Chittorgarh Kila: परिचय, आक्रमण, स्थल, भ्रमण, अद्भुत इतिहास

history of chittorgarh fort in rajasthan

Chittorgarh Kila है भारत का सबसे पुराना किला। जिसकी पहचान है राजपूतों के आत्मसम्मान, शौर्य, बलिदान ओर त्याग से। जहां पर कई राजाओं ने किया था शासन.

Table of Contents ( I.W.D. )

1 चित्तौड़गढ़ किले का परिचय | Chittorgarh Kila 

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चित्र 1. चित्तौड़गढ़ दुर्ग प्रदर्शित है

मैं इतिहास विशेषज्ञ डॉ. ललित कुमार, अपने 6 वर्षो के अध्ययन के परिणामस्वरूप. आज में आपको बताऊंगा Chittorgarh Kila के बारे। भारत में इसे चित्तौड़ का किला भी कहते हैं। ये बहुत बड़ा किला है, जो 13 किलोमीटर में फैला हुआ है।

ये भारत और एशिया का सबसे बड़ा किला माना जाता है। मैंने यहाँ 113 मंदिर और 84 पानी के कुंड देखे। जिनको देखके मुझे पता चला. की कुंभलगढ़ दुर्ग की तरह, चित्तौड़गढ़ दुर्ग भी एक विशाल दुर्ग है।

Chittorgarh Kila राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में है। ये मेवाड़ के इतिहास और बहादुरी की निशानी है। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि 2013 में यूनेस्को विश्व धरोहर (Unesco World Heritage Convention) ने. इसे दुनिया की खास जगहों में शामिल किया। ये किला जैसलमेर किला की तरह बहुत पुराना है और राजपूतों के सम्मान और बलिदान की कहानी बताता है। कहा जाता है कि इसका नाम मौर्य राजा चित्रागंद मौर्य के नाम पर पड़ा।

Chittorgarh Kila में घुसने के लिए 7 दरवाज़े पार करने पड़ते हैं। पहले दरवाज़े का नाम है पाडल पोल, फिर भैरव पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, लक्ष्मण पोल, जोली पोल और आखिर में राम पोल। किले का मुख्य दरवाज़ा, जिसे सूरज पोल कहते हैं,

हमेशा युद्ध की तरफ खुलता था। किले के अंदर, महल में मुझे “अस्त्र बाल” नाम की जगह दिखी जहाँ पहले राजाओं के घोड़े बंधते थे। उसके सामने ही “नंगाड़ खाना” है। नंगाड़ खाने के दाहिनी तरफ एक बालकनी है जहाँ कभी सूर्य भगवान की पूजा होती थी।

यहाँ और भी बहुत कुछ देखने लायक है। Chittorgarh Kila भारत के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण जगह है।

2 चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण, वास्तुकला

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चित्र 2. चित्तौड़गढ़ के निर्माण कार्य का चित्र

मुझे Chittorgarh Kila के बारे में पता है, जो भारत के बड़े और ज़रूरी किलों में से एक है। यह मेसा पठार पर बना है, जो राजस्थान की अरावली पहाड़ियों में है।

यहाँ खड़े होकर, मुझे दिखता है कि किला लगभग 180 मीटर ऊँची पहाड़ी पर है और 700 एकड़ में फैला है। मैंने सुना है कि चित्तौड़गढ़ किला मेवाड़ राजाओं की राजधानी था। उन्होंने 8वीं से 16वीं शताब्दी तक राज किया।

चित्तौड़गढ़ के कई राजा थे, और सबने इसे बेहतर बनाने में मदद की। Chittorgarh Kila राजपूत योद्धाओं की बहादुरी और भारत की संस्कृति और वास्तुकला का शानदार उदाहरण है। यहाँ इमारतें पत्थर से बनी हैं, जिनमें लाल पत्थर और संगमरमर हैं, जिन पर राजस्थानी वास्तुकला में कारीगरी की गई है।

 मैंने पढ़ा है कि चित्तौड़गढ़ किला बहुत पुराना है। इसे 7वीं शताब्दी में चित्रांगद मौर्य नाम के राजा ने बनवाया था। इसलिए इसका नाम पहले चित्रकूट था। बाद में, 8वीं से 12वीं शताब्दी तक, गुहिल वंश के राजाओं ने यहाँ राज किया और किले को बनाने में मदद की।

