Achalgarh Fort: परिचय, स्थल, इमारतें, रहस्य, आक्रमण, भ्रमण

achalgarh fort

Achalgarh Fort का निर्माण सबसे पहले परमार वंश के राजाओं ने किया था. लेकिन आज इसकी पहचान स्थापत्य कला, कहानियां, इतिहास और भ्रमण से है. जाने इसका इतिहास.

Table of Contents ( I.W.D. )

1. अचलगढ़ किले का परिचय | Achalgarh Fort

Achalgarh Fort

1.1 भौगोलिक स्थिति

में इतिहास विशेषज्ञ डॉ. ललित कुमार, अपने 6 वर्षो से अधिक के परिणामस्वरूप. जब मैंने पहली बार 2024 के अंत में Achalgarh Fort की यात्रा की. जब मैंने पहली बार सुना, अचलगढ़ किला राजस्थान के सिरोही जिले में है. जिसे जानकर मुझे अच्छा लगा.

मुझे यह किला मशहूर हिल स्टेशन माउंट आबू से लगभग 11 किलोमीटर दूर उत्तर में दिखा, जो अरावली पहाड़ों की ऊँची चोटी पर स्थित एक पुराना किला है. मुझे यह जानकर बहुत अच्छा लगा. यह एक ऐसी जगह पर है. जहां चारों तरफ पत्थर और घने जंगल हैं,

इसलिए मैंने देखा इसकी सुरक्षा आसान रहती है. मेरे अलावा भी दूर-दूर से लोग Achalgarh Fort का सुंदर नज़ारा देखते हैं. मुझे यहां पहुंचने में कठिनाइयां हुई. लेकिन मेरे देखने पर रास्ते कड़े, कंटीले और पत्थर वाले दिखे. और बीच-बीच में घनी झाड़ियाँ भी मुझे देखने को मिली.

मैंने देखा किला समुद्र तल से लगभग 1,200 मीटर ऊँचा है, इसलिए आस-पास की घाटियाँ और पहाड़ बहुत सुंदर दिखते हैं. जहां घूमना मेरे लिए अच्छा अनुभव था. मुझे यहाँ पहुँचने के लिए छोटी और पत्थरली सड़कें मिली. मैंने 2024 में वहा जाकर देखा,

अचलगढ़ गाँव किले के पास है और दिलवाड़ा जैन मंदिर भी Achalgarh Fort के बहुत नज़दीक हैं। जिनके बारे में अक्सर मैंने सुना है।

1.2 ऐतिहासिक महत्व

स्थानीय गाइड ने मुझे बताया Achalgarh Fort का निर्माण पहले परमार वंश के राजाओं द्वारा किया गया था। लेकिन 1452 ई. में मेवाड़ के राजा महाराणा कुंभा ने इसका पुनर्निर्माण कर इसे बड़ा किया और इसे अचलगढ़ नाम दिया।

मैंने सुना महाराणा कुंभा स्थापत्य कला के माहिर थे और राजस्थान के सबसे अच्छे किलों के निर्माता माने जाते हैं। जिन्होंने कुंभलगढ़ दुर्ग जैसे बड़े किले बनवाए थे. लेकिन अचलगढ किला राजा की सुरक्षा के लिए बनाया गया था।

मैं Achalgarh Fort की ऊँची दीवारें, बड़े बुर्ज और मजबूत दरवाजे देखें. जो दुश्मनों से बचाते थे। मैंने किले के दो मुख्य दरवाज़े भी देखें: जो गणेश पोल और हनुमान पोल है। navbharattimes.indiatimes+4 मेने देखा इतिहास में यह किला युद्ध के समय खास जगह रहा है।

क्योंकि यहाँ सेना ठहरती थी। मेरे देखने पर यहाँ भारी सुरक्षा और पहाड़ी भूगोल की वजह से दुश्मन इसे जीत नहीं पाते थे। मैंने Achalgarh Fort के अंदर सभा मंडप और पूजा मंडप भी देखे. जो काफी महत्वपूर्ण थे.

