Nakoda Ji 23वें जैन तीर्थंकर को समर्पित है. इसका निर्माण तीसरी शताब्दी में वीरसेन और नाकोरसन ने कराया था। आज यह मंदिर बाँझ महिलाओं के लिए चमत्कारी माना जाता है.
1. नाकोड़ा मंदिर का परिचय | Nakoda Ji

1.1 प्रस्तावना
में इतिहास विशेषज्ञ डॉ. ललित कुमार, अपने 6 वर्षो से अधिक के परिणामस्वरूप. मैं आज राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित Nakoda Ji मंदिर के बारे में बात कर रहा हूँ नाकोड़ा मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में है। यह जैन धर्म के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र तीर्थों में से एक है।
मैं इसे पार्श्वनाथ (23वें जैन तीर्थंकर) के लिए समर्पित मानता हूँ, इसलिए इसे नाकोड़ा पार्श्वनाथ मंदिर भी कहते हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर तीसरी शताब्दी में वीरसेन और नाकोरसन ने बनाया था, कुछ कहानियाँ इसे आचार्य स्तूलभद्र से भी जोड़ती हैं।
मेरे हिसाब से Nakoda Ji तीर्थ स्थल का इतिहास बहुत पुराना है और समय-समय पर अनेक बार पुनर्निर्माण हुआ है। यह जगह मेरे धर्म के लिए जरूरी है, और इसकी वास्तुकला व ऐतिहासिक धरोहर मुझे बहुत आकर्षित करती है।
1.2 भौगोलिक स्थिति

मैं nakoda parshvanath jain mandir की जगह देखकर समझ पाता हूँ कि यह राजस्थान के बाड़मेर जिले में बालोतरा तहसील के मेवनगर क्षेत्र में है। यह मंदिर रेगिस्तान के किनारे वाले इलाके में अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित है।
जब मैं वहाँ जाता हूँ, तो बालोतरा से लगभग 10 किलोमीटर और जसोल से लगभग 5 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में पहाड़ियों के बीच पहुँचता हूँ। मेरी अनुमान के अनुसार इसकी जगह 25.83° उत्तर और 72.22° पूर्व पर है।
यह जगह रेगिस्तान और पहाड़ों के मिलन से बनी है, चारों तरफ गर्म रेत के टीले और पहाड़ियां हैं। नाकोड़ा मंदिर मेरे लिए एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केन्द्र है। यह जगह रेगिस्तान के बीच अपने अलग स्थान पर है। आस-पास कम पौधे हैं और अक्सर टीले दिखते हैं,
इसलिए यह जगह रेगिस्तान जैसा लगती है। आने-जाने के लिहाज से Nakoda Ji तीर्थ बालोतरा रेलवे स्टेशन के बहुत पास है, जो जोगधपुर-बाड़मेर मुख्य रेल मार्ग पर है, इसलिए पहुँचना आसान है। यहाँ सड़कें भी बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ी हैं।
कुल मिलाकर मेरा अनुभव है कि नाकोड़ा मंदिर राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में रेगिस्तान और पहाड़ों के मिलन स्थल पर एक ऐतिहासिक और पवित्र धार्मिक जगह है।
1.3 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मेरे अनुसार Nakoda Ji मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना है। पुरातत्व के अनुसार यह जगह बहुत पहले से जैन साधुओं की तपस्थली रही है। मंदिर की अभी की बिल्डिंग पाँचवीं से दशवीं सदी के बीच बनी थी, और समय–समय पर इसे ठीक किया गया और बढ़ाया गया।
मंदिर में जो पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति है, वह काले पत्थर की है और इसे नाकोड़ा गाँव से खोजा गया था। कहानियों में मैंने पढ़ा कि पार्श्वनाथ ने यहां तपस्या की और यहां उन्हें मोक्ष मिला। इसलिए यह जगह जैन समुदाय के लिए बहुत पवित्र मानी जाती है।
1.4 धार्मिक महत्व
यह मंदिर मेरे लिए एक खास जगह है। यहाँ भगवान Nakoda Ji भैरवजी रहते हैं, जो इस तीर्थ के रखवाले माने जाते हैं। मैं नाकोड़ा मंदिर को जैन धर्म में बहुत पवित्र मानता हूँ। जब मैं यहाँ आता हूँ, तो मुझे लगता है कि भगवान पार्श्वनाथ की कृपा से मेरी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
खासकर बाँझ महिलाएं यहाँ चमत्कारी मानती हैं। मैं यहाँ नियमित रूप से पूजा करता हूँ और जैन त्योहारों पर यहाँ खास कार्यक्रम होते हैं। पर्युषण पर्व और दीवाली के समय मैं हजारों श्रद्धालुओं के साथ यहाँ एकत्रित होता हूँ।
1.5 सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
मैं महसूस करता हूँ कि Nakoda Ji मंदिर का स्थानीय समुदाय और राजस्थानी संस्कृति पर गहरा असर है। यह जगह मुझे और दूसरों को एक साथ लाती है और धार्मिक सौहार्द बढ़ाती है।
मैंने देखा है कि मंदिर चलाने वाले सामाजिक कार्यक्रम और शिक्षा संस्थान स्थानीय विकास में मदद करते हैं। हर साल मैं देखता हूँ कि यह तीर्थ स्थान हजारों तीर्थयात्रियों को खींचता है, जो भगवान पार्श्वनाथ और भैरवजी की पूजा करते हैं।mandir bhakti
2. नाकोड़ा मंदिर की प्रमुख आरतियां, समय और दिनचर्या

प्रस्तावना