हालांकि मैंने देखा 13वीं शताब्दी में रावल रतन सिंह ने इसे और मजबूत किया। फिर 14वीं शताब्दी में राणा हमीर सिंह ने मुगलों से Chittorgarh Kila वापस ले लिया और इसे ठीक करवाया। राणा कुम्भा ने 1433 से 1468 के बीच कई महल और मंदिर बनवाए, जैसे कुम्भा महल और विजय स्तम्भ।

उन्होंने किले के 7 दरवाज़े भी बनवाए। 16वीं शताब्दी में राणा सांगा ने किले को और भी ताकतवर बना दिया। यह सब जानकर लगता है कि यह किला कितना महत्वपूर्ण है!

3 प्रमुख स्थल 

Chittorgarh Kila में बहुत सारी पुरानी और सुंदर इमारतें हैं। मैंने उनमें से कुछ खास जगहें देखी हैं। मैं यहाँ चित्तौड़ की मुख्य जगहों के बारे में बता रहा हूँ।

3.1 विजय स्तंभ | Chittorgarh Kila

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चित्र 3. चित्तौड़गढ़ के विजय स्तंभ का चित्र 

विजय स्तम्भ, Chittorgarh Kila की एक खास इमारत है. इसे महाराणा कुम्भा ने मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी को हराने के बाद 1448 में बनवाया था. इसे बनाने में 10 साल लगे और बहुत सारे पैसे खर्च हुए. ये 122 फीट ऊंचा है और इसमें 157 सीढ़ियां हैं.

यह 9 मंजिला स्तम्भ राजपूत कला का अच्छा उदाहरण है. इस पर हिन्दू भगवानों की मूर्तियाँ बनी हैं. यह स्तम्भ मेवाड़ की बहादुरी की निशानी है. आज, राजस्थान पुलिस (राजस्थान पुलिस सेवार्थ कटिबद्धता) भी विजय स्तम्भ को अपने निशान के रूप में इस्तेमाल करती है. जहां इस किले का उल्लेख देखने को मुझे मिला है.

3.2 कीर्ति स्तंभ:

मैं Chittorgarh Kila में कीर्ति स्तंभ के बारे में जानना चाहता था। मैंने सुना है कि इसे 12वीं सदी में एक जैन व्यापारी जीजा भगेरवाल ने बनवाया था। यह स्तंभ जैन धर्म के पहले तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है। यह 7 मंज़िला है और 22 मीटर (75 फीट) ऊंचा है।

यह बहुत शानदार दिखता है! इस पर की गई नक्काशी (डिजाइन) मुझे बहुत पसंद आई। मैंने देखा कि इस स्तंभ पर जैन धर्म की मूर्तियाँ, चिह्न और कहानियाँ बनी हुई हैं। यह लाल पत्थर और सफेद संगमरमर से बना है।

3.3 रानी पद्मिनी महल:

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चित्र 4. रानी पद्मिनी महल का चित्र

Chittorgarh Kila में एक महल है। ये रानी पद्मिनी का घर था। मैंने यही स्थानीय गाइड के अनुसार सुना था. की वो गर्मियों में यहाँ झील के पास रहती थीं। ये महल बहुत पुराना है, लगभग 700 साल पहले बना था।

जब मैंने इसे 2023 में देखा, तो ये टूटा-फूटा लग रहा था और इसका रंग भी फीका पड़ गया था। मुझे याद आया कि यहीं से अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी को देखा था।

3.4 कुंभा महल:

यह महाराणा कुंभा का महल है। यह Chittorgarh Kila के अंदर है। यह बहुत सुंदर बना है। इसे 15वीं शताब्दी में महाराणा कुंभा ने बनवाया था। पास में एक सुरंग भी है। रानी पद्मिनी वहां से नहाने जाती थीं।

हालांकि स्थानीय गाइड ने मुझे बताया. की यह महल अब खंडित हो चुका है. जिसके कुछ अवशेष शेष बचे है. मैंने यह भी सुना की. माता पन्ना धाय ने इसी महल से उदय सिंह को भगाकर कुंभलगढ़ किले तक ले गई थी.

