amarnath mandir kashmir कि वह गुफा। जहां स्टैलेग्माइट से बनने वाले शिवलिंग को। हिन्दू लोग मानते है भगवान् शंकर का अद्भुत चमत्कार। जानें इसके पीछे का रहस्य
Table of Contents ( I.W.D. ) Since 1999
1 अमरनाथ मंदिर का परिचय Amarnath Mandir Kashmir

दर्शकों, आज में आपको बताऊंगा. amarnath mandir kashmir के शुरुआत से लेकर पूरे इतिहास के बारे में. उससे पहले हम अध्ययन करेंगे, इसके परिचय के बारे में. अमरनाथ गुफा जो भगवान शिव का एक प्रमुख स्थल है। यह सनातन धर्म के सबसे पवित्र। तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता हैं। मंदिर में मौजूद शिव लिंगम एक स्वयंभू लिंगम माना गया है। जहां गुफा के अंदर बर्फ से बनने वाला शिवलिंग ( हिमलिंग ) स्वयं यहां प्रकट होता है। सिंध घाटी में मौजूदा यह गुफा। बर्फीले पहाड़ों, ग्लेशियरों आदि से ढकी हुई हैं।
दर्शकों, यह भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर ( अनंतनाग जिले ) में स्थित। पहलगांव से लगभग 141 किलोमीटर की दूरी पर। समुद्र तल से काफी ऊपर पहाड़ों में स्थित amarnath mandir kashmir है। जिसकी ऊंचाई लगभग 3,888 मीटर ऊंची है। इस पवित्र गुफा की पहचान ( अमरनाथ गुफा ) के नाम से है।
दर्शकों, 12,000 से 30,000 के बीच तीर्थयात्रियों की संख्या 1989 में थी। 6.3 लाख (630,000) से भी अधिक तीर्थयात्रियों की संख्या 2011 में। अपने चरम सीमा पर थी। 2.85 लाख (285,000) तीर्थयात्रियों की संख्या 2018 में थी। वार्षिक तीर्थयात्रियों की गणना 20 से 60 दिनों के बीच होती हैं। तो दर्शकों, यह था amarnath mandir kashmir का परिचय।
2 दंतकथाएं

अब में आपको बताऊंगा। की पौराणिक कथाओं के मुताबिक, सर्वप्रथम amarnath mandir kashmir की खोज ऋषि भृगु ने की थी। ऐसा कहा गया है। की काफी समय पहले। जब कश्मीर घाटी पानी के नीचे हुआ करती थी। तथा ऋषि कश्यप द्वारा। इसे नालों ओर नदियों की एक श्रृंखला के माध्यम से सुखा दिया गया था। इसके परिणामस्वरुप जब पूरा पानी सुख गया था। तो ऋषि भृगु ने पहली बार। भगवान् शिव के दर्शन किए थे।
दर्शकों, इसके पश्चात्, जब लोगों ने amarnath mandir kashmir के शिवलिंग के बारे में जाना। तो यह अनेकों लोगों के मन में। भगवान् शंकर का निवास बन गया था। ओर वार्षिक तीर्थयात्रा का एक अद्भुत तीर्थस्थल बन चुका था। जिसे वर्तमान में भी। विधिवत रूप से जुलाई ओर अगस्त के बीच। हिन्दू लोग इस पवित्र महीने में। सावन के दौरान लाखों लोग दर्शन करने आते है।
दर्शकों, ऐसा भी कहा जाता है। की जब भगवान् शंकर ने। माता पार्वती को अमर कथा सुनाने से पहले। ओर amarnath mandir kashmir अमरनाथ गुफा पहुंचने से पहले। भगवान शिव ने अपनी नंदी ( गाय ) को। पहलगाम (बैल गाँव) में छोड़ा था। उन्होंने चंद्रमा को अपने बालों ( जटाओं ) से मुक्त करके। चंदनवारी में चंद्रमा को छोड़ा। अपने सांप को उन्होंने। शेषनाग झील के तट पर छोड़ा। अपने पुत्र गणेश को। महागुणस पर्वत (महागणेश पर्वत) पर छोड़ा।