स्थानीय गाइड ने मुझे बताया. सभा मंडप में राजा और दरबारी मिलते थे, जबकि पूजा मंडप में धार्मिक आयोजन होते थे। उनकी यह बात सुनकर मुझे बहुत अच्छी लगी. rajasthanone+2

1.3 वर्तमान स्थिति

मेरे गाइड ने मुझे बताया. आज Achalgarh Fort अपनी भव्य स्थापत्य कला, इतिहास और कहानियों के लिए जाना जाता है। लेकिन अभी किला आज गिरती हालत में है। मैंने भी देखा समय और देखभाल कम होने से ऊपरी दीवारें, बुर्ज और कई हिस्से टूट-फूट गए हैं।

कुछ हिस्से ही खुले हैं और कई जगहें जैसे गुम्बद और गुफाएं पर्यटकों के लिए बंद हैं। गाइड से मैंने सुना किला सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है, लेकिन में इस किले के सभी हिस्सों को नहीं देख सकता। लेकिन मैंने अपनी आंखों से देखा,

Achalgarh Fort के भीतर मंदाकिनी कुंड नाम का पवित्र जलाशय भी ठीक से नहीं है। क्योंकि उसकी जालियाँ धीरे-धीरे कमजोर हो रही हैं। इसके बावजूद किला आज पर्यटक केंद्र बना हुआ है खासकर मेरे जेसो के लिए. और हर साल लाखों लोगों को में यहां देखता हूं।

लेकिन में सोचता हूं, सरकार को फिर से इसे बनाने की योजना चाहिए ताकि क्षेत्र में पर्यटन बढ़े।aapkarajasthan मेने देखा आज इसकी हालत देखकर सरकार को संरक्षण और पुनरुद्धार की जरूरत है ताकि इसकी धरोहर अगली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहे।

साथ ही मैंने सोचा यह स्थल स्थानीय पर्यटन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और आध्यात्मिक यात्राओं के लिए भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। जिसका लाभ मैंने भी काफी उठाया.

1.4 सांस्कृतिक महत्त्व

मैं आपको बताता हूं. Achalgarh Fort राजस्थान की समृद्ध विरासत का एक अहम प्रतीक है. मैंने खुद देखा यहाँ की राजपूत स्थापत्य कला, सभा मंडप और बारीक नक्काशी वाले दरवाजे इसी क्षेत्र की संस्कृति की पहचान दिलाते हैं. जब मैं खुद किले के अंदर गया.

तो अचलेश्वर महादेव मंदिर दिखा. जो धार्मिक अवसरों और महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों के समय लोगों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र बनता है. मैंने खुद यहां भगवान शिव के पैर के अंगूठे और पांच धातुओं की नंदी मूर्ति की खास पूजा की. जो यहां खास तौर पर प्रसिद्ध है,

मुझे गाइड ने बताया यहां नंदी के रंग बदलने की मान्यता इसे अलग बनाती है. मैंने देखा यहां पर स्थित. मंदाकिनी झील को धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना गया है और यह लोककथाओं व क्षेत्रीय मान्यताओं का हिस्सा है.

Achalgarh Fort के आस-पास मैंने कई गुफाएं, मंदिर और पौराणिक जगहें देखी, जिसे देखकर मुझे लगा, यह स्थान सांस्कृतिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टियों से बहुत महत्वपूर्ण है.

2. अचलगढ़ किले की पौराणिक दंतकथाएं या लोककथाओं का उल्लेख

मुझे स्थानीय गाइड ने बताया। Achalgarh Fort से जुड़ी कई कहानिया है। जो इस जगह की संस्कृति और रहस्यमय आकर्षण को बढ़ाती हैं। मुझे बताया गया कि पहले इस किले के पास एक बड़ी खाई थी, जिसमें ऋषि वशिष्ठ की गायें गिरा करती थीं।

मैंने सुना इस समस्या को सुलझाने के लिए ऋषियों ने देवताओं से खाई को बंद करने की प्रार्थना की। लेकिन देवताओं ने खाई को उठाने के लिए नंदीवर्धन नामक एक सांप को भेजा। लेकिन सांप का अहंकार बढ़ा, जिससे पहाड़ हिलने लगे और लोग डर गए।

मुझे पता चला फिर भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पहाड़ को ठीक किया और सांप के अहंकार को तोड़ दिया। यहां के इतिहास में मैने सुना है। इस घटना से Achalgarh Fort की पौराणिक महत्ता सामने आती है, जिसे लोग आज भी श्रद्धा से याद करते हैं।jansatta जैसे मैंने खुद ने आज याद किया.

3. अचलगढ़ किले की प्रमुख इमारतें और वास्तुशिल्प का अध्ययन

Achalgarh Fort

3.1 वास्तुशिल्प विशेषताएँ

1. ठोस ग्रेनाइट निर्माण: मैंने देखा कि Achalgarh Fort की दीवारें और बुर्ज बड़े भूरे ग्रेनाइट पत्थर से बने हैं, जिससे वे बहुत मजबूत लगते हैं। यह किला ऊँचे पहाड़ के पास या दुर्गम जगह पर है, इसलिए सुरक्षा के लिहाज़ से ठीक-ठीक है।hindi.news18+2