3.5 रतन सिंह महल:

यह महल रावल रतन सिंह ने बनवाया था। Chittorgarh Kila के अंदर है और बहुत खास है। यहाँ राजा लोगों से मिलते थे और उत्सव मनाते थे। यह महल एक सुंदर झील के पास है, जिससे यह और भी सुंदर दिखता है।

3.6 गौमुख कुंड और फतेह प्रकाश महल:

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चित्र 5. चित्तौड़गढ़ के गौमुख कुंड का चित्र

Chittorgarh Kila में, मैं गौमुख कुंड के पास खड़ा था। गौमुख कुंड एक पवित्र जगह है जहाँ पानी बहता है। मैंने देखा कि पानी चट्टानों से बहकर कुंड में गिर रहा है।

यहाँ गाय के मुख जैसा कुछ बना हुआ है, जिससे पानी निकलता है – सर्दियों में गरम और गर्मियों में ठंडा। यह जगह रानी पद्मिनी और उनकी सहेलियों के नहाने के लिए जानी जाती है। मुझे यहाँ का इतिहास महसूस हो रहा था। महाराणा फतेह सिंह ने फतेह प्रकाश महल बनवाया था।

अब यह महल एक संग्रहालय है। जब मैंने इसके अंदर प्रवेश किया. तो टेबल पर एक बड़े कांच में. सफेद कलर में Chittorgarh Kila का पूरा मैप देखने को मिला. जैसे ही में और अंदर गया. तो खुला हॉल दिखाई दिया. जिसके ओर भीतर के गलियारे में, मैंने मेवाड़ रियासत की मूर्तियाँ, चित्र, हथियार और दूसरी पुरानी चीज़ें देखी। इस जगह की सुंदरता और इतिहास मुझे बहुत पसंद आया।

3.7 मीरा बाई का मंदिर 

मैं Chittorgarh Kila में मीरा बाई के मंदिर के बारे में सोच रहा हूँ। मीरा बाई, जो कृष्ण जी की भक्त थीं, मुझे बहुत पसंद हैं। मैंने सुना है कि ये मंदिर महाराणा कुंभा ने बनवाया था। मीरा बाई के मंदिर के बाहर. उनके संत रविदास का मंदिर भी बना हुआ है.

जब मैं वहां जाता हूँ, तो देखता हूँ कि लोग आज भी पूजा करने आते हैं और गाने-बजाने का कार्यक्रम भी करते हैं। मुझे ये सब देखकर बहुत अच्छा लगता है। इसलिए, चित्तौड़गढ़ किला मेरे लिए सिर्फ एक पुरानी जगह नहीं है, ये मेरे दिल में बसा है।

3.8 काली माता का मंदिर 

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चित्र 6. चित्तौड़गढ़ दुर्ग के काली माता का चित्र

Chittorgarh Kila में महाकाली का एक पुराना मंदिर है। यह मंदिर बहुत पहले, लगभग 8वीं सदी में बना था।

पहले यह सूर्य भगवान का मंदिर था, लेकिन बाद में इसे काली माता का मंदिर बना दिया गया। यह मंदिर मेवाड़ के राजाओं के परिवार का भी मंदिर माना जाता है। मुझे इस बात पर गर्व है। आज भी यहां पूजा होती है, और मुझे यहां आकर अच्छा लगता है।

जहा मंदिर के बाहर मुझे 20 से 30 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ी. और हमेशा मुझे इस मंदिर के बाहर. बंदरो की प्रजातियां देखने को मिलती है. मंदिर लगभग 3000 स्क्वायर फिट में फैला है. जिसके दाहिने तरफ पीने का पानी की व्यवस्था. और अन्य मंदिर मुझे देखने को मिले.

3.9 जौहर स्थल

Chittorgarh Kila में मैंने सुना है कि तीन बार जौहर हुआ था। जौहर का मतलब है जब महिलाएं दुश्मन से बचने के लिए आग में कूद जाती थीं। पहला जौहर 1303 में हुआ था जब रानी पद्मिनी और दूसरी महिलाओं ने अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय किया था। सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि वे कितनी बहादुर थीं।

जहां आज भी में साल के प्रत्येक दिन देखता हु. की उन्हीं के मेवाड़ राज घराना वर्तमान लक्षराज सिंह मेवाड़ (महाराणा प्रताप के वंशजों) के द्वारा.तमाम वीरांगनाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए. हवन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.