दर्शकों, पांच तत्वों ( पंचतत्वों ) जिनमें पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, ओर आकाश को। पंजतरणी में छोड़ा। सांसारिक दुनियां को त्यागने के परिणामस्वरुप। शिव ने अपना तांडव नृत्य किया। इसके बाद भगवान शिव माता पार्वती को लेकर। अमरनाथ की गुफा में चले गए। ओर फिर दोनों बर्फ से निर्मित लिंगम में परिवर्तित हो गए। भगवान शंकर बर्फ का लिंगम बने। ओर उसी वक्त माता पार्वती चट्टान की योनि बन गई। तो दर्शकों, यह था दंतकथाओं का उल्लेख।
3 इतिहास

3.1 प्राचीन इतिहास Amarnath Mandir Kashmir
अब में आपको बताऊंगा। की राजतरंगिणी (पुस्तक VII v. 183) पुस्तक के अंतर्गत। कृष्णनाथ या amarnath mandir kashmir का जिक्र हमें देखने को मिलता है। ऐसा भी कहा गया है। 11वीं शताब्दी के अंतर्गत। इस मंदिर को बाणलिंग, त्रिशूल और अन्य पवित्र प्रतीक भेंट रानी सूर्यमती के द्वारा। प्रदान किए गए थे। प्रज्ञा भट्ट के माध्यम से शुरुआत किया गया। राजावलीपताका अंतर्गत अमरनाथ गुफा के मंदिर की। तीर्थयात्रा से जुड़ी विस्तृत जानकारियां शामिल है। इसको छोड़के, अनेकों प्राचीन ग्रंथों में इस तीर्थ यात्रा का संदर्भ। हमे देखने को मिलता है। तो दर्शकों, कुछ ऐसा था प्राचीन इतिहास।
3.2 मध्यकालीन इतिहास
अब में आपको बताऊंगा। amarnath mandir kashmir गुफा एवं शिवलिंग का जिक्र। अबुल फजल द्वारा लिखित। 16वीं शताब्दी की रचनात्मक आइन-ए-अकबरी में हमे देखने को मिल जाएगा। अबुल फ़ज़ल के मुताबिक इस तीर्थस्थल ने। अनेकों तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। अबुल फ़ज़ल ऋतुओं ओर चंद्रमा के मुताबिक शिवलिंग के घटते ओर बढ़ने का जिक्र करता है।
दर्शकों, एक फ्रांसीसी चिकित्सक फ़्राँस्वा बर्नियर। सन् 1663 के अंतर्गत सम्राट औरंगज़ेब के साथ था। फ़्राँस्वा बर्नियर ने अपनी पुस्तक ट्रैवल्स इन मुगल एम्पायर के अंतर्गत। वह उन जगहों को चिन्हित करता है। जो उसने स्वयं देखी हो। यह चिन्हित करते हुए। की फ़्राँस्वा बर्नियर सांगसफ़ेद से दो दिन की यात्रा के दौरान। आस आश्चर्यजनक संगम से भरपूर। एक विशाल गुफा की यात्रा कर रहा था।
दर्शकों, जब उसको सूचना प्राप्त हुई। की मेरे नवाब को मेरी दिव्य अनुपस्थिति के चलते। बहुत ही ज्यादा बेचैनी महसूस हो रही है। इस अंश में संदर्भित “गुफा” amarnath mandir kashmir की अमरनाथ गुफा है। जहां वह यह लिखते है। की काफी अद्भुत ओर आश्चर्यजनक संगमों से भरी गुफा अमरनाथ गुफा है। जहां बर्फ के खण्ड छत से टपकते हुए पानी से बने। स्टैलेग्माइट्स को सनातन धर्म के हिन्दू। भगवान् शंकर के शिवलिंग के रूप में पूजते है। तो दर्शकों कुछ ऐसा था मध्यकालीन इतिहास।
3.3 आधुनिक इतिहास