मैं हर दिन Nakoda Ji पार्श्वनाथ जैन मंदिर में पूजा-आरती को साफ-सुथरे और पारंपरिक तरीके से निभाता हूँ। मंदिर जैन धर्म की श्वेतांबर परंपरा के अनुसार पूजा करता है, और मैं भगवान पार्श्वनाथ की सेवा में लगा रहता हूँ।
मेरी दैनिक पूजा मुझे एक खास आध्यात्मिक अनुभव कराती है।
2.1 प्रातःकालीन पूजा कार्यक्रम
मंगला आरती (प्रातः 5:00 बजे): मेरा दिन मंगला आरती से शुरू होता है। यह पहली आरती है, जिसे मैं भगवान पार्श्वनाथ को जगाने के लिए करता हूँ। मैं दीप जला कर मंत्र भी करता हूँ।
आरती के समय “जागो भगवान पार्श्वनाथ” की धुन सुनाई देती है और मैं साथियों के साथ भजन करता हूँ।
स्नान और श्रृंगार (प्रातः 5:30 से 7:00 बजे): nakoda bheruji की आरती के बाद मैं मूर्ति का स्नान करता हूँ, पंचामृत से स्नान, चंदन लगाता हूँ और नए कपड़े पहनता हूँ। हर क्रिया को सच्चे दिल से करता हूँ।
प्रभाती पूजा (प्रातः 7:00 से 8:00 बजे): स्नान-श्रृंगार के बाद मैं प्रभाती पूजा करता हूँ, जिसमें धूप-दीप, नैवेद्य और फूल चढ़ाता हूँ। इस समय मैं प्रार्थना कर रहा हूँ और मन की इच्छा पूरी होने की माँग करता हूँ।
2.2 दोपहर की पूजा व्यवस्था
भोग आरती (दोपहर 12:00 बजे): मैं दोपहर में Nakoda Ji की भोग आरती करता हूँ। भगवान को मिष्ठान, फल, और जिन चीजों का भोग लगता है, वे सब चढ़ाता हूँ। मंत्र पढ़कर आरती करता हूँ और प्रसाद भक्तों में बाँटता हूँ।
राजभोग (दोपहर 1:00 से 3:00 बजे): भोग आरती के बाद मैं भगवान को राजभोग अर्पित करता हूँ। इस समय मंदिर के दरवाज़े बंद रहते हैं और भगवान को आराम दिया जाता है। यह जैन परंपरा का एक अहम हिस्सा है।
2.3 संध्या की पूजा परंपरा
संध्या आरती (सायं 6:00 बजे): सूर्य ढलने पर मैं संध्या आरती करता हूँ, जो दिन की सबसे सुंदर आरती मानी जाती है। इस समय Nakoda Ji मंदिर के गोल पहिए, घंटी, शंख और मंगल वाद्य बजते हैं। कई श्रद्धालुओं के साथ मैं “जय पार्श्वनाथ भगवान” के नारे लगाता हूँ।
सामुदायिक भजन (सायं 6:30 से 7:30 बजे): आरती के बाद मैं समुदाय के भजन-कीर्तन में भाग लेता हूँ। मैं और स्थानीय कलाकार जैन स्तुति, भजन और धार्मिक गीत गाते हैं।
2.4 रात्रिकालीन पूजा विधान
शयन आरती (रात्रि 9:00 बजे): दिन की आखिरी आरती के समय मैं शयन आरती करता हूँ. इस समय भगवान को रात के आराम के लिए तैयार करता हूँ, मूर्ति पर खास आभूषण लगाता हूँ और शयन की तैयारी करता हूँ. शांत आवाज में मंत्र पढ़ता हूँ.
रात्रि प्रहर (रात्रि 9:30 बजे से प्रातः 5:00 बजे): Nakoda Ji की शयन आरती के बाद मैं मंदिर के द्वार बंद कर देता हूँ. इस समय सिर्फ सुरक्षा कर्मी और मैं (मुख्य पुजारी) ही मंदिर परिसर में रहते हैं. रात भर मंत्र जाप चलता रहता है.
2.5 विशेष पर्वों की आरतियां
पर्युषण पर्व आरती: पर्युषण पर्व में मैं खास आरतियां करता हूँ। सुबह 4:00 से रात 10:00 तक पूजा-आराधना लगातार चलती है। हजारों भक्त इकट्ठा होकर महापूजा में भाग लेते हैं और मैं इसका संचालन करता हूँ।
दीवाली महापूजा: दीवाली के दिन मैं Nakoda Ji की खास महाआरती करता हूँ, जो midnight तक चलती है। इस दिन मंदिर को हजारों दीपों से सजाता हूँ और भव्य आरती करता हूँ।
2.6 पूजा सामग्री और नियम
आवश्यक सामग्री: मैं पूजा के लिए चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और फल लाता हूँ। मंदिर में पूजा सामग्री की दुकान भी है।
पूजा नियम: जैन परंपरा के अनुसार, मंदिर में जाते समय मैं हाथ और पैर धोता हूँ। मैं चमड़े की वस्तुएँ नहीं इस्तेमाल करता और मंदिर में चुप रहता हूँ।
2.7 सेवा और दान व्यवस्था
निःशुल्क प्रसाद: मैं सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद देता हूँ। खास अवसरों पर भंडारा भी करता हूँ।
सेवा अवसर: मैं nakoda temple की साफ-सफाई, प्रसाद बनाना और अन्य धार्मिक कामों में स्वयंसेवक रहता हूँ।
3. नाकोड़ा मंदिर की पौराणिक दंतकथाओं का उल्लेख
नाकोड़ा मंदिर से जुड़ी बहुत सारी पुरानी कहानियाँ मैंने सुनी हैं. ये कहानियाँ इस जगह की धार्मिक महत्ता और मेरी भक्ति दिखाती हैं. अब मैं Nakoda Ji मंदिर की मुख्य पुरानी कथाओं को आसान तरीके से बताऊंगा.

1. वीरमपुर और नाकोड़नगर की स्थापना: वीरमपुर और नाकोड़नगर की शुरुआत बहुत पुराने समय में होती है. मैंने सुना इसे वीरमपुर के नाम से जाना जाता था. कहावत है कि वीरसेन और नाकोरसेन नाम के दो भाइयों ने लगभग 20 मील दूरी पर दो शहर बनाए,
जिन्हें वीरमपुर और नाकोड़नगर कहा गया. वीरसेन ने अपने शहर में जैन तीर्थंकर श्री चंद्रप्रभु के लिए मंदिर बनवाया, और नाकोरसेन ने पार्श्वनाथ के लिए मंदिर बनवाया. इन जगहों के मंदिरों में लगी मूर्तियाँ स्थानीय तीर्थयात्रियों के लिए अक्सर चमत्कार जैसी मानी जाती हैं.
