Kumbhalgarh Fort Rajasthan India: परिचय, युद्ध, स्थल, भ्रमण

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जाने Kumbhalgarh Fort Rajasthan India का इतिहास. जिसे जितने में छूट गए थे मुगलों के पसीने। जिसे कहते है इतिहास में अजय दुर्ग। जिसकी दीवार है भारत की महान् दीवार

Table of Contents ( I.W.D. )

1. कुंभलगढ़ दुर्ग का परिचय | Kumbhalgarh Fort Rajasthan India 

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India
चित्र 1 कुंभलगढ दुर्ग को दर्शाया गया है

मैं इतिहास विशेषज्ञ डॉक्टर ललित कुमार, अपने पिछले 6 वर्षों के अनुभवों के आधार पर. Kumbhalgarh Fort Rajasthan India के राजसमंद जिले में मैंने कुंभलगढ़ का किला देखा. जो राजसमंद से तकरीबन 80 किलोमीटर दूर है। यह एक ऐतिहासिक किला है

और राजपूती-राजस्थानी वास्तुकला का अच्छा नमूना है। पहले इसका नाम मछिंद्रपुर था। जब मैं वहाँ गया, तो यह जानकर गर्व हुआ कि यह दुनिया के बड़े किलों में से एक है और राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला है (चित्तौड़गढ़ किला के बाद).

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India को सिसोदिया राजवंश के राजा महाराणा कुम्भा ने बनवाया था। इतिहासकार होने के कारण मुझे पता है कि इस किले का निर्माण महाराणा कुम्भा ने 15वीं सदी (1443 ईस्वी) में करवाया था।

32 किलों में सबसे बड़े किले का नाम उन्होंने अपने नाम पर कुंभलगढ़ रखा। आज इसे देखकर इसकी खूब सुंदर स्थापत्य कला और भव्यता मुझे मंत्रमुग्ध कर देती है। यह अरावली पहाड़ियों के बीच है और Kumbhalgarh Fort Rajasthan India की ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 1,100 मीटर (3,600 फीट) है। मुझे खुशी है कि मेवाड़ के मशहूर राजपूत वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म भी यहीं हुआ था.

मैंने पढ़ा कि महाराणा प्रताप ने हल्दी घाटी की लड़ाई के बाद उन्होंने अपनी ज़्यादातर ज़िंदगी इसी किले में बिताई। माता पन्नाधाय द्वारा चित्तौड़गढ़ से महाराणा उदय सिंह को बचाकर यहाँ लाकर उनका पालन-पोषण करने की कहानी ने मुझे बहुत प्रभावित किया।

जब मैंने Kumbhalgarh Fort Rajasthan India की दीवारें देखीं, तो मैं हैरान हो गया. कहा जाता है कि दुनिया की सबसे बड़ी दीवार के बाद कुंभलगढ़ की दीवार दूसरी सबसे लंबी है. उसकी लंबाई लगभग 36 किलोमीटर और चौड़ाई 21 फीट है, जहाँ 10 घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं.

यात्रा के समय मुझे पता चला कि कुंभलगढ़ को “मेवाड़ की आँख” भी कहा जाता है. इसे अजयगढ़, मछिंद्रपुर, कुंभलमेर और कुंभलमेरु जैसे नामों से भी जाना जाता है. मुझे यह जानकर गर्व हुआ कि यह किला 2013 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना.

(Source: UNESCO World Heritage Centre UWHC) अबुल फजल ने जो लिखा है, वह मुझे याद आता है: अगर Kumbhalgarh Fort Rajasthan India को नीचे से ऊपर देखा जाए, तो हमारी पगड़ी नीचे गिर जाएगी. मेने एक बात यह भी देखी है, की चित्तौड़गढ़ के बाद दुर्गमता के मामले में कुंभलगढ़ दूसरा है.

आज यह किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में है. इस किले का इतिहास और संस्कृति पढ़कर मुझे बहुत गर्व हुआ, और मैं इसे अपने शोध का हिस्सा बनाना चाहता हूँ.

2 कुंभलगढ़ दुर्ग की निर्माण प्रक्रिया एवं वास्तुशिल्प

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India
चित्र 2 कुंभलगढ दुर्ग के निर्माण कार्य ओर वास्तुशिल्प को दर्शाता है

यह कहानी राजस्थान की मेरी यात्रा की है। मैंने Kumbhalgarh Fort Rajasthan India देखने का मौका पाया और जानकर खुशी हुई कि इसे 15वीं सदी में महाराणा कुम्भा ने बनवाया था। (Source: Rajasthan Tourism Official Website) जब मैं गहराई में गया,

तो समझ आया कि यह किला राजस्थान के सबसे बड़े और मजबूत किलों में से एक है। मैंने सुना कि इसे लगभग 15 वर्षों में 1443 से 1458 के बीच पूरा किया गया। जब मैं किले की तरफ बढ़ा, मैंने देखा कि यह घाटियों और पहाड़ों के बीच बनाया गया है।