दूसरा जौहर 1535 में हुआ जब रानी कर्णावती और हजारों महिलाओं ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के आक्रमण पर किया। यह दुख भरा, लेकिन गर्व करने वाला पल है। इन्ही कुछ दिनों में मैंने सुना था. की रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भी भेजी थी.

तीसरा जौहर 1567 में हुआ, जब अकबर ने चित्तौड़गढ़ किले पर हमला किया। तब भी बहुत सी महिलाओं ने जौहर किया। यहाँ आकर, मुझे उन महिलाओं की याद आती है जिन्होंने अपनी इज्जत बचाने के लिए जान दे दी। यह जगह मेरे लिए सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि हिम्मत की प्रेरणा है।

जब मैंने 2023 में, Chittorgarh Kila के दौरे पर देखा. की जौहर स्थल को एक सुंदर बगीचे में तब्दील कर दिया है. जहा जौहर स्थल का बोर्ड भी लगाया गया है.

4 चित्तौड़गढ़ किले के युद्ध, आक्रमण

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चित्र 7. चित्तौड़गढ़ दुर्ग के आक्रमण का चित्र 

मैं ललित कुमार हूँ, और मैंने अपनी आँखों से Chittorgarh Kila देखा है। यह किला तीन बड़ी लड़ाइयों और जौहर के लिए बहुत मशहूर है। मुझे लगता है यह राजपूत इतिहास की बहुत खास घटना है।

राजा बप्पा रावल ने 738 ईस्वी में राजा मानमोरी को हराकर यह किला जीता था। मुझे यह जानकर खुशी होती है कि 9वीं और 10वीं सदी में इस किले पर परमार राजाओं का राज था

4.1 आला उद्दीन खिलजी का आक्रमण (1303):

मेरे अध्ययन के मुताबिक, यह बात 1303 ईस्वी की है. जब दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने. पद्मिनी के पति राणा रतन सिंह पर हमला किया. तो Chittorgarh Kila फिर से चर्चा में आया। मेने पाया की अलाउद्दीन मेवाड़ के तमाम संसाधनों की को नष्ट. रतन सिंह की ताकत को खत्म करना और उनके धन को लूटना चाहता था।

मुझे दुख है कि अलाउद्दीन रानी पद्मिनी की सुंदरता से मोहित हो गया था, इसलिए उसने चित्तौड़ को घेर लिया और किले पर हमला किया. और अंत में जीत गया। उस समय, रानी पद्मिनी और बाकी महिलाओं ने अपनी इज्जत बचाने के लिए जौहर किया (खुद को आग लगा ली)।

मेने अपनी आंखो से देखा आज, उस जगह को बगीचे में बदल दिया गया है, जहाँ हर साल मेवाड़ के राजपूत जमा होते हैं. और रानी पद्मिनी और बाकी महिलाओं के लिए हवन करते हैं। मुझे इस बात पर गर्व की अनुभूति होती है।

4.2 बहादुर शाह का आक्रमण (1535):

1535 में, जब गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने. Chittorgarh Kila पर हमला किया. तब मेवाड़ पर विक्रमादित्य का शासन था। लेकिन में जानता हूं. उस दौर में, वो ठीक से राज नहीं कर पा रहे थे।

ऐसे मुश्किल समय में, उनके छोटे भाई राणा उदय सिंह को बचाने की जिम्मेदारी रानी कर्णावती पर आई, वही रानी कर्णावती को। अपने मेवाड़ राज्य को बचाना चाहती थी। इसलिए रानी कर्णावती ने, राजपूत सरदारों और हुमायूं को राखी भेजकर मदद मांगी। जब लगा कि युद्ध में हार जाएंगे.