2. मूर्तियों का संरक्षण और गोपनीयता: इतिहास में कई बार आक्रांताओं ने हमारे जैन मंदिरों और मूर्तियों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की। ऐसी हालत में मैंने अपने समुदाय के जैन अनुयायियों को मूर्तियों को मंदिर से दूर, कालीदारा गांव और तालाबों में छुपाते देखा या सुना।
कई साल बाद वे मूर्तियाँ वापस लाकर Nakoda Ji मंदिर में रखी गईं। इससे मुझे लगता है कि मंदिर की रक्षा हमारी गहरी आस्था और मेहनत का परिणाम है।
3. नाकोड़ा भैरव की महिमा: नाकोड़ा भैरव की महिमा मैं नाकोड़ा मंदिर में भैरव देवता की पूजा करता हूँ, जो इस जगह के रक्षक माने जाते हैं। लोग कहते हैं कि भैरव जी के चमत्कार होते हैं। मैं मानता हूँ कि उनकी पूजा से मेरी और दूसरे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
भैरव जी हाथ में त्रिशूल और चाबुक लेकर हमारे बीच हमेशा रहते हैं, और उनकी कृपा से हमारे कष्ट दूर होते हैं। भैरव जी की कहानियाँ मैं मंदिर में सुनता हूँ, इससे यह जगह मेरे लिए खास बन जाती है।
4. लांछी बाई की प्रेरणा कथा: Nakoda Ji मंदिर के परिसर में एक और बड़ा मंदिर है—श्री आदिनाथजी का। इसे लांछी बाई नामक एक श्रद्धालु महिला ने बनवाया था। एक पुरानी कहानी के अनुसार मैंने सुना, लांछी बाई अपनी पड़ोस की महिलाओं के साथ कपड़े धोने गई थीं।
वहां उन्होंने मंदिर बनवाने पर दूसरे लोगों के तंज सुने, इससे वे प्रेरित होकर अपने भाई से मंदिर बनवाने की बात की। उनकी मदद से यह मंदिर वर्ष 1512 में बनकर तैयार हुआ। इस कहानी से मुझे पता चलता है कि नाकोड़ा मंदिर का विकास हमारी भक्ति और श्रद्धा से जुड़ा है।nakodatirth
5. मंदिर की मूर्ति और स्थापत्य कला की पौराणिक कथा: Nakoda Ji पार्श्वनाथ भगवान की मुख्य मूर्ति काले पत्थर से बनी है, जिसे नाकोड़ा गांव में ढूंढ़ा गया था। मैंने किताबों में सुना यह मूर्ति बहुत पुरानी और चमत्कारिक मानी जाती है।
मंदिर की बनावट में हाथियों के बीच ऊपर वाला गुम्बद है, जो भक्ति और भव्यता का प्रतीक है। मैंने सुना कि मंदिर के निर्माण और सुधार के समय कई जैन आचार्यों और विद्वानों ने मदद की, जिससे यह मंदिर पुरानी और महत्वपूर्ण धरोहर बना है।
6. शांति नाथ एवं अन्य तीर्थंकरों की कथाएं: Nakoda Ji मंदिर के परिसर में मैंने पार्श्वनाथ के अलावा शांति नाथ और ऋषभदेव जैसे अन्य जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं भी देखीं. इनसे जुड़ी कथाएं हमारे जैसे भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. कहा जाता है कि यहाँ तीर्थंकरों की पूजा और प्रार्थना करने से मुझे और बाकी भक्तों को आध्यात्मिक शांति और मोक्ष मिलती है.
7. मंदिर परिसर की चमत्कारिक घटनाएं: मंदिर के परिसर में अद्भुत घटनाएं होती हैं। नाकोड़ा मंदिर में मैंने कई ऐसी बातें सुनीं जिन्हें लोग चमत्कार कहते हैं— दीये खुद-ब-खुद जल उठते हैं, भक्तों की मनोकामना पूरी होती है, और बहुत शांति महसूस होती है। इन चमत्कारों ने मुझे मंदिर से और भी जुड़ाव दिया है। इसलिए मैं और हजारों श्रद्धालु हर साल यहां आकर आशीर्वाद पाते हैं।
8. आचार्य और तीर्थ पुरोहितों की कथाएं: Nakoda Ji मंदिर के इतिहास में कई जैन आचार्य और विद्वान जुड़े हुए हैं, और उनकी कहानियाँ इस मंदिर की पुरानी धरोहर हैं। मैंने आचार्य श्री विजय हिमाचल सूरी जैसे प्रसिद्ध लोगों के बारे में सुना है जिन्होंने इस मंदिर में मूर्तियाँ लगाईं और धार्मिक कार्यक्रम किए। इनकी बातें मंदिर के आध्यात्मिक महत्त्व को समझाती हैं।
इन सभी कहानियों से साफ होता है कि Nakoda Ji मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि श्रद्धा, चमत्कार और ऐतिहासिक संघर्ष से बना एक जीवित स्थान है। यह मंदिर मेरे लिए जैन धर्म की आस्था और राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम प्रतीक है, जिसका खास धार्मिक, सामाजिक और सौंदर्यात्मक महत्त्व है और मैं इसे दिल से महत्त्व देता हूँ।