महाराणा कुम्भा ने Kumbhalgarh Fort Rajasthan India को अपने राज्य की सुरक्षा के लिए बनवाया। गर्व महसूस हुआ कि इस किले के मुख्य वास्तुकार मंडन जी थे, जिन्होंने महाराणा के निर्देशों के अनुसार इसे बहुत मजबूत और रणनीतिक तरीके से बनवाया।

जब मेरी नजर अरावली पर्वतमाला की 13 पहाड़ियों पर फैले इस किले पर पड़ी, मैं अ SHOreshocked नहीं। यह किला समुद्र तल से लगभग 1100 मीटर ऊँचाई पर है और सच में अद्भुत दिखता है। इसकी खास बात इसकी बड़ी दीवार है:

लगभग 36 किलोमीटर लंबी और 7 मीटर चौड़ी। मैंने सुना था कि इसे “भारत की महान दीवार” कहा गया है, और यह जानकर खुशी हुई कि चीन की दीवार के बाद यह दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार है। मैं सोच रहा था कि इतनी चौड़ी दीवार पर तीन-चार घोड़े एक साथ चल सकते होंगे।

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India की सुरक्षा व्यवस्था को मैं बहुत प्रभावी मानता हूँ। सात से दस मुख्य द्वार, जैसे राम पोल, हनुमान पोल और भैरों पोल, मुझे खास लगे। इनका घुमावदार और जटिल बनावट दुश्मन को भटकाती है। दरवाजों में लगे नुकीले किले और 90 डिग्री वाले प्रवेश द्वार उस समय की युद्धनीति को दिखाते हैं।

किले के अंदर घूमते हुए मैंने कई बांध और बावड़ियाँ देखीं, जो जल प्रबंधन के लिए बनाई गई थीं। पता चला कि वर्षा का पानी इकट्ठा करके किले की जल आपूर्ति चलाई जाती थी, यह जानकर अच्छा लगा। उत्तर दिशा का पैदल रास्ता “टूटियां का होड़ा” देखा,

तो वह बहुत रोचक लगा। पूर्व दिशा का रास्ता “दाणी वाह” और पश्चिम दिशा का “हीरा बाड़ी” भी देखा। किले की वास्तुकला ने मुझे बहुत प्रभावित किया। यहाँ 360 से अधिक मंदिर हैं, जिनमें हिन्दू और जैन दोनों के मंदिर हैं।

नीलकंठ महादेव मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर, बावन देवरी और गणेश मंदिर देखकर मैं हैरान रहा। बादल महल और कटारगढ़ दुर्ग जैसे महल भी दिखे, जहां महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। इन जगहों में धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समृद्धि साफ़ महसूस होती है।

स्थानीय गाइड से मैंने एक दिलचस्प कहानी सुनी: किले की दीवारें रात में गिर जाती थीं, दिन में बनती थीं। लोग सोचते थे यह देवी-देवताओं की शक्ति से होता है। बाद में एक ऋषि ने भक्ति में बलिदान दिया, और जहाँ उनका सिर गिरा, वहाँ भैरों पोल द्वार बना।

जब मैं Kumbhalgarh Fort Rajasthan India गया, तो श्रद्धा से भर गया। मेरे अनुभव में Kumbhalgarh Fort महाराणा कुंभा की दूरदर्शिता, शिल्पकार मनदन की कला और मेवाड़ की सैन्य योजना का महान मिश्रण है। इसकी बड़ी दीवारें, मजबूत सुरक्षा, जल प्रबंधन की कुशलता और धार्मिक-सांस्कृतिक विविधता इसे राजस्थान ही नहीं,

पूरे भारत के प्रमुख किलों में से एक बनाती हैं। यह यात्रा मुझे एहसास दिलाती है कि यह किला मेवाड़ की वीरता और समृद्धि का प्रतीक है, और इसे देखना मेरे जीवन का एक खास अनुभव रहा।

3 कुंभलगढ़ दुर्ग के कुछ प्रमुख स्थल 

3.1 कुम्भा महल

जब मैं Kumbhalgarh Fort Rajasthan India के कुम्भा महल पहुँचा, तो मैं बहुत खुश हुआ. यही वहीं जगह है जहाँ महाराणा कुम्भा रहते थे. यहाँ राजपूत शैली की खूबसूरत बातें दिखती हैं. महल के छोटे, थोड़े अंधेरे कमरे देखते ही मुझे लगता है कि इन्हें ऐसी बनाई गईं.

ताकि जब भी कोई बाहर से आया आक्रमणकारी भीतर आए, उसे सिर झुकाकर आना पड़े और सामने बैठा व्यक्ति जल्दी समझ सके कि क्या हो रहा है. कमरे साधारण थे, मानो शरण के लिए बनाये गए हों. यहाँ की शांति और इतिहास की आवाज़ मुझे गहराई से छू गई.