अब में आपको बताऊंगा। की 1895 के अंतर्गत सर्वप्रथम तीर्थयात्री। कुछ समय के दौरान खीर भवानी की यात्रा किया करते थे। फिर तीर्थयात्री श्रीनगर की यात्रा करने के लिए। राज्य से मुफ्त राशन प्राप्त करते जाते। श्रीनगर से सीधा जत्थों में। इसके पश्चात् तीर्थयात्री लिद्दर घाटी की तरफ बढ़ते थे। स्वच्छ एवं पवित्र स्नान करने के लिए। कुछ स्थानों पर रुकते थे। मच बावन में कुछ स्थानीय हिन्दु एकत्रित हो जाते। इन वर्षों के चलते बटकूट के मलिक रास्ते के लिए जिम्मेदार थे। सिस्टर निवेदिता द्वारा नोट्स ऑफ़ सम वांडरिंग्स विद द स्वामी विवेकानंद में 1898 में स्वामी विवेकानंद की amarnath mandir kashmir की गुफा के बारे में लिखा है। तो दर्शकों, कुछ ऐसा था आधुनिक इतिहास।
4 अमरनाथ यात्रा करने का विवरण और मार्ग

4.1 तीर्थयात्रा आरंभ समय-सीमा जुलाई से अगस्त
दर्शकों, अब में आपको बताऊंगा। कि amarnath mandir kashmir के तीर्थयात्री जुलाई से अगस्त के बीच। श्रावणी मेले के त्यौहार के ठीक नजदीक। 45 दिवसीय सुंदर मौसम के चलते। सभी तीर्थयात्री इस पवित्र स्थल का दौरा करते हैं। जो हिंदुओं के पवित्र महीने “श्रावण” की तरह प्रतीत होता है। अमरनाथ गुफा की तीर्थयात्रा का आनंद तब आता है। जब बर्फ से ढका यहां का शिवलिंग। गर्मियों के महीनों में अपने आप को विकसित कर चुका होता है।
दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। की जुलाई से अगस्त के बीच की तीर्थयात्रा का समय। एक सबसे अच्छा समय माना जाता है। वार्षिक तीर्थयात्रा को शुरू करना। प्रथम पूजन ( अनुवाद: पहली प्रार्थना ) के द्वारा उल्लंखित किया जाता हैं।
दर्शकों, अब में आपको बताऊंगा। की amarnath mandir kashmir की तीर्थयात्रा कब तक खुली रहेगी। यह अमरनाथ गुफा में स्थित। शिवलिंग के निर्माण पर निर्भर करता हैं। में उदाहरण के माध्यम से आपको बताऊंगा। की सन् 1995 के अंतर्गत तीर्थयात्रा लगभग 20 दिनों तक खुली रही। इसके बाद, 40 से 60 दिनों तक। अगले कुछ वर्षों तक खुली रही। 2019 में तीर्थयात्रा 1 जुलाई से 15 अगस्त के बीच। लगभग 46 दिनों तक खुली रही। तो दर्शकों, यह था तीर्थयात्रा आरंभ समय-सीमा जुलाई से अगस्त के बारे में। तो दर्शकों, कुछ ऐसी है तीर्थयात्रा आरंभ समय-सीमा जुलाई से अगस्त के बीच।
4.2 राज्य कोटा और अनिवार्य तीर्थयात्री ई-ट्रैकिंग ओर पूर्व-पंजीकरण
अब में आपको बताऊंगा। की amarnath mandir kashmir कि तीर्थयात्रा करने वाले लोगों को। कुछ महीनों पहले ही अपना पंजीकरण करवाना होता है। ताकि तीर्थयात्रियों को अपने राज्य के मुताबिक कोटा आवंटित किया जा सके। अधिकतर आवंटित वाले राज्य जिनमें गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल ओर महाराष्ट्र आदि शामिल है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की देखरेख सुनिश्चित करने हेतु। जैसे कि किसी चिकित्सा आपात या किसी आपदा स्थिति के कारण। सभी तीर्थयात्री ओर उनकी वाहन को। एक अद्वितीय पहचानने योग्य। टैग उपलब्ध करवाया जाता है।