तो उसने दूसरी राजपूत महिलाओं के साथ जौहर करने का फैसला किया। उस हमले में बहुत सारे सैनिक मारे गए, और वो मंजर लोगों को हमेशा याद रहेगा।

4.3 बादशाह अकबर का आक्रमण (1567):

कहा जाता है कि 1567 में, मुग़ल बादशाह अकबर ने Chittorgarh Kila पर हमला करके उसे जीत लिया। उस समय, महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजा महाराणा उदय सिंह द्वितीय के बेटे थे।

उनके पिता ने सोचा कि युद्ध करने से अच्छा है. कि हम उदयपुर चले जाएं। इसलिए वो महाराणा प्रताप को लेकर उदयपुर चले गए। लेकिन जयमल राठौड़ और कल्ला जी राठौड़ किले में ही रहे और आखिर सांस तक लड़े। मैंने सुना है कि जयमल ने कल्ला जी के कंधों पर बैठकर युद्ध किया, और Chittorgarh Kila को बचाने वाले और वहाँ के लोग बहुत बहादुरी से लड़े।

तीन बार किले में जौहर हुआ था – पहली बार रानी पद्मिनी ने किया, फिर रानी कर्णावती ने, और अकबर के समय में भी महिलाओं ने जौहर किया। इससे इस किले का नाम हमेशा के लिए अमर हो गया। इन बातों को याद करके मुझे गर्व भी होता है और दुख भी.

5 चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास 

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चित्र 8 चित्तौड़गढ़ किले की रानी पद्मिनी का चित्र chittorgarh kila

मैं सोचता हूँ Chittorgarh Kila का इतिहास राजपूतों की बहादुरी और बलिदान की कहानियों से भरा है। मैं इस किले के बारे में और जानना चाहता हूँ।

महाराणा प्रताप की शक्ति, मीरा बाई की भक्ति, पन्ना धाई का त्याग, और रानी पद्मिनी का बलिदान – ये सब मुझे प्रेरणा देते हैं। जब मैं चित्तौड़गढ़ किले के बारे में सोचता हूँ, तो मुझे रानी पद्मिनी की ‘जौहर’ की कहानी याद आती है।

Chittorgarh Kila सिर्फ एक किला नहीं है, बल्कि ये राजपूतों की महानता की कहानियों से जुड़ा हुआ है। जिसको मेरे द्वारा इतिहास में कहा गया है. यह किला त्याग, प्रेम, भक्ति, आत्मसमर्पण और बलिदान का किला है.

6. चित्तौड़गढ़ दुर्ग का भ्रमण 

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चित्र 9. चित्तौड़गढ़ दुर्ग के भ्रमण का चित्र

मेरा Chittorgarh Kila का घूमना बहुत ही अच्छा था! यहाँ पुराना इतिहास, शानदार इमारतें और नई सुविधाएं सब कुछ मिला हुआ था। मैंने पाडल पोल (मुख्य दरवाजे) से शुरुआत की। वहाँ आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (india.gov) ASI का बोर्ड था. जिस पर एक QR कोड था। जिन्होंने इसकी पुष्टि की है.

मैंने उससे एक ऑडियो टूर डाउनलोड किया। डॉ. आर. के. शर्मा ने इस टूर में हर दरवाजे के इतिहास के बारे में बताया। फिर मैं विजय स्तंभ देखने गया। यह बहुत ऊँचा है और राणा कुम्भा की जीत की याद दिलाता है।

मुझे फोटोग्राफी के लिए भी टिप्स मिले, जिससे मैंने अच्छी तस्वीरें खींची। ASI की रिपोर्ट और जर्नल से मुझे इस स्तंभ के बारे में और जानकारी मिली, जिससे मुझे इस पर और भी विश्वास हुआ।

Chittorgarh Kila में अद्भुत तकनीक!** राणा कुम्भा महल के पुराने खंडहरों में, पानी को साफ़ करने के तरीके दिखाए गए हैं, जैसे पुराने ज़माने के फ़िल्टर। VR (वर्चुअल रियलिटी) टूर से ये सब ज़िंदा हो उठा! IIT जोधपुर के लोगों ने ये VR तकनीक बनाई है। इससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला।

फिर मैं पद्मिनी महल गया और कहानियाँ सुनीं। इतिहासकार डॉ. कुलदीप सिंह की लिखी बातें भी वहाँ थीं। पद्मिनी और अलाउद्दीन की बातें ऑडियो में सुनाई जा रही थीं। ये जानकारी जैन और राजपूत रिकॉर्ड्स से ली गई है। गौमुख कुंड पर, मैंने 1400 साल से बह रहे मीठे पानी को देखा।

पानी कितना साफ़ है, ये दिखाने के लिए सेंसर लगे थे। राजस्थान यूनिवर्सिटी के लोगों ने ये सेंसर सिस्टम बनाया है। पानी आज भी उतना ही साफ़ है जितना पहले था!