3.2 बादल महल

इसके बाद मैं बादल महल गया, जिसे राणा फतेह सिंह ने 1885 से 1930 के बीच बनवाया था. यह दो मज़िलों की इमारत है, जिसमें जनाना महल और मर्दाना महल अलग-अलग हैं, और इनके बीच एक बारामदा है. मैं सीढ़ियाँ चढ़कर किले की छत पर पहुँचा,

तो जाना कि बादल महल में वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था. यह जानकारी मिलते ही मेरा दिल गर्व से भर गया.

3.3 जैन मंदिर | kumbhalgarh fort rajasthan

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India
चित्र 3 कुंभलगढ दुर्ग में स्थित मंदिरों को दर्शाता है

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India में घूमते हुए मैंने करीब 300 जैन मंदिर देखे। खास तौर पर पार्श्वनाथ, ऋषभदेव और नेमीनाथ जैन मंदिर प्रसिद्ध हैं। जब मैं इन मंदिरों में गया, वहाँ की शांति और संस्कृति ने मुझे प्रभावित किया।

पुराने पत्थरों पर की गई नक्काशी और सुंदर खंभे वास्तुकला की नयी दुनिया दिखाते थे, जो मुझे हमेशा याद रहेंगी। 

3.4 कृष्ण मंदिर

फिर मैं कृष्ण मंदिर गया, जो भगवान कृष्ण को समर्पित है। यहाँ लोग पूजा करते दिखे, खासकर जन्माष्टमी जैसे त्योहारों पर बहुत भक्त आते हैं। मंदिर के चारों ओर मेवाड़ और राजस्थानी कला का संगम दिखा, जिसकी दीवारों पर नक्काशी और खंभों पर मूर्तियाँ उस समय की कहानियाँ सुना रही थीं।

3.5 नीलकंठ महादेव मंदिर

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India में नीलकंठ महादेव मंदिर की ओर बढ़ते समय मेरी उत्सुकता बढ़ रही थी। महाराणा कुम्भा ने इसे 1458 में बनवाया था। जब मैं मंदिर में गया, तो लगभग 5 फीट ऊँचा शिवलिंग देखकर मन श्रद्धा से भर गया।

यहाँ महाराणा कुम्भा खुद जल विसर्जन किया करते थे। यह पल मेरे लिए बेहद खास और आध्यात्मिक अनुभव था।

3.6 गणेश मंदिर

आखिरकार मैंने Kumbhalgarh Fort Rajasthan India गणेश मंदिर देखा, जिसे कश्मीर Fort Rajasthan का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है। किले के दरवाजे के पास बैठी गणेश की विशाल प्रतिमा ने मुझे आकर्षित किया। यह मंदिर 15वीं शताब्दी में महाराणा कुम्भा के समय बनवाया गया।

मंदिर की संरचना मजबूत पत्थरों से है और राजस्थान की स्थापत्य कला का गहरा प्रभाव दिखता है। दीवारों पर जटिल नक्काशी और मूर्तिकला ने किले की history को और भी स्पष्ट किया।

4 कुंभलगढ़ दुर्ग के सभी युद्ध ओर आक्रमण 

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India राजस्थान हमेशा से मेरे लिए एक रहस्यमय और मजबूत किला रहा है। स्थानीय लोग कहते हैं कि इस किले में देवी-देवताओं का वास है, शायद इसी वजह से इतने सालों तक इसे कोई नहीं जीता।

जब मैं इस किले की ऊंचाई पर खड़ा था, समुद्र तल से लगभग 3,600 फीट ऊपर, तो समझ में आया कि इसे जीतना बहुत कठिन होगा। इसलिए इसे “अजयगढ़ दुर्ग” भी कहा जाता है। 

4.1 गुजरात के सुल्तान अहमद शाह का आक्रमण ( 1411·1412 ) ईस्वी 

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India
चित्र 4 कुंभलगढ किले में हुए आक्रमण को दर्शाता है

इतिहास पढ़ते समय मैंने जाना कि Kumbhalgarh Fort Rajasthan India में 1411–1412 में गुजरात के सुल्तान अहमद शाह ने इस दुर्ग पर हमला किया। अहमद शाह गुजरात सल्तनत के पहले संस्थापक थे, जिन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए.