दर्शकों, amarnath mandir kashmir जहां तीर्थयात्रा करने के दौरान। तीर्थ के अनेक मार्गों पर टैग को स्कैन किया जाता हैं। 2018 के बाद से, तीर्थयात्रियों को यात्रा करने से पहले। एक विशिष्ट अवधि के लिए। पहचान पत्र उपलब्ध करवाया जाता है। ताकि सभी जगहों पर स्कैन करने के दौरान। यात्राओं का पता लगाया जा सके। इसी दौरान, वाहनों का पता भी स्कैन के माध्यम से रखा जाता है।
4.3 निकटकतम परिवहन और सड़के
अब में आपको बताऊंगा। amarnath mandir kashmir का श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। जम्मू-बारामुल्ला लाइन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। श्रीनगर रेलवे स्टेशन उत्तरी तीर्थ यात्रा मार्ग के लिए। बालटाल माध्यमच सही है। चंदनवाड़ी ओर पहलगांव माध्यम के द्वारा। दक्षिण मार्ग के लिए। अनंतनाग रेलवे स्टेशन का विकल्प अच्छा है। निजी परिवहन ऑपरेटर जम्मू से ओर राज्य परिवहन निगम। बालटाल ओर पहलगांव के लिए। नियमित सेवाएं उपलब्ध ( मौजूद ) है। इसके अलावा भी अनेकों टैक्सियां। निजी तौर पर पहलगाम, अनंतनाग, श्रीनगर ओर जम्मू से किराए के लिए उपलब्ध है।
दर्शकों चंदनवारी ओर पहलगाम के दक्षिणी मार्ग के रास्ते पर। चंदनवारी बेस कैंप से पंजतरणी ( गुफा से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ) भिन्न भिन्न निजी ऑपरेटरों से। हेलीकॉप्टर तक की सुविधाएं भी उपलब्ध है। तो दर्शकों, कुछ इस प्रकार है निकटकतम परिवहन और सड़के।
5 अमरनाथ मंदिर के चमत्कार, रहस्य

5.1 हिमलिंग का बनना ओर आकार में बदलना ( शिवलिंग )
अब में आपको बताऊंगा। की amarnath mandir kashmir में अपने आप बदलने वाला शिवलिंग। एक अद्भुत चमत्कार माना गया है। प्रत्येक साल में एक दिन यह शिवलिंग अपने आप बनता हैं। खास बात यह है। की इसका आकार चंद्रमा की कलाओं के अनुसार घटता ओर बढ़ता रहता है। amarnath mandir kashmir का यह शिवलिंग। अमावस्या के दिन छोटा। ओर पूर्णिमा ( मई से अगस्त के बीच ) बड़ा हो जाता हैं। क्योंकि इस समय हिमालय से बर्फ पिघलती है।
इस शिवलिंग का बनना “प्राकृतिक स्टैलेग्माइट संरचना” को दर्शाता है। स्टैलेग्माइट का निर्माण कैसे होता है। आइए हम जानते है। जब गुफा की छत के ऊपर से फर्श तक। घिरने वाली कुछ पानी की बूंदों की वजह से इसका निर्माण होता है। इसके बाद बर्फ अपने आप ऊपर की ओर बढ़ती रहती है। यहां भगवान् शंकर के भौतिक स्वरूप शिवलिंग के रूप में पहचाने जाने वाला। स्टैलेग्माइट शिवलिंग की तरह एक ठोस – गुबंद आकार में परिवर्तित कर देता है। तो दर्शकों, यह था हिमलिंग का बनना ओर आकार में बदलना।
5.2 अन्य तीन हिमलिंग का बनाना
अब में आपको बताऊंगा। की amarnath mandir kashmir में भगवान शिव के शिवलिंग के साथ साथ। भगवान् गणेश और माता पार्वती के भी। दो छोटे छोटे हिमलिंग का निर्माण होता है। यह त्रिदेव का संकेत देते है। जो बड़ा चमत्कारी माना जाता है।