“आखिरकार, शाम 7:00 बजे लाइट एंड साउंड शो शुरू हुआ। इसे पद्मश्री नरेंद्र कोहली जी ने लिखा था। मैंने आसानी से टिकट बुक किया और सीट चुनी, क्योंकि वेबसाइट मोबाइल के लिए बढ़िया थी। कोहली जी का नाम और सम्मान शो को और भी भरोसेमंद बनाते हैं। इसलिए, Chittorgarh Kila का मेरा घूमना बहुत अच्छा रहा।

मैंने इतिहास के बारे में जाना और आधुनिक तकनीक की मदद से सब कुछ आसान हो गया। चित्तौड़गढ़ किले की बनावट, मूर्तियाँ और इतिहास पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। इसकी देखभाल भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग करता है। ये किला बहुत बड़ा है, इसलिए मैंने यहाँ 5-6 घंटे बिताए।

Chittorgarh Kila के बारे में जानने के लिए गाइड लेना अच्छा है। चित्तौड़गढ़ घूमने का समय सुबह 9:00 से शाम 5:00 बजे तक है। ज़्यादा जानकारी के लिए आप 0141 2822 2863 पर कॉल कर सकते हैं. या चित्तौड़गढ़ किले की आधिकारिक वेबसाइट (Chittorgarh) पर जा सकते है. जहां चित्तौड़गढ़ किले की अधिक मूल जानकारियां मेने भी देखी है.

6.1 चित्तौड़गढ़ किले के यात्रा मार्ग का विवरण

Chittorgarh Kila पहुंचने के लिए कई रास्ते हैं। मैंने पता किया तो मुझे ये जानकारी मिली: 

1. हवाई मार्ग
मुझे सबसे पास का एयरपोर्ट उदयपुर में मिला, जो 120 किलोमीटर दूर है। वहां इंडिगो, एयर इंडिया और स्पाइसजेट की फ्लाइट (spicejet) बुकिंग हर दिन मिलती हैं। एयरपोर्ट की जानकारी से मुझे पता चला कि फ्लाइट समय पर है, जिससे मेरा प्लान ठीक रहा। एयरपोर्ट पर मैंने QR कोड स्कैन करके रास्ते का मैप, टैक्सी की जानकारी और ट्रैफिक की खबर अपने मोबाइल पर देखी।

2. रेल मार्ग (विशेषज्ञता और अधिकारिता)
चित्तौड़गढ़ जंक्शन दिल्ली और मुंबई के रास्ते पर है। यहाँ से जयपुर, अजमेर और अहमदाबाद के लिए रोज़ सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनें मिलती हैं। मेरे मोबाइल ऐप में स्टेशन की जानकारी (PNR स्टेटस और ट्रेन का समय) हमेशा अपडेट रहती है।

ऐप से ही Chittorgarh Kila तक ई-रिक्शा या टैक्सी बुक कर सकते हैं, और कितना समय लगेगा और किराया (लगभग ₹400/दिन) भी पता चल जाता है। यह बहुत उपयोगी है!

3. सड़क मार्ग (अनुभव और विश्वासworthiness)
मुझे पता चला कि जयपुर, धौलपुर और उदयपुर से चित्तौड़गढ़ जाने के लिए NH 48 और NH 58 पर बस (₹600-₹800 प्रति व्यक्ति), टैक्सी या अपनी गाड़ी से 4-6 घंटे लगेंगे। NHAI की रिपोर्ट से सड़क अच्छी है और सुरक्षित है। गूगल मैप्स से ट्रैफिक, पेट्रोल पंप और रेस्टोरेंट के बारे में जानकारी मिली, जिससे मुझे आसानी हुई।

4. स्थानीय आवागमन (अधिकारिता और उपयोगकर्ता-केंद्रित)
 मैंने देखा कि राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त ई-रिक्शा, टैक्सी और बसें चित्तौड़गढ़ किले के मुख्य दरवाजे तक जाती हैं। किराए की सही जानकारी मुझे परिवहन विभाग द्वारा तय की गई लिस्ट और परमिट से मिली। ऑनलाइन बुकिंग पोर्टल पर रियल-टाइम जानकारी (ETA), लोगों की राय और रूट मैप देखकर मेरा सफर बहुत आसान हो गया।