राजस्थान के कई क्षेत्रों पर हमला किया। उनकी बड़ी सेना ने किले को चारों तरफ से घेर लिया। पर मैं इन दीवारों को छूते समय महसूस कर सकता था कि इनकी मज़बूती और महाराणा कुम्भा की योजना दुश्मनों (अहमद शाह की सेना) को पीछे हटाने में कैसे काम आई।

मुझे गर्व हुआ कि उस समय राजपूत सैनिक किले को सुरक्षित रख पाए।

4.2 मालवा के सुल्तान महमूद खिलची का आक्रमण ( 1458 ईस्वी ) 

1458 में मालवा के सुल्तान महमूद खिलची ने Kumbhalgarh Fort Rajasthan India पर हमला किया। उनका मुख्य उद्देश्य मेवाड़ की शक्ति को तोड़ना था। महमूद की सेना ने किले को चारों ओर से घेर लिया, लेकिन किले की ऊंचाई और दीवारों की मजबूती के कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा।

जब मैं किले की ऊँचाई से घाटियाँ देख रहा था, तो सोचा कि इतनी ऊँची दीवारें पार करना उनके लिए कितना मुश्किल रहा होगा। इतिहास कहता है कि महाराणा कुम्भा ने फिर भी इस आक्रमण को रोक लिया।

4.3 गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह का आक्रमण ( 1535 ईस्वी ) 

मुझे यह भी पता चला कि गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने पहले चित्तौड़गढ़ फिर Kumbhalgarh Fort Rajasthan India पर हमला किया। और जीत हासिल की। इसके बाद, उन्होंने कुंभलगढ़ दुर्ग पर भी आक्रमण किया।

लेकिन रक्षा देखने पर और वीर सैनिकों के कारण समझ आता है कि उनकी सेना यहाँ टिक नहीं पाई। 

4.4 मुगल बादशाह अकबर का आक्रमण ( 1576 ईस्वी ) 

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India
चित्र 5 kumbhalgarh fort rajasthan में हुए आक्रमण को दर्शाता है

बादशाह अकबर ने मेवाड़ के कई किले जीते थे। चित्तौड़गढ़ गिरने के बाद उनका अगला लक्ष्य Kumbhalgarh Fort Rajasthan India किला था। मैं, इतिहासकार ललित कुमार, कहता हूँ कि इसे राजा मान सिंह ने हाथों-हाथ घेर लिया था।

लेकिन किले की दीवारें मजबूत थीं, इसलिए अकबर की सेना पीछे हट गई। फिर उन्होंने एक नई योजना बनाई। किले के पानी के स्रोत को गंदा कर दिया ताकि वहां रहने वाले लोग पानी नहीं पा सकें। पानी-खाने की कमी से मुश्किल बढ़ी,

और अंत में कई लोग हार मानकर आत्मसमर्पण कर बैठे। यह पहली बार था जब कुम्भलमेर किला मुगलों के कब्जे में आया, और इसका बड़ा कारण पानी की कमी बनी। जब घेराबंदी पूरी हुई, लोग पानी के अभाव से मजबूरन आत्मसमर्पण कर गए, और मुगलों ने किले पर नियंत्रण कर लिया।

4.5 औरंगजेब का आक्रमण (17वीं शताब्दी)

यह कहानी 17वीं शताब्दी की है. जब मैंने सुना कि औरंगजेब ने अपनी ताकतवर सेना के साथ Kumbhalgarh Fort Rajasthan India पर हमला किया. कहा जाता है कि उसके पास बड़ी सेना थी, जिससे उसने इस किले को जीतने की कोशिश की.

पर मेवाड़ी सैनिकों का मजबूत विरोध और किले की ठंडी जगह के कारण औरंगजेब को पहली बार सफलता नहीं मिली. यह बात मेरे लिए एक अहम अध्ययन बन गई, क्योंकि इससे किले की इतिहासिक महत्ता समझ आती है.

4.6 मराठों का आक्रमण (18वीं शताब्दी)

अब मैं 18वीं शताब्दी की बात कर रहा हूँ, जब मुगल साम्राज्य कमजोर पड़ने लगा था. इसी समय मराठों ने मौका लोटाया और राजस्थान में उनकी शक्ति बढ़ने लगी. मैंने पढ़ा कि मराठी साहसियों ने Kumbhalgarh Fort Rajasthan India राजस्थान पर हमला किया.

और उसे अपने कब्जे में ले लेने की कोशिश की. लेकिन किले के रक्षा करने वालों ने आखिरी साँस तक लड़ाई जारी रखी. आखिरकार मराठा सेना के सामने कुम्भलगढ़ के लोग हार मान गए, और किला मराठों के हाथ लग गया.

यह Kumbhalgarh Fort Rajasthan India के इतिहास का एक नया मोड़ था, जिसे मैं हमेशा याद रखूँगा।

4.7 ब्रिटिश काल (19वीं शताब्दी)

अब मैं बताता हूँ कि 18वीं और 19वीं शताब्दी में भारत ब्रिटिश शासन के समय क्या हुआ। उस समय 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश सरकार ने राजस्थान के कई किलों को अपने कब्जे में ले लिया।

मैंने देखा कि उन्होंने Kumbhalgarh Fort Rajasthan India राजस्थान को भी अपने प्रशासन के लिए ले लिया। लेकिन उनकी सरकार ने इस किले का काम-काज सिर्फ प्रशासन के लिए किया, जिससे किले की लड़ाकू ताकत कम हो गया।