इन शिवलिंग का बनना भी प्राकृतिक स्टैलेग्माइट संरचना को दर्शाता है। इनका निर्माण भी गुफा के अंदर से घिरने वाली। बर्फ की छोटी छोटी बूंदों से होता है। जो माता पार्वती और भगवान् गणेश के हिमलिंग का प्रतिनिधित्व करते है। जिनका आकार मई से अगस्त के बीच बड़ा हो जाता है। क्योंकि इस समय amarnath mandir kashmir के हिमालय से बर्फ पिघलती है। तो दर्शकों, यह था अन्य तीन हिमलिंग का बनाना।
5.3 गुफा का सुरक्षित रहना
अब में आपको बताऊंगा। की हजारों सालों के चलते। कुछ प्राकृतिक आपदाओं भूस्खलन, भूकंप बर्फबारी आदि। किसी भी प्राकृतिक आपदा से आज तक कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा। यह अपने आप में ही एक रहस्य। ओर चमत्कार माना जाता है। इतने ऊंचाई पर होने के बावजूद भी। amarnath mandir kashmir अपने आप में सुरक्षित है।
5.4 भगवान शिव का पवित्र कथा स्थल
अब में आपको बताऊंगा। की सनातन धर्म की मान्यता है। की अमरनाथ गुफा वो स्थान है। जहां माता पार्वती को भगवान शिव के द्वारा। अमरत्व का रहस्य ( अमर कथा ) सुनाई गई थी। इसी कारण के चलते। भगवान शंकर ने अपने पांचों तत्व ( पंचभूत ) का त्याग किया था। जहां गुफा के अंदर चारों तरफ दिव्य ऊर्जा महसूस होती हैं।
5.5 कबूतरों का अमर जोड़ा

अब में आपको बताऊंगा। कबूतरों का अमर जोड़ा। कहा जाता है। जब भगवान् शंकर माता पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे। तभी दो कबूतर इस कथा को सुनकर अमर हो गए थे। आज भी श्रद्धालु आकर गुफा में स्थित। उन कबूतरों के दर्शन करते है। जबकि यहां ठंड इतनी पड़ती है। की किसी भी पक्षी का जीवित रह पाना लगभग असंभव है।
5.6 बर्फ का चमत्कारी जल
अब हम जानेंगे। की गुफा के अंदर से निकलने वाली। बर्फ की बूंदों को काफी चमत्कारी माना जाता हैं। जिसे अमृत तुल्य का नाम दिया गया है। जो सभी बीमारियों से मुक्ति देता है।
5.7 गुफा का दिव्य प्रकाश
अब हमें जानना होगा। की अनेक श्रद्धालु इस चीज को भी मनाते है। की जब वह amarnath mandir kashmir की गुफा के अंदर ध्यानाकर्षित करते है। तब उन्हें दिव्य प्रकाश दिखाई देता है। जिसे भगवान शंकर का आशीर्वाद भी माना जाता हैं।
5.8 मौसम का चमत्कारी बदलाव
अब में आपको बताऊंगा। की अमरनाथ यात्रा के दौरान। मौसम का परिवर्तन होना भी। किसी चमत्कार से कम नहीं माना जाता है। ऐसा भी माना जाता है। की केवल भगवान् शंकर के इशारों पर ही मौसम बनता ओर बिगड़ता है। ताकि केवल सच्चे भक्त ही वहां तक पहुंच सके।
5.9 हजारों साल से मौजूद पवित्र गुफा
अब में आपको बताऊंगा। कि इतिहास और पुराणों के मुताबिक। amarnath mandir kashmir की यह गुफा। सीधे त्रेता युग की मानी जाती है। इतनी ऊंचाई, बर्फबारी ओर प्राकृतिक आपदाओं के चलते भी। आज भी सुरक्षित मानी जाती है। यह भी चमत्कार का एक परिणाम है।