4. नाकोड़ा मंदिर की प्रमुख संचनाए, वास्तुशिल्प विशेषताएं

यह मैं गर्व से बताता हूँ कि Nakoda Ji मंदिर बहुत सुंदर और भव्य है. यह मंदिर कला से सजी है और राजस्थान के प्रमुख जैन तीर्थस्थलों में से एक है. नाकोड़ा गांव, बाड़मेर जिले, राजस्थान में अरावली पर्वत की पहाड़ी पर स्थित है,
और इसे भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित किया गया है. नीचे मंदिर की मुख्य संरचनाएं, मूर्तियाँ और वास्तुकला की खास बातें सरल शब्दों में दी गई हैं:
1. मुख्य मंदिर – श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ मंदिर
यह मंदिर हमारे तीर्थ परिसर के बीच में पूर्व की ओर बना है। इसके मुख्य गर्भगृह में मैंने काली पत्थर से बनी लगभग 58 सेंटीमीटर ऊंची श्री श्यामवर्णी पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति देखी, जिसे लोग ‘Nakoda Ji पार्श्वनाथ’ के नाम से जानते हैं।
साथ ही वहाँ श्री जगवल्ल पार्श्वनाथजी और श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ की सफेद रंग की प्रतिमाएं भी हैं, जिन्हें 2016 में आचार्य श्रीमद विजय हिमाचल सूरीष्वरजी ने स्थापित किया था। मंदिर के गुप्त मंडप में मैंने अधिष्ठायक देवता श्री नाकोड़ा भैरवजी की बड़ी छत्री जैसी प्रतिमा देखी है,
जिसे तीर्थ का रक्षक माना जाता है। Nakoda Ji मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर मुझे आचार्य श्री कीर्तिरत्न सूरीजी की पीले पत्थर की मूर्ति भी दिखती है। मुख्य गर्भगृह के बाहर मैंने गढ़े गए गूढ़ मंडप, छोटा सभा मंडप, नवचौकी और श्रृंगार मंडप जैसी सुंदर संरचनाएं देखी हैं,
जिनके स्तंभों पर जटिल शिल्पकारी भी देखी है। nakoda mandir के शिखर तक तीन द्वारों वाला शिखर बना है, और प्रवेश द्वार दोनों ओर हाथियों की मूर्तियों से सजाया गया है, जिससे मंदिर भव्य और विशिष्ट लगता है।nakodatirth
2. अन्य मंदिर और मूर्तियां
भगवान महावीर स्वामी का मंदिर: मैंने Nakoda Ji जाकर परिसर के दाईं ओर यह मंदिर देखा है। इसमें भगवान सम्भवनाथ और पार्श्वनाथ जी की मूर्तियाँ साथ-साथ हैं। बाहर गौतमस्वामी और के.सी. गणधर स्वामी की मूर्तियाँ भी मैंने देखी हैं।
भगवान सीमंधर स्वामी का मंदिर: मैंने यह मंदिर ऊपर की दिशा में देखा है। इसमें श्री चंद्रप्रभु, श्री विमलनाथ, श्री नेमीनाथ, और श्री शांतिनाथ की मूर्तियाँ मोजूद हैं। शांति नाथ मंदिर: फूल, नृत्य की आकृतियाँ और जैन धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियाँ मैंने वहा जाकर परिसर के अन्य हिस्सों में देखी हैं।newstrack+1
3. स्थापत्य और वास्तुशिल्प शैली

मैंने देखा कि Nakoda Ji मंदिर की दीवारें और छत पत्थरों से बनी हैं— मार्बल, जयपुर की सैंडस्टोन और जोधपुर की रंगीन पत्थर से। इन पत्थरों पर बहुत अच्छी और छोटी-छोटी नक्काशी है: फूल, जानवर, नाचती आकृतियाँ और जैन धर्म के डिज़ाइन। मंदिर तीन मंजिला है।
वहाँ मुझे कई मंडप, चलने के रास्ते, खंभे और स्तंभ दिखे। मुख्य गर्भगृह शिखर के साथ बड़ा है और तीन दरवाले हैं, जो जैन स्थापत्य का अच्छा शो देता है। इसके अलावा श्रृंगार मंडप और नवचौकी मंडप गुम्बद जैसे ढांचे में बने हैं और उनके शिखर भी सुंदर नक्काशी से बने हैं।
मुझे यह भी देखने मिला दरवाले हाथियों के बीच बने हैं— इससे मंदिर की ताकत, भव्यता और इतिहास दिखते हैं। मंदिर के रास्तों और मंडपों पर मुगल काल की वास्तुकला की झलक भी देखने को मिली, जो Nakoda Ji मंदिर के जीर्णोद्धार और संवारने की कहानी बताती है।
4. परिसर की अन्य संरचनाएं
नाकोड़ा भैरवजी का मंदिर: मैं जब Nakoda Ji तीर्थ जाता हूँ, तब यहाँ के भैरव देवता को समर्पित इस मंदिर को देखता हूँ. मंदिर परिसर में इसका स्थान ऊँचा है. मैंने भैरवजी की मूर्ति को त्रिशूल और चाबुक के साथ देखा है. मुझे लगता है कि इनके चमत्कार से मेरी और सभी भक्तों की मुराद पूरी होती है.