यह मेरे लिए दुख की बात थी, क्योंकि इस किले के सैनिक इतिहास को कम समझा गया।

5 कुंभलगढ़ किले के रहस्य ओर चमत्कार 

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India
चित्र 6 कुंभलमेरू की लंबी दीवार को दर्शाया गया है

यह किताब मुझे काफी गाँव-सी लगती है। जब मैंने Kumbhalgarh Fort Rajasthan India के बारे में सुना, तो पता चला कि यहाँ की कुछ दिव्य शक्तियाँ किले के बनने में रोड़ा बन रहीं थीं। कहते हैं कि राणा कुंभा ने भैरव मुनि ऋषि की बलि देकर किले का काम पूरा किया था।

यह बात मुझे गहराई से दिलचस्प लगती है। कुम्भलगढ़ के बारे में लोग कहते हैं कि यहाँ कुछ देवी-देवियाँ रहती हैं जो दुर्ग की रक्षा करती हैं। मुझे भी ऐसा लगता है कि इसी वजह से इसे आज तक कोई जीत नहीं सका। जब मैं किले की दीवारें देखता हूँ, तो गर्मजोशी से नहीं,

बल्कि उन रहस्यमय शक्तियों की मौजूदगी महसूस होती है जो इसे सुरक्षित रखती हैं। Kumbhalgarh Fort Rajasthan India में कई रहस्यमय सुरंगें भी हैं, जिनके बारे में मैंने लोगों से काफी कहानियाँ सुनीं। लोग कहते हैं कि आपातकाल में लोग इन सुरंगों से बचकर निकलते थे।

आज भी ये सुरंगें मेरे लिए एक राज हैं। जब भी मैं यहाँ आता हूँ, इन सुरंगों को देखना और उनका राज समझना चाहता हूँ, ताकि शायद कभी मुझे इनका सच मिल सके। Kumbhalgarh Fort Rajasthan India को “भारत की महान दीवार” भी कहा जाता है.

मैंने सुना है कि इसकी दीवार दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार है. इस दीवार को बनाने में चूना और गोंद जैसी चीज़ें मिली हुई थीं, इसी कारण यह इतनी मजबूत बनी है. यह मजबूत दीवार मुझे प्रेरित करती है. locals मान्यताओं के अनुसार,

इस दुर्ग को रात में दुश्मनों को दिखाई न दे, ऐसी बनावट दी गई थी. Kumbhalgarh Fort Rajasthan India की गहरी रंग की दीवारें और पहाड़ी जगह के कारण दुश्मन दूर से नहीं दिखते थे. जब मैं किले की इन दीवारों पर खड़ा होता हूँ, तो मुझे इस अदृश्यता का जादू लगता है,

और मैं सोचता हूँ कि यह किला कैसे सदियों से अपनी कहानियाँ हमें सुनाता है.

6. कुंभलगढ़ किले का अद्भुत इतिहास

6.1 कुंभलगढ़ किले की निर्माण प्रक्रियां में बाधा

यह मानना है कि महाराणा कुम्भा ने राजस्थान के Kumbhalgarh Fort Rajasthan India की नींव रखी थी, तब मुझे कुछ खास संकेत मिले थे। इन संकेतों के कारण मुझे कई मुश्किलें आईं। मैं इतिहासकार ललित कुमार हूँ, और आप को बताऊंगा कि वे कौन-सी समस्याएं थीं

जिन्हें मैंने इस दुर्ग के निर्माण में झेला। कुम्भलगढ़ किले का निर्माण मंडन जी नाम के एक कुशल वास्तुकार के नेतृत्व में हुआ था। कहा जाता है कि मंडन जी ही महाराणा कुम्भा के मंत्री भी थे। महाराणा कुम्भा जब Kumbhalgarh Fort Rajasthan India का काम शुरू किया, तो कई समस्याएं आईं।

दिन में दीवारें दिन में बन जातीं, पर रात होते ही अपने-अपने आप गिर जातीं। यह हालत कुछ दिनों तक रुक नहीं पाई, जिससे महाराणा कुम्भा बहुत चिंतित हुए। फिर उन्हें पता चला कि पास की पहाड़ियों में भैरव मुनि नाम के एक तपस्वी रहते हैं, जिनके पास इस क्षेत्र की गहरी जानकारी है।

महाराणा कुम्भा ने भैरव मुनि से पूछा कि दीवारों के गिरने का कारण क्या है, तो उन्होंने बताया कि यहाँ दैवीय शक्ति का असर है। इस हिस्से में कहा गया है कि उन्होंने भैरव मुनि से एक समस्या का हल पूछा। भैरव मुनि ने जवाब दिया कि एक स्वैच्छिक न‍रबलि से ही Kumbhalgarh Fort Rajasthan India की निर्माण की शुरुआत हो सकेगी।