2. प्रवेश द्वार: किले में प्रवेश करते समय मैंने पहले ‘हनुमान पोल’ नाम का द्वार देखा, जिसे दो बड़ी भूरे ग्रेनाइट मीनारें सजाती हैं। फिर मैं दूसरे द्वार ‘चंपा पोल’ को देख पाया, जिससे अंदर किले के मुख्य भाग में प्रवेश होता है।

3. बुर्ज और गुम्बद: मैंने Achalgarh Fort के चारों ओर बड़े-बड़े बुर्ज देखे, जो सुरक्षा और तोपखाने के लिए बनाए गए थे। कई हिस्सों में गुंबददार इमारतें और विशाल दीवारें थीं, जो किले की रक्षा की अहमियत को साफ़ दिखाती हैं।

3.2 प्रमुख इमारतें

1. सभा मंडप:- सभा मंडप वह जगह है जहाँ राजघरान के लोग मिलते थे. इसका काम और नक्काशी बहुत सुंदर थी; पत्थर के खंभे और सजावट से यह शानदार लगता था. दीवारों पर चित्र देखकर मुझे शिल्पकारों के मेहनत की पहचान समझ में आई।

2. पूजा मंडप:- यह जगह है जहाँ पूजा होती थी. यहाँ का ढांचा हिंदू मंदिर जैसा था, छत गोल जैसी दिखती थी और दीवारों पर धर्मिक चित्र और नक्काशी दिखती थी. मैंने देखा कि यहाँ देवताओं की पूजा और यज्ञ होते थे, जिससे किले की धार्मिक अहमियत बढ़ती थी. 

3. अचलेश्वर महादेव मंदिर:- Achalgarh Fort के भीतर मैं अचलेश्वर महादेव मंदिर गया, जो खास पूजा तरीके के लिए प्रसिद्ध है. यहाँ शिवलिंग के स्थान पर भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है. मंदिर परिसर में पांच धातुओं से बनी नंदी की मूर्ति भी दिखी,

जिसके रंग बदलने की मान्यता है. महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों पर यहाँ भक्त मांगते हैं. मंदिर की वास्तुकला सुंदर और घुमावदार लगी।

4. मंदाकिनी झील:- Achalgarh Fort के अंदर मैंने मंदाकिनी झील देखी, यह पवित्र जलाशय मानते हैं। जल में औषधीय गुण भी बताए जाते हैं। झील के चारों ओर की संरचनाएँ और सीढ़ियाँ पारंपरिक लगती हैं। किस्सों में सुना कि यह झील कभी घी से भरी रहती थी,

जिसे पूजा-यज्ञ में खास माना जाता था।

5. गुफाएं और खुफिया मार्ग: किले के अंदर कई गुफाएं हैं, जिनमें खजाना छिपा हो सकता है। ये गुफाएं पहाड़ियों के बीच कभी-कभी मिलती हैं और अंदर जाना मुश्किल होता है। गुफाओं के दरवाजे पर सुंदर सजावट और निशान दिखते हैं, जिन्हें लोग संकेत मानते हैं।

सुरक्षा के लिए किले की ऊँची दीवारें और बुर्ज बनाए गए थे। 

6. अन्य धार्मिक स्थल:- Achalgarh Fort के आस-पास कई जैन मंदिर भी दिखते हैं, जहां संगमरमर की नक्काशी और अच्छी स्थापत्य कला दिखती है। ये मंदिर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक वृद्धि का संकेत हैं।

7. स्थापत्य महत्व और रक्षा संरचना:- अचलगढ़ किले की ऊँची दीवारें, बुर्ज और बड़े द्वार इसे मजबूत बनाते हैं। किले के चारों ओर कई मजबूत टावर हैं, जिनमें तोपखाना और प्रहरी रहते थे। पहुँचना मुश्किल होता है, जिससे दुश्मनों से सुरक्षा होती है।

दीवारें और संगमरमर के खंभे स्थापत्य कला को सुंदर बनाते हैं।

4. अचलगढ़ दुर्ग के ऐतिहासिक स्थलों (जगहों) का वर्णन

यहां Achalgarh Fort में मैंने कई ऐतिहासिक स्थान और मंदिर देखे हैं, जो यहाँ की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को दिखाते हैं। 

Achalgarh Fort

1. अचलेश्वर महादेव मंदिर

Achalgarh Fort के अंदर मैंने अचलेश्वर महादेव मंदिर देखा, जो भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ एक खास बात यह है कि शिवलिंग के बजाय भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा होती है। मैंने यहाँ पांच धातुओं की नंदी की मूर्ति देखी, जो रंग बदलती है

और इस मंदिर को और भी खास बनाती है। महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों पर यहाँ बहुत लोग आते हैं। मंदिर की वास्तुकला राजपूत शैली की है और मुझे यह बहुत सुंदर लगी।