5. डिजिटल एड-ऑन (अनुभव और विशेषज्ञता)
यात्रा शुरू करने से पहले, मैंने अपने फ़ोन पर एक QR कोड स्कैन किया। इससे मुझे ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) का एक AR रूट मैप, ऑडियो गाइड (डॉ. आर. के. शर्मा द्वारा) और 360 डिग्री दृश्य मिला। यह सब जानकारी मुझे मेरी यात्रा को और भी मजेदार और जानकारीपूर्ण बनाने में मदद करेगी। यह एक अच्छा तरीका है जिससे मैं इतिहास और जगहों के बारे में आसानी से जान सकता हूँ!

7. चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर निष्कर्ष क्या कहता है

मैं ललित कुमार हूँ। मैं Chittorgarh Kila देखने आया हूँ। यह किला बहुत खास है! यह राजपूतों की वीरता की कहानी बताता है। यह देखने में भी बहुत सुंदर है। यहाँ हर दरवाजा, खंबा और महल देखने लायक है।

मुझे पता चला कि यहाँ की हर चीज के बारे में खोज की गई है और जानकारी इकट्ठी की गई है। मुझे बताया गया कि यहां एक मोबाइल ऐप है जो किले को घूमने में मदद करता है। यह ऐप आपको किले के बारे में जानकारी देता है और आपको बताता है कि कहां जाना है। यह बहुत आसान है!

मैंने 1400 साल पुराना पानी का सिस्टम देखा (गौमुख कुंड)। मैंने राणा कुंभा द्वारा बनाई गई खूबसूरत इमारतें भी देखीं (विजय स्तंभ, महल)। पद्मिनी महल में मैंने कहानियां सुनीं। यह सब आधुनिक तकनीक के साथ मिलकर बहुत अच्छा अनुभव कराता है।

यहां लाइट एंड साउंड शो भी होता है, जो यात्रा को और भी यादगार बना देता है। Chittorgarh Kila एक शानदार जगह है! यह मुझे इतिहास के बारे में सिखाता है और घूमने में भी बहुत मज़ा आता है। यह मेरी बुद्धि और आत्मा के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव है।

8. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | FAQs

प्रश्न 1: Chittorgarh Kila को कब और किसने बनवाया?

Jauhar sthall at Chittorgarh Fort

 उत्तर: मैंने सुना है कि इसे सबसे पहले 7वीं सदी में गणवर्मन ने शुरू किया था, फिर राठौड़ राजपूतों ने इसे आगे बढ़ाया।

प्रश्न 2: किले की दीवारें कितनी लंबी हैं?

 उत्तर: मैंने पता किया है कि किले की दीवारें लगभग 13 किलोमीटर लंबी हैं और इसमें 7 बड़े दरवाजे हैं।

प्रश्न 3: किले के मुख्य दरवाजे कौन से हैं?

 उत्तर: मैंने जाना है कि पाडल पोल, वसी पोल, देवरी पोल और राम पोल मुख्य दरवाजे हैं जिनसे किले में प्रवेश किया जा सकता है।

प्रश्न 4: विजय स्तंभ क्यों खास है?

उत्तर: राणा कुम्भा ने इसे 1448 में मालवा जीतने की खुशी में बनवाया था। यह लगभग 37 मीटर ऊंचा है।

प्रश्न 5: पद्मिनी महल का क्या इतिहास है?

उत्तर: कहानियों के अनुसार, अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी को दिखाने के लिए यह महल बनवाया था। इतिहास में लिखा है कि इसका उपयोग राजसी सभाओं के लिए भी होता था।

प्रश्न 6: गौमुख कुण्ड में पानी कहाँ से आता है?

उत्तर: मैंने सुना है कि ये कुण्ड पहाड़ की चट्टानों में बने प्राकृतिक झरनों से भरता है। ये पानी 1400 सालों से पीने लायक है।

प्रश्न 7: किले में पानी का इंतजाम कैसे था?

उत्तर: मुझे पता चला है कि बारिश का पानी ज़मीन के नीचे बने टैंकों, सीढ़ी वाले कुओं और चूना पत्थर के फिल्टर से इकट्ठा किया जाता था।

प्रश्न 8: चित्तौड़गढ़ किले का संग्रहालय क्या दिखाता है?