सभी लोग बलि देने को तैयार नहीं थे, तो भैरव मुनि ने बलि देने की पेशकश कर दी। उन्होंने कहा कि वे पहाड़ी पर चढ़ेंगे और जहाँ वही रुकेंगे, वहाँ किले का मुख्य दरवाजा बनेगा। उन्होंने अपनी गर्दन काटने का फैसला लिया और वही जगह बलि दी गई,

जिसे आज भैरव पॉल कहा जाता है। वहीं से Kumbhalgarh Fort Rajasthan India के निर्माण की शुरुआत हुई।

6 कुंभलगढ़ दुर्ग का भ्रमण 

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India
चित्र 7 कुंभलगढ के भ्रमण को दर्शाता है

बरसात के मौसम में मैं Kumbhalgarh Fort Rajasthan India जाता हूँ. इसकी खूबसूरती अलग होती है. बादल दीवारों और पहाड़ियों को छूते हैं, देखना दिलकश लगता है. गर्मियों में यहाँ आना मुश्किल लगता था because बारिश कम और गर्मी बहुत होती है.

इस बार मैंने कुंभलगढ़ दुर्ग की यात्रा अक्टूबर से मार्च के बीच की योजना बनाई, क्योंकि वही समय सही लगा. उस समय तापमान 15° से 30° Celsius रहता है, घूमने के लिए अच्छा होता है. मैं Kumbhalgarh Fort Rajasthan India राजस्थान के बाहर गया।

मैंने टिकट घर देखा। भारतीय नागरिक होने की वजह से मुझे लगभग 40 रुपए का प्रवेश शुल्क देना पड़ा, जबकि विदेशी नागरिकों के लिए यह 600 रुपए है। 15 साल से छोटे बच्चों के लिए प्रवेश मुफ्त है। किला खुला रहता है: Morning 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक।

मैं Kumbhalgarh Fort Rajasthan India में घूमते समय लगभग 2 से 3 घंटे रहा। मुझे लगा अगर मैंने गाइड रखा होता, तो यहाँ समय और भी अच्छा बीतता।

6. 1 यात्रा मार्ग का विवरण 

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India
चित्र 8 kumbhalgarh fort rajasthan की यात्रा को दर्शाता है

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India में अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों पर स्थित एक शानदार किला है। यहाँ कोई रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डा नहीं है, इसलिए पहुँचना थोड़ा सोच-विचार से करना पड़ता है।

मैं आपको आसान रास्ते बता रहा हूँ जिनसे मैं कुंभलगढ़ किले तक पहुँच सकता हूँ। अगर मैं किसी स्टेशन के पास रहूँ, तो वहाँ से कार या बस किराए पर लेकर यात्रा सहज बना सकता हूँ।

सड़क मार्ग:- Kumbhalgarh Fort Rajasthan India कई रास्तों से जुड़ा हुआ है। उदयपुर से दूरी लगभग 85 किलोमीटर है। यहाँ पहुँचने के लिए पहले NH 58 फिर SH 32 लगेंगे। इस रास्ते में लगभग 2 से 2.5 घंटे लगेंगे। राजसमंद से कुंभलगढ़ दूरी करीब 50 किलोमीटर है।

यह रास्ता साफ़ और छोटा है, पहुँचने में लगभग 1.5 घंटे लगते हैं। नाथद्वारा से कुंभलगढ़ दूरी भी लगभग 50 किलोमीटर है। पहुँचने में 1 से 1.5 घंटे लग सकते हैं। नाथद्वारा से कुंभलगढ़ का रास्ता खूबसूरत पहाड़ियों और सुंदर दृश्यों के लिए जाना जाता है।

अगर मैं जोधपुर से आ रहा हूँ, तो Kumbhalgarh Fort Rajasthan India दूरी लगभग 170 किलोमीटर है, और इस सफर में करीब 4.5 घंटे लगेंगे।

रेलवे मार्ग:- Kumbhalgarh Fort Rajasthan India के सबसे पास का स्टेशन फलासिया है, जो किले से लगभग 28 किलोमीटर दूर है. यहाँ कुछ ट्रेनें चलती हैं. राजसमंद स्टेशन लगभग 50 किलोमीटर दूर है, वहाँ ज़्यादा ट्रेनें मिलती हैं. फालना स्टेशन लगभग 80 किलोमीटर दूर है

और यह पश्चिमी रेलवे का हिस्सा है. यहाँ से उदयपुर, अहमदाबाद, दिल्ली और मुंबई जा सकते हैं. उदयपुर सिटी स्टेशन कुंभलगढ़ से लगभग 85 किलोमीटर दूर है. उदयपुर बड़ा शहर है और यहाँ से जयपुर, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, इंदौर और कोटा के लिए ट्रेनें मिलती हैं.

वहाँ से आप बस, टैक्सी या निजी गाड़ी ले सकते हैं.