5.10 हिमलिंग में भगवान शिव का स्पष्ट आकार
अब हमें यह भी जानना चाहिए। की अनेक भक्त यह भी मानते है। की amarnath mandir kashmir का यह शिवलिंग। कभी कभी त्रिशूल, नाग ओर डमरू के आकार का दिखाई देता है। जो शिव अपनी मौजूदगी के प्रमाण देते है।
5.11 गुफा के आसपास अद्भुत शक्तियों का वास
दर्शकों, कई साधुओं ने amarnath mandir kashmir में ध्यान मंत्र ओर तपस्या के चलते। यहां अदृश्य दिव्य शक्तियों के होने का दावा किया है। कुछ साधुओं का कहना है। की यहां गुप्त रूप से सिद्ध, योगियों ओर देवताओं का वास है। जिन्हें सामान्य आंखों से देख पाना मुश्किल है।
5.12 गुफा में गूंजने वाले मंत्र, ध्वनि
दर्शकों, ऐसा भी कहा गया है। कि कुछ श्रद्धालुओं ने यह अनुभव किया ओर माना है। की जब amarnath mandir kashmir की गुफा में पूरी तरह सन्नाटा छा जाता है। तब गुफा में “ॐ नमः शिवाय” की ध्वनि सुनाई देती है। जो भगवान् शंकर अपने होने का प्रमाण देते है।
6 अमरनाथ मंदिर के प्रमुख स्थल

6.1 बालटाल
बालटाल वह स्थान है। जहां से amarnath mandir kashmir यात्रा का। एक प्रमुख बेस कैंप है। बालटाल से अमरनाथ मंदिर की गुफा मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मार्ग काफी छोटा है। परंतु बहुत ही कठिन और खड़ी चढ़ाई वाला हिस्सा है। हेलीकॉप्टर की सेवा भी बालटाल में मौजूद है।
6.2 चंदनवाड़ी
दर्शकों, चंदनवाड़ी जो पहलगांव से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। कहा जाता है। की यह वही स्थान है। जहां से भगवान् शिव ने चंद्रमा को अपने सिर से। नीचे उतारा था।
6.3 शेषनाग झील
चंदनवाड़ी से आगे जाने पर। यह पवित्र झील हमें देखने को मिलती है। इसे शेष नाग का वास स्थान भी माना गया है। झील में हमे नीला पानी देखने को मिलता है। ओर बर्फीले पहाड़ एक अद्भुत दृश्य बनाते है।
6.4 पंचतरणी
तो दर्शकों, शेषनाग से आगे पंचतरणी स्थल मौजूद है। पंचतरणी को बहुत ही अत्यधिक पवित्र स्थान माना गया है। क्योंकि यहां पर पांच विभिन्न पवित्र नदियों का संगम मिलता है। कहा जाता है। यहां पर भगवान् शंकर ने अपने पांचों तत्व ( पंचभूत ) त्यागे थे।
6.5 माहगुनस टॉप

यह यात्रा मार्ग का सबसे ऊंचे वाला स्थान है। जो लगभग 14,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ऐसा भी कहा जाता है। की भगवान शंकर यहां से गुजरते समय। कुछ देर के लिए यहां रुके थे।
6.6 पवित्र अमर गंगा नदी
गुफा के ठीक पास बहने वाली। इस नदी को अमर गंगा के नाम से जाना जाता हैं। यह नदी काफी पवित्र मानी जाती है। ओर श्रद्धालु यहां स्नान करके। अपनी यात्रा पूर्ण करते है।
6.7 अमरनाथ यात्रा मार्ग के छोटे-छोटे शिवालय
पूरे मार्ग में जगह जगह पर। छोटे छोटे शिव मंदिर ओर धर्मशालाएं उपस्थित हैं। जहां श्रद्धालु आकर विश्राम ओर पूजा अर्चना करते हैं।
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