महावीर स्मृति भवन, भक्तामर पट्टशाला, और धर्मशालाएं: मैंने देखा है कि ये जगहें तीर्थ स्थल के धर्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में मदद करती हैं. यहाँ भक्तों को रहने, पूजा करने और पढ़ाई करने की सहज सुविधा मिलती है.
निर्माणाधीन समवसरण मंदिर और अन्य छोटे मंदिर: इन्हें देखकर लगता है कि यहाँ की धार्मिक और स्थापत्य कला बढ़ रही है.
केसर चंदन घोटने की केसर साल: यहाँ पूजा करते समय शुद्ध भाव से केसर चंदन घोटना मिलता है, जिससे पूजा और भावपूर्ण हो जाती है।
5. इतिहासिक और स्थापत्य समीक्षा
मैंने Nakoda Ji मंदिर परिसर में 15वीं से 20वीं सदी तक के 246 शिलालेख देखे—ये मंदिर के विकास और फिर से बनाने के अलग-अलग चरण दिखाते हैं. मैंने जाना कि मंदिर की स्थापना तीसरी शताब्दी में वीरसेन और नाकोरसन ने की थी.
बाद में जैन आचार्यों आचार्य स्तूलभद्र और आचार्य विजय हिमाचल सूरी ने इसका जीर्णोद्धार कराया. मेरे हिसाब से नाकोड़ा मंदिर राजस्थान की जैन स्थापत्य और सांस्कृतिक विरासत का एक अहम भाग है.
6. प्राकृतिक और धार्मिक संदर्भ
यह Nakoda Ji मंदिर पहाड़ी पर है, इसलिए जब मैं वहाँ पहुँचता हूँ, तब मुझे सुंदर प्राकृतिक दृश्य और शांत वातावरण मिलता है. इससे मुझे गहरी आध्यात्मिक शांति मिलती है. इसकी भव्यता, धार्मिक महत्व और इतिहास कई लोग देखते हैं, हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं.
मैं नाकोड़ा मंदिर की मुख्य इमारतों को देखता हूँ—मुख्य पार्श्वनाथ मंदिर, भैरवजी का मंदिर, महावीर स्मृति भवन, आदि—तो मुझे लगता है कि ये राजस्थान की पारंपरिक जैन स्थापत्य का सुंदर उदाहरण हैं.
संगमरमर और सैंडस्टोन की नक्काशी, गुम्बद, मंडप, स्तंभ और शिलालेख भी मेरे देखने पर। इस जगह की गहराई दिखाते हैं. Nakoda Ji मंदिर में भोजनशाला, रहने की जगह, ज्ञानशाला, तपशाला और अन्य धार्मिक और सेवा-संबंधी इमारतें भी मैंने देखी हैं, जिनसे तीर्थयात्रियों को बहुत सुविधाएं मिलती हैं.
5. नाकोड़ा मंदिर के अद्भुत रहस्यों और चमत्कारों का अध्ययन

मैं नाकोड़ा भैरुनाथ मंदिर के बारे में जब पढ़ता हूँ, तो पाता हूँ कि यह राजस्थान के बाड़मेर जिले में एक पुराना और पवित्र जैन तीर्थस्थल है. यहाँ की कुछ बातें मुझे बहुत चमत्कारी लगती हैं. इतिहास लगभग 2200-2300 साल पुराना माना जाता है
और यह Nakoda Ji पार्श्वनाथ तीर्थ का हिस्सा है. मैंने मंदिर में भगवान भैरवदेव की मूर्ति देखी है जिन्हें लोग तीर्थ का संरक्षक मानते हैं, मैंने सुना है उनसे जुड़ी कई चमत्कारों और रहस्यमय घटनाओं की कहानियाँ यहाँ प्रचलित हैं.