हवाई मार्ग:- Kumbhalgarh Fort Rajasthan India के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है Maharana Pratap Airport in Udaipur, जो किले से लगभग 95 किलोमीटर दूर है. यहाँ से मैं Jaipur, Ahmedabad, Delhi और Mumbai के लिए उड़ान ले सकता हूँ.

Udaipur Airport से Kumbhalgarh के लिए बस या टैक्सी आसानी से मिल जाती है.

7 दुर्ग से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी, विशेषताएं 

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India
चित्र 9 कुंभलगढ दुर्ग को दर्शाया गया है

यह मेरे लिए एक बड़ा मौका था। राजस्थान के पर्यटन विभाग ने कुंभलगढ़ किले में कुंभा महाराणा की याद में तीन दिन का खास महोत्सव रखा था। समारोह बहुत सुंदर था और किला बहुत सज गया था। यहीं पर स्थानीय लोग गीत-नृत्य करते हैं, जिन्हें देखकर मैं बहुत खुश हुआ।

इसके अलावा और भी गतिविधियां भी होते हैं, जैसे Kumbhalgarh Fort Rajasthan India में घूमना, पगड़ी बाँधने की रस्म, लड़ाई का अभ्यास, और मेहंदी लगवाना। इन सब से यह त्योहार मेरे लिए खास और यादगार बन गया।

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8. कुंभलगढ़ दुर्ग का निष्कर्ष क्या कहता है

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India के मेवाड़ क्षेत्र में है। इसे महाराणा kumbha ने 15वीं सदी में बनवाया था (1443–1458 के बीच)। मैं जब किले की तरफ बढ़ता हूँ, तो लगता है कि यह 13 पहाड़ियों पर बना है और समुद्र तल से करीब 1,100 मीटर ऊँचा है। इसकी सुरक्षा मुझे पसंद है।

इस किले की खास बात यह है कि उसकी दीवार 36 किलोमीटर लंबी और 7 मीटर चौड़ी है। इसे “भारत की महान दीवार” कहा जाता है। यह दीवार चीन की दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है।

मैं देखता हूँ कि इस दीवार पर पाँच घुड़सवार एक साथ चल सकते हैं, जो इसकी मज़बूती दिखाता है। Kumbhalgarh Fort Rajasthan India में सात मुख्य द्वार हैं, जिनमें राम पोल और हनुमान पोल अहम हैं। इन द्वारों के रास्ते उलझे हुए होते थे ताकि दुश्मन को भ्रम हो और किला सुरक्षित रहे।

कुंभलगढ़ किला में 360 से अधिक मंदिर हैं. इनमें हिंदू और जैन दोनों धर्म के मंदिर है. ये मंदिर धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समृद्धि का संकेत हैं. मैं नीलकंठ महादेव, पार्श्वनाथ और बावन देवरी जैसे मंदिरों की कला देखकर चकित हो जाता हूँ.

Kumbhalgarh Fort Rajasthan India के अंदर जलाशय, महल और रहने के कमरे भी हैं, जो इसे मजबूत बनाते हैं. यह किला मेवाड़ की सुरक्षा का एक अहम केन्द्र था और महाराणा प्रताप का जन्मस्थान भी है, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है.

मुझे गर्व होता है कि 2013 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला, जो इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कला-शिल्प महत्व को मान्यता देता है. Kumbhalgarh Fort Rajasthan India राजपूत सैन्य योजना और स्थापत्य कला का एक खास उदाहरण है.

यह मेवाड़ की वीरता, धर्मीय सहिष्णुता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. इसकी बड़ी दीवारें, सुरक्षा, मंदिरों की संख्या और प्राकृतिक नज़ारे इसे एक अनमोल धरोहर बनाते हैं. मैं इसे राजस्थान और भारत के गर्वशाली इतिहास की अमूल्य धरोहर मानता हूँ.

9. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | FAQs

प्रश्न 1. कुंभलगढ़ का किला कहाँ है? 

उत्तर: आज कुंभलगढ़ दुर्ग भारत के राजस्थान राज्य के राजसमंद जिले में मोजूद है।

प्रश्न 2. कुंभलगढ़ दुर्ग किसने बनवाया? 

उत्तर: कुंभलगढ़ दुर्ग को महाराणा कुम्भा ने बनाया था।

प्रश्न 3. कुंभलगढ़ दुर्ग किस पहाड़ी पर है? 

उत्तर: कुंभलगढ़ दुर्ग जरगा की पहाड़ी पर हूँ। 

प्रश्न 4. कुंभलगढ़ दुर्ग की परिधि कितनी है?

उत्तर: कुंभलगढ़ किले की परिधि लगभग 36 किलोमीटर है। 

प्रश्न 5. कुंभलगढ़ दुर्ग की ऊँचाई कितनी है?

