है कि भारतीय लोग धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष को बहुत महत्वपूर्ण मानते थे। खजुराहो के मंदिर बहुत खास हैं! ये सिर्फ पूजा की जगह नहीं, बल्कि भारत की कला और संस्कृति का खजाना हैं।
इनमें बने चित्र और इमारतें बताती हैं कि पुराने समय में भारत कितना आगे था। इतिहास जानने वाले और घूमने वाले लोग इन्हें देखने आते हैं। यूनेस्को ने भी माना है कि ये पूरी दुनिया के लिए ज़रूरी हैं।
Khajuraho Temple Mp भारत की संस्कृति और धर्म के लिए बहुत ज़रूरी हैं। ये दिखाते हैं कि कला, इतिहास और धर्म कैसे मिलकर रह सकते हैं। हर साल बहुत सारे लोग इन्हें देखने आते हैं। ये मंदिर बताते हैं कि भारत में चीज़ें बनाने का तरीका कितना अच्छा था और ये दुनिया भर में मशहूर हैं।
10. खजुराहो मंदिर पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | FAQs
प्रश्न 1. खजुराहो मंदिर कहाँ है?
उत्तर यह मंदिर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के खजुराहो में है।
प्रश्न 2. Khajuraho Temple Mp का निर्माण किसने कराया?
उत्तर इनका निर्माण चंदेल वंश के राजाओं ने 950 से 1050 ईस्वी के बीच किया।
प्रश्न 3. खजुराहो में कितने मंदिर समूह हैं?
उत्तर यहाँ तीन मुख्य मंदिर समूह हैं: पश्चिमी, पूर्वी, और दक्षिणी।
प्रश्न 4. यहाँ किस-किस धर्म के मंदिर हैं?
उत्तर यहाँ हिंदू और जैन दोनों धर्मों के मंदिर हैं। ये धार्मिक सहिष्णुता का एक सुंदर उदाहरण हैं।
प्रश्न 5. खजुराहो में कितने मंदिर अभी भी मौजूद हैं?
उत्तर पहले यहाँ लगभग 85 मंदिर थे, अब करीब 20-25 ही संरक्षित रह गए हैं।
प्रश्न 6. इन मंदिरों की वास्तुकला की शैली क्या है?
उत्तर ये मंदिर नागर शैली, यानी उत्तर भारतीय मंदिर शैली में बनाए गए हैं।
प्रश्न 7. खजुराहो मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण क्या है?
उत्तर इनकी अद्भुत मूर्तिकला, खासकर देवी-देवताओं, अप्सराओं और कामुक आकृतियों के लिए ये प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 8. यहाँ के सबसे प्रसिद्ध मंदिर कौन से हैं?
उत्तर कंदरिया महादेव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, और देवी जगदंबिका मंदिर प्रमुख हैं।
प्रश्न 9. क्या खजुराहो के मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल हैं?
उत्तर हाँ, खजुराहो के मंदिरों को 1986 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला है।
प्रश्न 10. मंदिरों के निर्माण में कौन सी सामग्री का इस्तेमाल हुआ?
उत्तर मुख्य रूप से बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट का उपयोग किया गया है।
प्रश्न 11. मंदिर किस दिशा में हैं?
उत्तर लगभग सभी मंदिर पूर्व दिशा में हैं, ताकि सूर्य की किरणें गर्भगृह तक पहुँच सकें।
प्रश्न 12. ये मंदिर कब तक सक्रिय रहे?
उत्तर 12वीं सदी तक यहाँ पूजा होती रही, लेकिन उसके बाद ये उपेक्षित हो गए।
प्रश्न 13. यहाँ घूमने का समय कितना लगेगा?
उत्तर पूरे मंदिर समूह को देखने में कम से कम 6 घंटे और अच्छे से समझने के लिए पूरा दिन चाहिए।
प्रश्न 14. क्या यहाँ गाइड उपलब्ध हैं?
उत्तर हाँ, सरकारी मान्यता प्राप्त गाइड्स मंदिर परिसर में हैं। ये इतिहास और शिल्प के बारे में जानकारी देते हैं।
प्रश्न 15. प्रवेश शुल्क और समय क्या है?
उत्तर पश्चिमी समूह में प्रवेश शुल्क है, बाकी समूहों में प्रवेश मुफ्त है। मंदिर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक खुले रहते हैं।