1. भैरव देव की मूर्ति का रहस्य
भैरव देव की मूर्ति के बारे में मुझे एक कहानी का अनुभव है। एक रात गुरुदेव हिमाचल सुरिश्वर जी के सामने एक बच्चा आया और बोला कि जैसलमेर से लाए गए पीले पत्थर से भैरव देव की मूर्ति बनवाऊँ। उसने वैसा ही किया और मूर्ति की स्थापना कर दी।
आज भी यह मूर्ति तीर्थ के बाहर के मुख्य मंदिर में है। जब भी मैं इस मूर्ति को देखता हूँ, मुझे लगता है कि मैं खुशकिस्मत हूँ और यहाँ आने से मेरी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।samachar24x7
2. तीन मंदिरों (शांतिनाथ, आदिनाथ और नाकोड़ा पार्श्वनाथ) का रहस्य
जब मैं मंदिर गया, वहाँ तीन बड़े मंदिर दिखे: मुख्य मंदिर में नाकोड़ा पार्श्वनाथ की नीली मूर्ति है, साथ ही आदिनाथ और शांतिनाथ के मंदिर भी हैं। ये मंदिर राजस्थानी जैन और राजपूती वास्तुकला में बने हैं, और कला बहुत खूबसूरत लगती है।
Nakoda Ji मंदिर में संगमरमर की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है और मूर्तियाँ भी बहुत अच्छी बनायी गयीं हैं। मैंने सुना है कि मंदिर की नींव से लेकर ऊँचा निर्माण तक का इतिहास 1500-1700 के बीच कई चरणों में बना, इस कारण मैंने देखा आज मंदिर काफी देखने लायक है।
3. नाकोड़ा मंदिर के आध्यात्मिक ऊर्जा का चमत्कार
मेरे लिए Nakoda Ji मंदिर की सबसे बड़ी खासियत इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा और चमत्कार हैं। कहा गया है कि जब मैं भैरव देव की पूजा करता हूँ, तो मेरे रोग-शोक दूर होते हैं, मुश्किलें आसान होती हैं और मेरी इच्छा पूरी होती हैं।
यहां हर दिन बहुत लोग आते हैं, और मैं भी जा कर भैरव देव के दर्शन करके आशीर्वाद पाता हूँ। मैंने देखा है कि Nakoda Ji मंदिर में पूजा और आरती बहुत होती है और दान में चढ़ावा बड़ी रकम होता है, जो मंदिर के समाजिक और धार्मिक महत्त्व को दिखाता है।
4. मंदिर के आसपास की पहाड़ियों और जंगलों का रहस्य
मैं मंदिर के आस-पास घूमता हूँ। वहाँ की पहाड़ियाँ और जंगल रहस्यमय लगते हैं। कहा गया है कि मंदिर के नीचे और उसके आस-पास कई गुप्त रास्ते और कमरे हैं, जिनमें छिपे शिलालेख और पुराने ग्रंथ मिलते हैं।
मैंने यहाँ कई तपस्वी और साधु को कई साल तपते हुए देखे हैं, और उनकी तपस्या की ताकत को भैरव देव के चमत्कारों से जोड़ा जाता है।nakodabhairav+1
5. नाकोड़ा भेरुनाथ मंदिर के धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता का रहस्य
मेरे अनुभव में Nakoda Ji भैरुनाथ मंदिर की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता बहुत है. इसके चमत्कार और रहस्य इसे खास तीर्थ बनाते हैं. जब भी मैं यहाँ आता हूँ, पूजा के साथ-साथ आध्यात्मिक अनुभव भी होता है और चमत्कार मिलते हैं.
मंदिर के विकास और संरक्षण में साध्वी प्रवर्तिनी श्री सुन्दरश्रीजी और आचार्य श्री हिमाचलसूरीजी का खास योगदान रहा है, जिन्होंने इसे फिर से ऊर्जा दी और दुनिया में इसकी पहचान कराई.nakodabhairav
इसलिए मेरे लिए Nakoda Ji भैरुनाथ मंदिर का इतिहास, आध्यात्मिक गूढ़ता, चमत्कारिक कहानियाँ और रहस्यमय घटनाएँ इसे राजस्थान और भारत के प्रमुख धार्मिक धरोहरों में से एक बनाते हैं.
6. नाकोड़ा मंदिर पर हुए हमलों और आक्रमणों का वर्णन
मैं ललित कुमार Nakoda Ji मंदिर की पवित्रता और इतिहास से बहुत परिचित हूँ। यह मंदिर राजस्थान के बूड़मेर जिले में स्थित एक प्राचीन और पवित्र जैन तीर्थस्थल है।
इसके इतिहास में कई बार आक्रमणों का ज़िक्र मिलता है, जिससे इस मंदिर की महत्ता और सुरक्षा की कहानी बनती है।
आक्रमणों का इतिहास:

13वीं शताब्दी का हमला: मैंने सुना Nakoda Ji जैन मंदिर की शुरुआत तीसरी शताब्दी में मानी जाती है, पर इसका सबसे प्रमुख हमला 13वीं शताब्दी में हुआ। इस समय अल-मशाह नाम के आक्रमणकारी ने मंदिर पर हमला किया।
हालांकि मंदिर लूटा गया, पर भगवान पार्श्वनाथ की नीली मूर्ति चोरी नहीं हुई। उसे पहले ही नाकोड़ा गाँव से थोड़ी दूर सुरक्षित स्थान पर छिपा दिया गया था।
मुगल कालीन आक्रमण: मेरे देखने पर मुगल काल में भी मंदिर नुकसान हुआ। साल 1443 में मुगल बादशाह बाबर ने Nakoda Ji और उसके आस-पास के क्षेत्र पर आक्रमण किया, जिससे वीरमपुर उजड़ गया।
मैंने सुना है, फिर भी मंदिर की मूर्तियाँ पास के तालाबों में सुरक्षित रखी गईं ताकि वे सुरक्षित रहें।
अविरत जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण: मैंने देखा आक्रमणों के बाद मंदिर बार-बार बदला गया और फिर से ठीक किया गया। 15वीं सदी में आचार्य विजय हिमाचलसूरीजी ने मंदिर में मूर्तियाँ फिर से स्थापित कीं।
इसके बाद 17वीं सदी के बाद के समय में साध्वी सुन्दरश्रीजी ने जीर्णोद्धार में बड़ी भूमिका निभाई, ताकि यह फिर से धार्मिक और सामाजिक केंद्र बन सके।
स्थानीय राजपूती और सामरिक घटनाएं: मेरे ढूंढने पर 17वीं और 18वीं सदी में भी Nakoda Ji मंदिर और उसके आस-पास लड़ाइयाँ और समाज में काफी बदलाव देखने को मिले, जिनमें स्थानीय राजपूतों की अहम भूमिका रही।
कुछ स्थानीय शासकों ने मंदिर की सुरक्षा की मदद की, जबकि कभी-कभी इन बदलावों से मंदिर की स्थिरता पर असर पड़ा।nakodatirth
मंदिर की संरक्षा रणनीतियाँ:
- मूर्तियाँ और धार्मिक चीजें सुरक्षित जगहों में छिपाई जाती थीं ताकि चोरी न हो।
- सुना है मंदिर के चारों तरफ कुछ गुप्त रास्ते और कमरे थे, जिन्हें शायद सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- मैंने देखा भक्त और जैन साधु-संत मंदिर की रक्षा में मदद करते थे। और इसके संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
- Nakoda Ji मंदिर की तब भी मरम्मत और रखरखाव के काम चलते रहते थे ताकि यह धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत बना रहे।
सामूहीक और धार्मिक पुनरुद्धार:
मुझे मिली जानकारी में, मंदिर ने समय के साथ अपना धार्मिक और सामाजिक महत्व बनाए रखा। जहां मेरे देखने पर जयपुर और आस-पास के जैन समुदाय ने इसे फिर से जीवित करने में मदद की।
मेरे शोध के अनुसार 17वीं सदी के बाद यह मंदिर फिर से तीर्थयात्री और श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख केंद्र बन गया।
7. नाकोड़ा मंदिर के सभी प्रमुख स्थलों की सूची
Nakoda Ji जैन मंदिर सिर्फ धार्मिक महत्त्व के कारण नहीं जाना जाता है. बल्कि मैंने देखा इसके आस-पास कई प्रमुख धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थल भी हैं। ये जगहें तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
नाकोड़ा मंदिर और उसके आसपास के मुख्य स्थलों के बारे में मेरा अनुभव और जानकारी नीचे दी गई है:
1. श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ मंदिर
यह नाकोड़ा तीर्थ का मुख्य मंदिर है। यहाँ मैंने भगवान पार्श्वनाथ की लगभग 58 सेंटीमीटर ऊँची नीली मूर्ति को कमल वाली स्थिति में देखा। यह मंदिर जैन राजस्थानी वास्तुकला का एक सुंदर उदाहरण है, जिसमें संगमरमर और धौलपुरी पत्थर का अच्छा उपयोग है।
इसी परिसर में मैंने आदिनाथ और शांतिनाथ के मंदिर भी देखे, जो जैन धर्म के अन्य तीर्थंकरों के लिए बने हैं। इस मंदिर को हमारे जैन समुदाय के लिए बहुत पवित्र माना जाता है,
क्योंकि हर साल लाखों श्रद्धालु वहाँ पूजा, ध्यान और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं—और मैं भी उनमें से एक हूँ।nakodatirth
2. नाकोड़ा भैरव मंदिर (भैरुनाथ मंदिर)
यह मंदिर Nakoda Ji तीर्थ जगह पर है. इसका मुख्य देवता भैरवदेव हैं. यहाँ की पीले पत्थर की मूर्ति मुझे अच्छी लगी. भक्तों का मानना है कि भैरव के दर्शन से रोग दूर, संकट टलते और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. रोज़ बहुत से श्रद्धालु आते हैं और आराधना करते हैं.