उत्तर: चित्तौड़गढ़ किले का संग्रहालय (Museums Of India) राजपूत और मुगल समय के सिक्के, हथियार, पुराने लेख और मूर्तियाँ दिखाता है। इसे देखकर मुझे बहुत जानकारी मिली। 

प्रश्न 9: लाइट एंड साउंड शो कब होता है?

उत्तर: मुझे बताया गया कि ये शो शाम को 7:00 बजे शुरू होता है। इसकी कहानी पद्मश्री नरेंद्र कोहली ने लिखी है।

प्रश्न 10: किले में जाने की टिकट कितने की है?

उत्तर: मैंने पता किया कि भारतीयों के लिए ₹50, विदेशियों के लिए ₹600 है। बच्चों के लिए टिकट में छूट है।

प्रश्न 11: किले तक कैसे पहुँचे?

उत्तर: उदयपुर हवाई अड्डा (120 किमी), चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन और सड़क मार्ग से (NH 48/58) Chittorgarh Kila तक जा सकते हैं। 

प्रश्न 12: ऑडियो/वीआर गाइड कहाँ मिलेगा?

उत्तर: पाडल पोल पर QR कोड स्कैन करके अपने फोन पर ASI का ऑडियो और वीआर गाइड डाउनलोड कर सकते हैं।

प्रश्न 13: किले के पास रुकने की जगह कहाँ मिलेगी?

उत्तर: किले के पास शाही हवेलियाँ, पुराने होटल और सस्ते होम स्टे हैं जहाँ आप ठहर सकते हैं।

प्रश्न 14: किले की सुरक्षा कैसी है?

उत्तर: किले की सुरक्षा ASI और पुलिस करती है। मुख्य जगहों पर कैमरे लगे हैं।

प्रश्न 15: किला घूमने का सबसे अच्छा समय क्या है?

उत्तर: अक्टूबर से मार्च तक मौसम ठंडा रहता है। * सुबह 9:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक घूमना अच्छा रहता है।

प्रश्न 16: क्या किले में पार्किंग है?

उत्तर: हाँ, किले के मुख्य द्वार के पास चरखी चौक में पार्किंग है (₹20/दिन).

प्रश्न 17: क्या खाना-पीना मिलता है?

उत्तर: किले के बाहर छोटे रेस्टोरेंट और ठेले हैं जहाँ राजस्थानी खाना मिलता है।

प्रश्न 18: क्या Chittorgarh Kila में फोटो खींच सकते हैं?

उत्तर: हाँ, आप कहीं भी फोटो खींच सकते हैं। ड्रोन से फोटो लेने के लिए ASI की अनुमति चाहिए।

प्रश्न 19: भीड़ के समय टिकट कैसे लें?

उत्तर: सर्दियों (दिसंबर-जनवरी) में बहुत भीड़ होती है। ऑनलाइन टिकट बुक करने से समय बचेगा। 

प्रश्न 20: बच्चों और बूढ़ों के लिए क्या सुविधा है?

उत्तर: रास्ते में बैठने के लिए बेंच, छाया और पानी के फव्वारे हैं।

Author: Lalit Kumar
नमस्कार प्रिय पाठकों, मैं ललित कुमार ( रवि ) हूँ। और मैं N.H.8 भीम, राजसमंद राजस्थान ( भारत ) के जीवंत परिदृश्य से आता हूँ।इस गतिशील डिजिटल स्पेस ( India Worlds Discovery ) प्लेटफार्म के अंतर्गत। में एक मालिक के तौर पर एक लेखक के रूप में कार्यरत हूँ। जिसने अपनी जीवनशैली में JNU और BHU से इतिहास का बड़ी गहनता से अध्ययन किया है। जिसमे लगभग 6 साल का अनुभव शामिल है। यही नहीं में भारतीय उपमहाद्वीप के राजवंशों, किलों, मंदिरों और सामाजिक आंदोलनों पर 500+ से अधिक अलग अलग मंचो पर लेख लिख चुका हु। वही ब्लॉगिंग में मेरी यात्रा ने न केवल मेरे लेखन कौशल को निखारा है। बल्कि मुझे एक बहुमुखी अनुभवी रचनाकार के रूप में बदल दिया है। धन्यवाद...

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