history of chittorgarh fort in rajasthan जहां चित्तौड़गढ़ का यह दुर्ग है भारत का सबसे पुराना दुर्ग। जिसकी पहचान है राजपूतों के शौर्य, बलिदान ओर त्याग से।
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1 history of chittorgarh fort in rajasthan का परिचय

प्रिय दर्शकों आज में आपको बताऊंगा। history of chittorgarh fort in rajasthan के बारे में। उससे पहले में आपको बताऊंगा। चित्तौड़गढ़ किले के परिचय के बारे में। Chittorgarh Fort, जिसे चित्तौड़ का किला भी कहा जाता है. गढ़ों में भी सबसे बड़ा गढ़ चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढ़ैया। क्योंकि यह 13 किलोमीटर में फैला एक विशाल दुर्ग है। जो भारत ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा दुर्ग है। history of chittorgarh fort in rajasthan में हमें 113 मंदिर ओर 84 पानी के कुंड देखने को मिल जाएंगे।
दर्शकों राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित। चित्तौड़ का किला एक ऐतिहासिक किला है। जो मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास और शौर्य का प्रतीक है। चित्तौड़गढ़ किला 2013 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों ( world Heritage Sites ) में घोषित किया गया। क्योंकि दर्शकों यह भारत का सबसे बड़ा दुर्ग है। शुरूआत से ही history of chittorgarh fort in rajasthan में यह किला राजपूतों के आत्मसम्मान, शौर्य और बलिदान का प्रतीक रहा है। इसके अलावा मौर्य शासक चित्रागंद मौर्य के नाम पर ही। इस दुर्ग को चित्तौड़गढ़ दुर्ग कहा जाने लगा।
दर्शकों, जहां हम आपको बताएंगे। की किले के 7 द्वारों को पार करने के बाद ही। किले के मुख्य भाग तक पहुंचा जाता है। जिनमें पहला द्वार पाडल पोल दूसरा भैरव पॉल, तीसरा हनुमान पॉल, चौथा गणेश पोल, पांचवां लक्ष्मण पॉल, छटा जोली पोल, ओर सातवां राम पॉल, है। history of chittorgarh fort in rajasthan में मुख्य दरवाजा युद्ध के मैदान की तरफ रहा है। जिसे सूरज पॉल के नाम से जाना जाता हैं।
आखिर जैसे ही हम किले के राजमहल में प्रवेश करते हैं। तो हमें अस्त्र बाल देखने को मिलता है। जहां कभी राजाओं के घोड़े बन्दा करते थे। ठीक उसी के सामने हमें नंगाड़ खाना देखने को मिलता है। वही नंगाड़ खाने के दाहिनी तरफ सन बालकनी देखने को मिलती है। जहां history of chittorgarh fort in rajasthan में कभी सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती थी। इसके अलावा भी बहुत सी जगहें हमे देखने को मिल जाएगी। चित्तौड़गढ़ का किला भारतीय इतिहास में अमिट छाप छोड़ने वाला एक स्मारक है। तो दर्शकों जैसा कि मैने आपको बताया। चित्तौड़ किले के परिचय के बारे में। इसके बाद हम जानेंगे। इसके निर्माण ओर इसके वास्तुकला के बारे में।
2 चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण, वास्तुकला

तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। इसके निर्माण ओर इसके वास्तुकला के बारे में। तो यह किला भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण किलों में से एक रहा है। जो मेसा के पठार पर बना हुआ हैं। जो राजस्थान की अरावली की पहाड़ियों में शामिल हैं। यह दुर्ग लगभग 180 मीटर एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। और 700 एकड़ भूमि में इसका फैलाव है।
दर्शकों यह किला मेवाड़ राजवंश की राजधानी रहा। और यहाँ के शासकों ने 8वीं से 16वीं शताब्दी तक शासन किया। history of chittorgarh fort in rajasthan में, यह किला न केवल राजपूत योद्धाओं के पराक्रम का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और वास्तुकला का अद्भुत नमूना भी है। इस दुर्ग में सभी इमारतों को बनवाने के लिए। मूल पत्थर का इस्तेमाल किया गया था। जिनमें लाल बलुआ पत्थर ओर संगमरमर हमें देखने को मिलता है।
दर्शकों चित्तौड़गढ़ किले की स्थापना 7वीं शताब्दी में मौर्य शासक चित्रांगद मौर्य ने की थी। उसी समय से इस शहर का नाम चित्रकूट रखा गया। तथा मेवाड़ के प्राचीन सीखों मे से। कही कही चित्रकूट नाम हमे देखने को मिलता हैं। history of chittorgarh fort in rajasthan के 8वीं से 12वीं शताब्दी के बीच। इस दुर्ग पर गुहिल वंश के राजपूतों का शासन रहा। तथा उन्होंने इस किले की निर्माण प्रक्रिया में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। 13वीं शताब्दी में मेवाड़ के राजा रावल रतन सिंह ने। इसे ओर मजबूत किया।
14वीं शताब्दी में राणा हमीर सिंह ने। चित्तौड़गढ़ दुर्ग को मुगलों से अपने अधिकार में लिया। ओर इस दुर्ग का पुननिर्माण करवाया। इसके बाद, 1433 से 1468 के बीच। राणा कुम्भा के शासन काल में। कई महत्वपूर्ण इमारतों का निर्माण करवाया गया था। जिनमे कुम्भा महल, विजय स्तम्भ, ओर कई मंदिर शामिल है। दुर्ग के 7 द्वारों का निर्माण भी राणा कुम्भा ने ही करवाया था। 16वीं शताब्दी में राणा सांगा ने। इस दुर्ग को ओर भी अधिक शक्तिशाली बनाया। तो दर्शकों जैसा कि मैने आपको बताया। इसके निर्माण ओर इसके वास्तुकला के बारे में। अब में आपको बताऊंगा। इसके कुछ प्रमुख स्थलों के बारे में।
3 प्रमुख स्थल
चित्तौड़गढ़ किले में कई ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व की इमारतें हैं, जिनमें से प्रमुख स्थल ओर इमारतें निम्नलिखित हैं: यहां मैने चित्तौड़ के प्रमुख स्थलों का वर्णन किया है।
3.1 history of chittorgarh fort in rajasthan का विजय स्तंभ

तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। विजय स्तम्भ के बारे में। विजय स्तम्भ history of chittorgarh fort in rajasthan की प्रसिद्ध ईमारत है। महाराणा कुम्भा ने 1448 में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर विजय के उपलक्ष्य में इसे बनवाया था। 1448 से 1458 तक इसे बनवाने में लगभग 10 साल का समय लगा। इसे बनवाने में लगभग 90 लाख चांदी के सीखें लगे। जिसकी दिखावटी भगवान् शंकर के डमरू के समान है। जिसकी ऊंचाई 122 फिट की है। जिसके अंर्तगत 157 सीढ़ियां बनाई गई हैं।
यह 9 मंजिला स्तंभ राजपूत वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। जिसके अन्तर्गत हिन्दू देवी देवताओं की सुंदर मूर्तियां उकेरी गई हैं। ओर यह स्तंभ मेवाड़ की वीरता का प्रतीक हैं। history of chittorgarh fort in rajasthan के बाद, विजय स्तम्भ का इस्तमाल आज राजस्थान पुलिस के चिन्ह के रुप में किया जाता है। तो दर्शकों जैसा कि मैने आपको बताया। विजय स्तम्भ के बारे में। अब में आपको बताऊंगा कीर्ति स्तंभ के बारे में।
3.2 कीर्ति स्तंभ:
तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। history of chittorgarh fort in rajasthan में कीर्ति स्तम्भ के बारे में। दर्शकों कीर्ति स्तंभ history of chittorgarh fort in rajasthan कि प्रसिद्ध ईमारत हैं। यह 12वीं शताब्दी में जैन व्यापारी जीजा भगेरवाल ने बनवाया था। यह स्तंभ जैन धर्म के आदिनाथ तीर्थंकर को समर्पित है।
अपनी 7 मंजिल ओर 22 मीटर ( 75 फिट ) हाइट के साथ गर्व से स्थित हैं। जिसके चारों ओर सुक्ष्म नक्काशी की गई है। दर्शकों इस स्तम्भ में जैन धर्म की मूर्तियों, प्रतीकों कथा प्रसंगों को दर्शाया गया है। जो लाल बलुआ पत्थर ओर सफेद संगमरमर से निर्मित है। तो दर्शकों जैसा कि मैने आपको बताया। कीर्ति स्तंभ के बारे में। अब में आपको बताऊंगा। रानी पद्मिनी महल के बारे में।
3.3 रानी पद्मिनी महल:

तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। रानी पद्मिनी महल के बारे में। history of chittorgarh fort in rajasthan में, यह महल रानी पद्मिनी का निवास स्थान था। और झील के किनारे स्थित है। जो किले के दक्षिणी पश्चिमी तट में मौजूद है। इसका निर्माण 13वीं 14वीं शाताब्दी में किया गया था। यहीं से अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी की झलक देखी थी। तो दर्शकों जैसा कि मैने आपको बताया। रानी पद्मिनी महल के बारे में। अब में आपको बताऊंगा। कुम्भा महल के बारे में।
3.4 कुंभा महल:
तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। history of chittorgarh fort in rajasthan में कुम्भा महल के बारे में। महाराणा कुंभा का यह महल किले के अंदर का प्रमुख महल है। यह राजपूत वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। जिसका निर्माण महाराणा कुम्भा ने 15वीं शाताब्दी में करवाया था। इसी के निकट गुप्त सुरंग हमे देखने को मिलती है। जहां से रानी पद्मिनी ओर उनकी तमाम वीरांगना स्नान करने के लिए जाया करती थीं। तो दर्शकों जैसा कि मैने आपको बताया। कुम्भा महल के बारे में। अब में आपको बताऊंगा। राजा रतन सिंह महल के बारे में।
3.5 रतन सिंह महल:
तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। history of chittorgarh fort in rajasthan में रतन सिंह महल के बारे में। इस महल का निर्माण रावल रतन सिंह ने करवाया था। यह महल दुर्ग के भीतर स्थित प्रमुख इमारतों में से एक है। ओर इसका इस्तेमाल राजकीय दरबार ओर समारोह के लिए किया जाता था। दर्शकों यह महल सुंदर झील के पास स्थित हैं। जिससे इसकी चमक और भी अधिक बढ़ जाती है। तो दर्शकों जैसा कि मैने आपको बताया। रतन सिंह महल के बारे में। अब में आपको बताऊंगा। गौमुख कुंड और फतेह प्रकाश महल के बारे में।
3.6 गौमुख कुंड और फतेह प्रकाश महल:

तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। गौमुख कुंड और फतेह प्रकाश महल के बारे में। history of chittorgarh fort in rajasthan में गौमुख कुंड एक पवित्र जल स्रोत रहा है। जिसे गौमुख कुंड के नाम से जाना जाता हैं। गौमुख कुंड की जलधारा चट्टानों से बहकर कुंड में जाकर गिरती है। गौमुख कुंड जहां गाय के मुख जैसी संरचना स्थापित है। जहां सर्दी में गर्मी ओर गर्मी में सर्दी का पानी बहता है। हालांकि पानी का अंदाजा कोई नहीं लगा पाया है। आखिर यह पानी कहा से आता है। इसी स्थान पर रानी पद्मिनी ओर तमाम वीरांगना स्नान करने के लिए आया करती है। वर्तमान में इस स्थान पर रानी पद्मिनी की काल्पनिक तस्वीर देखने को मिलती है।
दर्शकों फतेह प्रकाश महल का निर्माण। महाराणा फतेह सिंह ( 1885–1930 ) द्वारा करवाया गया था। फतेह प्रकाश महल अब एक संग्रहालय है। जिसमें मेवाड़ रियासत की मूर्तियां, पेंटिंग्स, ऐतिहासिक अस्त्र·शस्त्र ओर अन्य वस्तुएं रखी गई हैं। तो दर्शकों जैसा कि मैंने आपको बताया। गौमुख कुंड और फतेह प्रकाश महल के बारे में। अब में आपको बताऊंगा। मीरा बाई मंदिर के बारे में।
3.7 मीरा बाई का मंदिर
तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। मीरा बाई मंदिर के बारे में। history of chittorgarh fort in rajasthan में। यह मंदिर प्रसिद्ध भक्त मीरा बाई से जुड़ा हुआ है। तथा यह भगवान् श्री कृष्ण की अनन्य उपासक थी। इस मंदिर का निर्माण महाराणा कुम्भा द्वारा 16वीं शताब्दी में करवाया गया था। यहां आज भी लोग मंदिर में दर्शन करने आते है। ओर संगीत का कार्यक्रम भी रखते हैं। तो दर्शकों जैसा कि मैंने आपको बताया। मीरा बाई के मंदिर के बारे में। अब में आपको बताऊंगा। काली माता के मंदिर के बारे में।
3.8 काली माता का मंदिर

तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। काली माता मंदिर के बारे में। history of chittorgarh fort in rajasthan का यह मंदिर प्राचीन माना जाता हैं। दर्शकों इस मंदिर का निर्माण 8 शताब्दी में। सूर्य मंदिर के रूप में करवाया गया था। लेकिन 14वीं शताब्दी में, इस मन्दिर को काली माता को समर्पित कर दिया गया। यह मंदिर मेवाड़ के राजाओं की कुल देवी का मंदिर भी माना जाता है। जहां वर्तमान समय में भी पूजा अर्चना की जाती हैं। तो दर्शकों जैसा कि मैंने आपको बताया। काली माता मंदिर के बारे में। ओर अब में आपको बताऊंगा। जौहर स्थल के बारे में।
3.9 जौहर स्थल
तो दर्शकों, अब में आपको बताऊंगा। जौहर स्थल के बारे में। यह वह स्थान ( जगह ) है। जहां history of chittorgarh fort in rajasthan में तीन बार जौहर हुआ। पहला जौहर 1303 ईस्वी में रानी पद्मिनी ओर अन्य राजपूत महिलाओं ने। अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण पर किया था। दूसरा जौहर 1535 ईस्वी में रानी कर्णावती और हजारों महिलाओं ने। गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के आक्रमण पर किया था।
दर्शकों तीसरा जौहर 1567 ईस्वी में जब अकबर ने चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर आक्रमण किया था। तब हजारों महिलाओं ने जौहर कर लिया था। इसके बाद हम जानेंगे। इसके युद्ध ओर इसके आक्रमणों के बारे में। तो दर्शकों जैसा कि मैंने आपको बताया। जौहर स्थल के बारे में। ओर अब में आपको बताऊंगा। युद्ध ओर आक्रमणों के बारे में।
4 युद्ध, आक्रमण

तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। युद्ध ओर आक्रमणों के बारे में। history of chittorgarh fort in rajasthan में चित्तौड़गढ़ किला तीन प्रमुख युद्धों और जौहर के लिए प्रसिद्ध रहा है, जो राजपूत इतिहास की अद्वितीय घटनाओं में से एक हैं:
राजा बप्पा रावल ने 738 ईस्वी में। मौर्यवंश के अंतिम शासक मानमोरी को हराकर यह किला अपने अधिकार में ले लिया था। 9वीं तथा 10वीं शाताब्दी में इस पर परमारो का अधिकार रहा।
4.1 आला उद्दीन खिलजी का आक्रमण (1303):
तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। आला उद्दीन खिलजी के आक्रमण के बारे में। history of chittorgarh fort in rajasthan में यह किला 1303 ईस्वी में। दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने राणा रतन सिंह पर आक्रमण करके जीता था। इस आक्रमण का मुख्य उद्देश्य चित्तौड़गढ़ की शक्ति को समाप्त करने। उसके संसाधनों पर कब्जा करना था।
दर्शकों इस आक्रमण का प्रमुख कारण रानी पद्मिनी (पद्मावती) की सुंदरता भी मानी जाती है। जहां अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मिनी की सुंदरता पर मोहित था। जिसके बाद उसने चित्तौड़ को घेर लिया। ओर दुर्ग पर चढ़ाई की और अंततः किला जीत लिया।
दर्शकों इस दौरान रानी पद्मिनी और अन्य महिलाओं ने सम्मान की रक्षा के लिए जौहर किया। वर्तमान में इस जगह को बगीचे के रूप में बदल दिया गया है। जहां साल में एक दिन मेवाड़ के तमाम राजपूत इकठ्ठा होते है। ओर रानी पद्मिनी ओर तमाम दासियों के लिए हवन की प्रक्रियाएं पूरी करते है। तो दर्शकों जैसा कि मैंने आपको बताया। अल्लाहु दिन खिलची के आक्रमण के बारे में। ओर अब में आपको बताऊंगा। बहादुर शाह के आक्रमण के बारे में।
4.2 बहादुर शाह का आक्रमण (1535):
तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। history of chittorgarh fort in rajasthan में बहादुर शाह के आक्रमण के बारे में। गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने 1535 में चित्तौड़ पर आक्रमण किया था। उस वक्त मेवाड़ के शासक विक्रमादित्य थे। लेकिन यह प्रभावी रूप से शासन नहीं कर पा रहे थे। इसी बीच उनके छोटे भाई उदय सिंह को बचाने। शासन प्रक्रिया संभालने की जिम्मेदारी रानी कर्णावती पर आ गई।
दर्शकों रानी कर्णावती ने अपने मेवाड़ राज्य की रक्षा करने के लिए। राजपूत सरदारों और हुमायूं को राखी भेजकर सहायता मांगी। युद्ध में जब यह स्पष्ट हो चुका था। की हार निश्चित है। तब रानी कर्णावती ने अन्य राजपूत महिलाओं के साथ जौहर कर लिया। ओर इस आक्रमण में हजारों सैनिक मारे गए। तो दर्शकों जैसा कि मैंने आपको बताया। बहादुर शाह के आक्रमण के बारे में। ओर अब में आपको बताऊंगा। अकबर के आक्रमण के बारे में।
4.3 अकबर का आक्रमण (1567):
तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। history of chittorgarh fort in rajasthan में अकबर के आक्रमण के बारे में। मुगल सम्राट अकबर पूरे भारत को अपने साम्राज्य में मिलाना चाहता था। उसने 1567 में चित्तौड़गढ़ पर हमला किया और इसे जीत लिया। इस वक्त मेवाड़ के शासक महाराणा उदय सिंह द्वितीय थे। लेकिन महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने रणनीतिक रूप से। युद्ध करने के बजाय। अपने बेटे महाराणा प्रताप को लेकर उदयपुर की ओर चले गए।
दर्शकों इसी बीच अकबर की सेना से। जयमल राठौड़ और कल्ला जी राठौड़ अंतिम सांस तक लड़ते रहे। जहां जयमल ने कल्ला जी के कंधों पर बैठकर युद्ध किया। इस दौरान किले के रक्षक और स्थानीय लोग वीरता से लड़े।
तीन जौहर (रानी पद्मिनी, रानी कर्णावती, और अकबर के समय की महिलाओं का जौहर) ने इसे अमर बना दिया। ओर अब हम जानेंगे इसके इतिहास के बारे में। तो दर्शकों जैसा कि मैंने आपको बताया। अकबर के आक्रमण के बारे में। ओर अब में आपको बताऊंगा। चित्तौड़गढ़ के इतिहास के बारे में।
5 चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास

तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। history of chittorgarh fort in rajasthan के इतिहास के बारे में। इसका इतिहास राजपूतों की वीरता, त्याग और बलिदान से भरा हुआ है। आइए इसका पूरा इतिहास जानते हैं:
दर्शकों शक्ति में महाराणा प्रताप, भक्ति में मीरा बाई, त्याग में दासी पन्ना धाई, बलिदान में रानी पद्मिनी जानी जाती हैं।
चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास रानी पद्मिनी के जौहर चित्तौड़गढ़ दुर्ग के स्वयं इतिहास से जुड़ा हुआ है। तो दर्शकों जैसा कि मैंने आपको बताया। चित्तौड़गढ़ के इतिहास के बारे में। ओर अब में आपको बताऊंगा। चित्तौड़गढ़ के भ्रमण के बारे में।
6 चित्तौड़गढ़ का भ्रमण

तो दर्शकों अब में आपको बताऊंगा। चित्तौड़गढ़ के भ्रमण के बारे में। history of chittorgarh fort in rajasthan की वास्तुकला, मूर्तिकला, और इतिहास पर्यटकों और इतिहासकारों को आकर्षित करती है। वर्तमान में किले की देखरेख भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग करता है।
दर्शकों चित्तौड़गढ़ दुर्ग एक विशाल दुर्ग है। इसीलिए यहां घूमने के लिए 5·6 घंटे जरूर बिताए। ओर किले की अधिक जानकारी हेतु। गाइड जरूर रखे।
चित्तौड़गढ़ घूमने का समय 9: 00 से 5: 00 के बीच हैं।
मोबाईल नंबर 0141 2822 2863
सड़क मार्ग:- चित्तौड़गढ़ राजस्थान के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। जयपुर ( 310 KM), उदयपुरा ( 112 KM ), ओर कोटा ( 180 KM ) है।
रेलवे मार्ग:- चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन प्रमुख रेलमार्गों से जुड़ा हुआ हैं। जयपुर उदयपुर, दिल्ली मुंबई से सीधी ट्रेन उपलब्ध है।
हवाई मार्ग:- सबसे नजदीकी हवाई अड्डा उदयपुर ( डबोक एयरपोर्ट ) है। जो लगभग 90 Km की दूरी पर स्थित हैं। तो दर्शकों जैसा कि मैंने आपको बताया। चित्तौड़गढ़ के भ्रमण के बारे में। ओर यह था। history of chittorgarh fort in rajasthan।
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