मेरे लिए यह मंदिर तीर्थ का अहम हिस्सा है.
3. शांति नाथ और आदिनाथ के मंदिर
Nakoda Ji तीर्थ परिसर में शांति नाथ भगवान का मंदिर है, वे जैन धर्म के तीर्थंकरों में से एक हैं. यहाँ की मूर्तियाँ और निर्माण कला मुझे पसंद आईं. आदिनाथ का भी मंदिर है, जो तीर्थ क्षेत्र की धार्मिक विरासत को और गहरा करता है.
ये दोनों मंदिर मुख्य मंदिर के पास हैं और तीर्थ की महत्ता बढ़ाते हैं.
4. गौशाला और सेवा केंद्र
नाकोड़ा मंदिर के पास मैंने एक गौशाला देखा जहाँ गौ माता की सेवा होती है। जैन धर्म में गौशाला का महत्व मेरे लिए खास है। यह गौशाला मंदिर के बड़े कार्यक्रमों और जीवन के मूल्यों का हिस्सा है, जिसे मैं ने देखा।
मंदिर परिसर में मैंने भोजनालय, धर्मशालाएं और ज्ञानशाला भी देखी, जो तीर्थयात्रियों के लिए बहुत सुविधाजनक हैं और यहाँ धर्मशिक्षा, पढ़ाई और सेवा भी चलती है।
5. तीर्थ क्षेत्र के प्राकृतिक स्थल
Nakoda Ji मंदिर अरावली पहाड़ियों की गोद में लगभग 1500 फीट ऊँचाई पर है। मैंने आसपास की पहाड़ियों और घने जंगलों की सुंदरता बहुत पास से अनुभव की, जिससे तीर्थ के अनुभव और भी आध्यात्मिक हो गया।
मैने लोगों से सुना हैं कि यहाँ कई गुप्त रास्ते और पुरानी जगहें हैं, जिनका धार्मिक और इतिहास में बड़ा महत्त्व है। ये प्राकृतिक स्थल तीर्थ के अनुभव को और भी आध्यात्मिक और मानसिक रूप से गहरा कर देते हैं।
6. पुंडरीक स्वामी का मंदिर
मैंने वहां देखा तीर्थ स्थल में पुंडरीक स्वामी का 16वीं सदी का मंदिर है। इसे मैं नाकोड़ा तीर्थ क्षेत्र की पुरानी धार्मिक धरोहर मानता हूँ। यह मंदिर तीर्थ की संस्कृति और इतिहास को बढ़ाता है।
पुंडरीक स्वामी मंदिर, अन्य मंदिरों की तरह, मेरे जैसे श्रद्धालुओं के लिए पूजा के लायक है। क्या आप भी इसे देखना चाहेंगे.
7. चारभुजा मंदिर और शिव मंदिर
तीर्थ के निकट स्थित चारभुजा और शिव मंदिर भी हैं, जिनकी उम्र लगभग 500-600 वर्ष मानी जाती है। ये मंदिर पारंपरिक हिंदू धर्म से संबंधित हैं और तीर्थ क्षेत्र में धार्मिक एवं सांस्कृतिक विविधता का परिचायक हैं। ये मंदिर Nakoda Ji क्षेत्र के धार्मिक मेलजोल और सामुदायिक जीवन का अहम हिस्सा हैं।
8. नाकोड़ा बांध और तालाब
मुझे Nakoda Ji तीर्थ के पास चारभुजा और शिव मंदिर भी दिखा, जो लगभग 500-600 साल पुराना बताया गया। ये मंदिर हिंदू धर्म से जुड़े हैं और इन्हें मैं तीर्थ क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का संकेत मानता हूँ।
मुझे लगता है कि ये मंदिर नाकोड़ा क्षेत्र के धार्मिक मेल-जोल और सामुदायिक जीवन का अहम हिस्सा हैं।
9. जैन ज्ञानशाला
मुझे नाकोड़ा में जैन ज्ञानशाला मंदिर के परिसर में जैन ज्ञानशाला देखने को मिला, जो मेरे लिए खास जगह है। यहाँ मैं जैन धर्म का अध्ययन कर सकता हूँ, धार्मिक शिक्षा ले सकता हूँ और ग्रंथ पढ़ सकता हूँ।
ज्ञानशाला में मैं और दूसरे भक्त जैन दर्शन, धर्मशास्त्र और साधु-साध्वी की बातें सीखते हैं। यह ज्ञानशाला तीर्थ की आध्यात्मिक जिंदगी का आधार है और धार्मिक गतिविधियाँ चलती रहती हैं।
10. स्थानीय बाजार और पर्यटन स्थल
Nakoda Ji तीर्थ मंदिर के बाहर एक छोटा सा बाजार हैं, जहाँ मैं स्थानीय हस्तशिल्प, धार्मिक समान और खाने की चीजें खरीद सकता हूँ। यहाँ मुझे स्थानीय culture, ज़िन्दगी के तरीके और पारंपरिक कपड़े देखने को मिलते हैं।
लेकिन मैं मानता हूँ कि ये बाजार स्थानीय रोजगार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में अहम भूमिका निभाते हैं।
8. नाकोड़ा मंदिर में पर्यटकों के भ्रमण का अध्ययन

Nakoda Ji जैन मंदिर मेरे लिए एक खास जगह है। यहाँ मुझे पर्यटक और तीर्थयात्री दोनों तरह का अच्छा माहौल मिलता है। मैं यहाँ धार्मिक काम भी करता हूँ और घूमने का मजा भी लेता हूँ। मंदिर में मेरी सुविधा और आनंद के लिए कई व्यवस्थाएं हैं, जो यात्रा को आसान बनाती हैं।
मैंने देखा कि अक्टूबर से मार्च तक यात्रा करना सबसे अच्छा रहता है, क्योंकि तब मौसम अच्छा रहता है। गर्मी में अप्रैल से जून के महीने में तापमान बहुत अधिक हो जाता है—कभी-कभी 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है—जिससे आना-जाना मुश्किल हो सकता है।
1. दर्शन के समय और नि:शुल्क प्रवेश: यहाँ हर दिन सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक Nakoda Ji मंदिर खुला रहता है। मैं सुबह से रात तक दर्शन कर सकता हूँ। नाकोड़ा जैन मंदिर में प्रवेश के लिए कोई पैसा नहीं लगता, इसलिए श्रद्धालु आसानी से मंदिर दर्शन कर लेते हैं।hindi.holidayrider
2. मेरे रहने और खाने की सुविधा: मैंने मंदिर के अंदर धर्मशाला और अन्य जगहें देखी. जहाँ मैं रह सकता हूँ। मंदिर परिसर में भोजनशाला भी है, जहाँ सरल और पवित्र भोजन मिलता है। इस कारण मैं लोगों की चीज़ों पर ज़्यादा खर्च नहीं करता और अपना धार्मिक अनुभव बिना distra के ले सकता हूँ।
3. मेरी पहुँच और यात्रा की सुविधा: Nakoda Ji मंदिर सड़क से बालोतरा और जसोल से जुड़ा है. यहाँ से बास/टैक्सी सेवाएँ मिलती हैं. – नजदीकी रेलवे स्टेशन: बाड़मेर (बाड़मेर-जोधपुर रूट). – हवाई यात्रा: जोधपुर हवाई अड्डा जो मंदिर से लगभग 220 किमी दूर है. वहाँ से टैक्सी या बस से मंदिर पहुँचना आसान है।
4. तीर्थ परिसर में आधुनिक सुविधाएं: मंदिर में बिजली, पानी, टेलीफोन और सुरक्षा जैसी अच्छी सुविधाएँ हैं. – यात्रा आरामदायक बन जाती हैं. – यहाँ का प्रबंधन एक ट्रस्ट मंडल अच्छी तरह करता है, जो सभी सामाजिक और धार्मिक गतिविधियाँ smoothly चलाता है.
5. धार्मिक सांस्कृतिक अनुभव और मेलों का आयोजन: मैं Nakoda Ji मंदिर में पौष कृष्ण की दशमी पर भगवान पार्श्वनाथ के जन्मदिन के मौके पर बड़े तीन दिन का मेला देखकर हैरान रहा। देश-विदेश से बहुत लोग आते हैं।
मेले में मंदिर परिसर रंग-बिरंगी रोशनी से चमकता है और भक्तों का माहौल काफी शांत और श्रद्धामय होता है, जो मेरे लिए घूमने-फिरने का खास मौका बन जाता है।hindi.holidayrider+1
6. दर्शनीय स्थल और ज्ञानशाला: Nakoda Ji मंदिर परिसर में ज्ञानशाला है, जहां मैं जैन धर्म की शिक्षा और शास्त्र पढ़ सकता हूँ। यह आध्यात्मिक पढ़ाई मेरे तीर्थ के महत्व को और बढ़ा देती है और मुझे ज्ञान मिलता है।
साथ ही नाकोड़ा मंदिर के आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता, पहाड़ियाँ और गुप्त रास्ते भी मुझे बहुत पसंद आती हैं और यह जगह मेरे लिए एक सुंदर पर्यटन स्थल बन जाती है।
7. सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण: Nakoda Ji मंदिर परिसर की सुरक्षा ठीक है और यहां सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. मैं और बाकी पर्यटक और तीर्थयात्री मिलकर स्वच्छ, सुरक्षित और आध्यात्मिक माहौल में समय बिताते हैं.
इस वजह से नाकोड़ा मंदिर मेरे लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक अनुभवों का एक सुंदर मेल है. वहाँ साफ-सफाई, रहने-खाने की व्यवस्था, सुरक्षा और धार्मिक आयोजन मेरे भ्रमण को आसान और यादगार बनाते हैं.
यह तीर्थ मेरी आस्था का केंद्र है और राजस्थान व भारत के धार्मिक पर्यटन के लिए भी अहम जगह है.