उत्तर: कुंभलगढ़ किले की ऊँचाई लगभग 3568 फीट (1088 मीटर) है।

प्रश्न 6. कुंभलगढ़ दुर्ग को मेवाड़ और मारवाड़ की सीमा का प्रहरी क्यों कहा जाता है?

उत्तर: क्योंकि कुंभलगढ़ दुर्ग दोनों क्षेत्रों की सीमा पर हूँ, इसलिए प्रहरी कहा जाता है। 

प्रश्न 7. कुंभलगढ़ दुर्ग को किस नाम से भी जाना जाता है?

उत्तर: कुंभलगढ़ किले को कौभीलमेरु (कुम्भलमेरु) और कमलमीर के नाम से भी जानते हैं। 

प्रश्न 8. कुंभलगढ़ दुर्ग का वास्तुकार कौन था?

उत्तर: कुंभलगढ़ के वास्तुकार मान्डन थे।

प्रश्न 9. कुंभलगढ़ दुर्ग में कितने मंदिर हैं?

उत्तर: कुंभलगढ़ के भीतर लगभग 360 मंदिर हैं।

प्रश्न 10. कुंभलगढ़ दुर्ग की दीवार की खासियत क्या है?

उत्तर: इस किले की दीवार लगभग 36 किलोमीटर लंबी है, जो दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है।

प्रश्न 11. महाराणा प्रताप कब और कहाँ जन्मे? 

उत्तर: कुंभलगढ़ में महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को हुआ। 

प्रश्न 12. महाराणा कुम्भा की हत्या कब और कहाँ हुई?

उत्तर: मेरे अनुसार उनकी हत्या 1468 में हुई। 

प्रश्न 13. महाराणा कुम्भा की हत्या किसने की?

उत्तर: उनके बेटे उदा ने हत्या की।

प्रश्न 14. कुंभलगढ़ दुर्ग में स्थित कटारगढ़ दुर्ग को क्या कहा जाता है?

उत्तर: कटारगढ़ दुर्ग को मेवाड़ की आँख कहा जाता है।

प्रश्न 15. Kumbhalgarh Fort Rajasthan किस रानी को समर्पित है?

उत्तर: यह रानी कुम्भल देवी (कुम्भल मेरु) को समर्पित है।

प्रश्न 16. राजस्थानी स्थापत्य कला का जनक किसे माना जाता है?

उत्तर: मैंने देखा, महाराणा कुम्भा को राजस्थानी स्थापत्य कला का जनक माना जाता है, जिन्होंने कुंभलगढ़ किला बनवाया।

प्रश्न 17. कुंभलगढ़ दुर्ग की तुलना किससे की गई है?

उत्तर: कर्नल जेम्स टॉड ने कुंभलगढ़ की तुलना एट्रुस्कन (Etruscan) से की है।

प्रश्न 18. कुंभलगढ़ दुर्ग में ‘12 खम्भों की छतरी’ किसकी है? 

उत्तर: कुंभलगढ़ किले के परिसर में स्थित ‘12 खम्भों की छतरी’ कुँवर पृथ्वीराज की है।

प्रश्न 19. महाराणा कुम्भा ने राजस्थान में कुल कितने दुर्गों का निर्माण करवाया था?

उत्तर: मेरे ढूंढने पर, महाराणा कुम्भा ने राजस्थान में 84 में से 32 दुर्गों का निर्माण करवाया था, जिनमें कुंभलगढ़ का किला भी शामिल है।

प्रश्न 20. महाराणा कुम्भा को कौनसी उपाधि दी गई थी और क्यों?

उत्तर: मेने किताबों में देखा, महाराणा कुम्भा को ‘हाल गुरु’ की उपाधि दी गई थी, क्योंकि उन्होंने सर्वाधिक पहाड़ी दुर्गों का निर्माण करवाया, और कुंभलगढ़ का किला उनमें से एक है।

Author: Lalit Kumar
नमस्कार प्रिय पाठकों, मैं ललित कुमार ( रवि ) हूँ। और मैं N.H.8 भीम, राजसमंद राजस्थान ( भारत ) के जीवंत परिदृश्य से आता हूँ।इस गतिशील डिजिटल स्पेस ( India Worlds Discovery ) प्लेटफार्म के अंतर्गत। में एक मालिक के तौर पर एक लेखक के रूप में कार्यरत हूँ। जिसने अपनी जीवनशैली में JNU और BHU से इतिहास का बड़ी गहनता से अध्ययन किया है। जिसमे लगभग 6 साल का अनुभव शामिल है। यही नहीं में भारतीय उपमहाद्वीप के राजवंशों, किलों, मंदिरों और सामाजिक आंदोलनों पर 500+ से अधिक अलग अलग मंचो पर लेख लिख चुका हु। वही ब्लॉगिंग में मेरी यात्रा ने न केवल मेरे लेखन कौशल को निखारा है। बल्कि मुझे एक बहुमुखी अनुभवी रचनाकार के रूप में बदल दिया है। धन्यवाद...

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