8.1 नाकोड़ा मंदिर के पर्यटकों के लिए यात्रा मार्ग का विवरण
Nakoda Ji जैन मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में है. मैं यहाँ जाने के लिए आसान रास्ते चुन सकता हूँ।
1. हवाई मार्ग: सबसे पास वाला हवाई अड्डा जोधपुर है, जो Nakoda Ji मंदिर से करीब 220 किलोमीटर दूर है. जोधपुर हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई, जयपुर, उदयपुर आदि शहरों से जुड़ा है. हवाई अड्डे से मंदिर तक टैक्सी, बस या गाड़ी मिल जाती है. इसकी दूरी लगभग 4-5 घंटे है।
2. रेल मार्ग: अगर मैं रेल से आना चाहूँ, तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन बालोतरा है. यह जोधपुर-बाड़मेर लाइन पर है और मंदिर से लगभग 13 किलोमीटर दूर है. बालोतरा स्टेशन से टैक्सी, ऑटो या बस से मंदिर पहुँच सकते हैं. रेल यात्रा आरामदायक और सस्ती है।
3. सड़क मार्ग: सड़क मार्ग से Nakoda Ji मंदिर पहुँचना आसान है. बाड़मेर, बालोतरा और जसोल से पक्की सड़कें हैं. बालोतरा से जसोल होते हुए नाकोड़ा तक बस सेवाएं मिलती हैं. आप निजी गाड़ी, टैक्सी या कैब भी ले सकते हैं।
4. स्थानीय परिवहन और सुविधाएं: बालोतरा रेलवे स्टेशन और बाड़मेर बस स्टेशन से टैक्सी और ऑटो मिल जाते हैं, जिससे मंदिर पहुँचना आसान है. मंदिर परिसर में धर्मशाला, भोजनशाला, साफ-सफाई, बिजली, पानी और सुरक्षा जैसी अच्छी सुविधाएं हैं, ताकि मेरा प्रवास अच्छा हो।
5. यात्रा के लिए उपयुक्त समय: नाकोड़ा मंदिर की यात्रा के लिए उपयुक्त समय मेरे हिसाब से अक्टूबर से मार्च अच्छा समय है। उस समय मौसम ठंडा-ठंडा और सुहावना रहता है। गर्मियों (अप्रैल से जून) में बहुत गर्मी होती है, तापमान 45 डिग्री तक जा सकता है, इसलिए यात्रा मुश्किल हो सकती है।
Nakoda Ji मंदिर पहुँचने के कई तरीके हैं: हवाई, रेल और सड़क। हवाई मार्ग से जोधपुर हवाई अड्डा, रेल मार्ग से बालोतरा रेलवे स्टेशन, और सड़क से बाड़मेर, बालोतरा और जसोल से जरा-लगातार रास्ते मिलते हैं, जो मंदिर तक जाते हैं।
स्थानीय ट्रांसपोर्ट सुविधाएं आसान और भरोसेमंद हैं। मंदिर के अंदर रहने, खाने और सुरक्षा जैसी चीजें भी मिलती हैं, इसलिए तीर्थयात्रा आरामदायक रहती है। इस प्रकार, नाकोड़ा मंदिर की यात्रा मेरे लिए सरल और आरामदायक होती है,
और मैं इस पवित्र स्थल का दर्शन कर उसकी महत्ता को महसूस कर सकता हूँ।
9. नाकोड़ा मंदिर का निष्कर्ष क्या कहता है

राजस्थान के बाड़मेर जिले के Nakoda Ji जैन मंदिर गया था। यह एक पुराना और प्रमुख तीर्थ स्थल है। धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक तौर पर यह मेरे लिए बहुत अहम रहा। यह मंदिर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है।
और मैंने इसकी सुंदर राजस्थानी जैन वास्तुकला, बदसूरत नहीं—खीमती संगमरमर की मूर्तियाँ और नीली पार्श्वनाथ प्रतिमा को देखा तो मैं मंत्रमुग्ध हो गया। मंदिर के परिसर में भैरवदेव का भी एक बड़ा मंदिर है, जिसे मैं तीर्थ का संरक्षक मानता हूँ।
और इसके कई चमत्कारों में मेरी आस्था गहरी है। इतिहास के कई आक्रमणों के बावजूद मंदिर की सुरक्षा और संरक्षण लगातार होती रही, इसलिए यह पवित्र स्थल आज भी जीता है और सम्मानित है।
Nakoda Ji मंदिर में साधु- संत की तपस्या और ज्ञानशाला जैसी चीजें मुझे तीर्थ की आध्यात्मिकता का एहसास कराती हैं। प्राकृतिक सुंदरता और पास के पहाड़-वन इस तीर्थयात्रा को मेरे लिए एक पूर्ण अनुभव बनाते हैं।
मेरे जैसे पर्यटक और भक्तों के लिए मंदिर में ठहरने की जगह, भोजनशाला, और आसान यात्रा के रास्ते मौजूद हैं। इससे मेरी यात्रा आसान और मजेदार रही। नाकोड़़ा मंदिर जैन समुदाय के लिए ही नहीं।
बल्कि पूरी भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी मेरे लिए एक खास और पवित्र जगह है। यह Nakoda Ji मंदिर मेरे लिए आस्था, इतिहास, और कला का एक सुंदर मिलन है, और हर भक्त की ही तरह मेरे लिए भी आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र बना हुआ है।
10. नाकोड़ा मंदिर पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | FAQs
प्रश्न 1: Nakoda Ji जैन मंदिर कहाँ है?
उत्तर: नाकोड़ा जैन मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले के नाकोड़ा गांव में है।
प्रश्न 2: नाकोड़ा मंदिर कब बना था?
उत्तर: इसका निर्माण तीसरी शताब्दी के दौरान वीरसेन और नकोर्सन ने कराया था।
प्रश्न 3: नाकोड़ा मंदिर किस भगवान को समर्पित है?
उत्तर: यह मंदिर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है (23वें तीर्थंकर पट्टी के अनुसार)।
प्रश्न 4: मंदिर में कौन-सी देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं?
उत्तर: मंदिर में पार्श्वनाथ की नीली मूर्ति, भैरव, आदिनाथ और शांतिनाथ की मूर्तियाँ दिखती हैं।
प्रश्न 5: मंदिर का वास्तुशिल्प कैसा है?
उत्तर: मंदिर राजस्थानी जैन और राजपूती स्थापत्य शैली में है, उसमें संगमरमर और धौलपुरी पत्थर लगे हैं।
प्रश्न 6: मंदिर कब खुला रहता है?
उत्तर: Nakoda Ji मंदिर सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है।
प्रश्न 7: मंदिर में प्रवेश के लिए शुल्क है?
उत्तर: मेरे अनुभव के अनुसार प्रवेश निशुल्क है, कोई शुल्क नहीं लगता।
प्रश्न 8: मंदिर पर आक्रमण कब-कब हुआ?
उत्तर: 13वीं शताब्दी में अलमशाह ने आक्रमण किया था, मूर्तियाँ सुरक्षित रखी गई थीं। मुगल काल में भी नुकसान पहुँचा था।
प्रश्न 9: नाकोड़ा मंदिर के आस-पास कौन-कौन सी सुविधाएं मिलती हैं?
उत्तर: मैं गया तो धर्मशाला, भोजनशाला, ज्ञानशाला, सुरक्षा, बिजली और पानी की व्यवस्था देखी।
प्रश्न 10: नाकोड़ा मंदिर कैसे पहुँचा जा सकता है?
उत्तर: निकटतम रेलवे स्टेशन बालोतरा है (13 किमी), निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर है (लगभग 220 किमी). सड़क से भी अच्छे रास्ते हैं, जिन्हें मैंने अनुभव किया।
प्रश्न 11: नाकोड़ा मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
उत्तर: मेरे अनुसार अक्टूबर से मार्च यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है।
प्रश्न 12: नाकोड़ा मंदिर के प्रमुख त्योहार या मेले कब मनाए जाते हैं?
उत्तर: मैंने देखा पौष कृष्ण दशमी को भगवान पार्श्वनाथ के जन्मदिन पर तीन दिवसीय मेला होता है।
प्रश्न 13: मंदिर में भैरव देव का क्या महत्व है?
उत्तर: मैंने सुना कि भैरव देव रक्षा करने वाले देवता माने जाते हैं, उनके बारे में कई चमत्कारी कथाएं प्रचलित हैं।
प्रश्न 14: मंदिर परिसर में कौन-कौन से स्थल हैं?
उत्तर: मुख्य मंदिर, छोटे मंदिर, भैरव मंदिर, गौशाला, ज्ञानशाला और सेवा केंद्र हैं।
प्रश्न 15: क्या Nakoda Ji मंदिर में साधु-संत रहते हैं?
उत्तर: हाँ, जब मैं गया, तो तपस्वी, साधु-संत तपस्या और ध्यान करते मिले। वे मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ाते हैं।
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