2. मंदाकिनी झील

मंदाकिनी झील Achalgarh Fort के बीचों-बीच है, यह पवित्र पानी का स्रोत माना जाता है। कहा जाता है कि कभी यहाँ घी जमा रहता था जिसे ऋषि-मुनि पूजा के लिए इस्तेमाल करते थे। झील का पानी औषधीय गुण बताय गया है और लोग इसे बहुत अहम मानते हैं।

मैंने देखा कि झील के चारों ओर सीढ़ियाँ हैं और पानी की सुरक्षा के लिए संरचनाएं बनी हैं। यह झील धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ पानी बचाने की भी मिसाल है।

3. सभा मंडप और पूजा मंडप

मैंने Achalgarh Fort में दो बड़े कमरे देखे: सभा मंडप और पूजा मंडप. सभा मंडप वह जगह है जहाँ राजा और दरबार मिलते थे और बड़े फैसले लेते थे. यहाँ दीवारों और खंभों पर राजपूती कला की सुंदर तस्वीरें दिखती थीं.

पूजा मंडप वह जगह है जहाँ पूजा और धर्म किए जाते थे; हर दिन यहाँ पूजा और यज्ञ होते थे. इन मंडपों से मुझे किले की धार्मिक और सामाजिक अहमियत समझ में आई.

4. गुफाएँ और खजाना

Achalgarh Fort की कई गुफाएं भी देखीं. कहा जाता है कि इन गुफाओं में राजकुमारों का खजाना छिपा रहता था. ये गुफाएं किले की सुरक्षा के लिए बनाई गई थीं ताकि दुश्मन न आ सकें. सुना है कि इन गुफाओं में खजाना और राजकीय दस्तावेज़ रखे जाते थे.

आज कई गुफाएँ बंद हैं और आम पर्यटकों के लिए अंदर जाना मना है, पर इन गुफाओं की कहानियाँ हमें और पर्यटकों को आकर्षित करती हैं.

5. राजा भरत और गुप्त किले

अचलगढ़ किले के पास, मंदाकिनी झील के किनारे, मैंने राजा भरत का जेल देखा। राजा भरत के बारे में मैंने पुराण और लोककथा में सुना है। पास में गोपीचंद गुफा है, जहाँ कहा जाता है कि गोपीचंद ने तपस्या की थी।

ये दोनों जगहें पुराने और धार्मिक हैं और मैंने महसूस किया कि ये किले की संस्कृति को और अच्छा बनाते हैं। 

6. जैन मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल

Achalgarh Fort के अंदर मैंने कई प्रसिद्ध जैन मंदिर देखे, जो लगभग 500 साल पुराने हैं। मंदिरों की सुंदर नक्काशी और ढाँचा मुझे बहुत पसंद आया। जैन मंदिरों में पुरानी मूर्तियाँ, संगमरमर की नक्काशीदार दीवारें और छतें थीं,

जो धार्मिक सहिष्णुता और अलग-अलग संस्कृतियों को दिखाती हैं। किले के अंदर मैंने और भी धर्मस्थल देखे, जो अलग-अलग धर्मों के इतिहास को बताते हैं।

5. अचलगढ़ फोर्ट पर हुए सभी आक्रमणों (हमलों) का उल्लेख

Achalgarh Fort

मैंने अचलगढ़ में इतिहास और सुरक्षा के कारण कई बार आक्रमण और युद्ध देखे हैं। मैंने देखा इसकी ऊँची दीवारें, बड़े बुर्ज और कठिन क्षेत्र दुश्मनों के हमलों को रोकते रहे हैं। यहाँ मैं अचलगढ़ किले के बड़े आक्रमणों और युद्धों के बारे में सरल भाषा में बता रहा हूँ।

1. प्रारंभिक आक्रमण और सुरक्षा का महत्व

मैंने देखा Achalgarh Fort की जगह मजबूत है, इस कारण इसे सुरक्षित गढ़ माना जाता है। फिर भी इस पर कई बार हमला हुआ। इतिहास में गुजरात के राजा मोहम्मद भिदा ने इस पर अपने सैनिक अभियान के समय आक्रमण किया,

पर इसकी सुरक्षा और महाराणा कुंभा की योजना के कारण वे हार गए। 

2. महाराणा कुंभा का हल और किले की मजबूती

मेरे ढूंढने पर 1452 ईस्वी में महाराणा कुंभा ने इसकी मरम्मत कर इसे Achalgarh Fort नाम दिया। उन्होंने इसकी दीवारें ऊँची और मजबूत बनाईं ताकि मुगलों और अन्य शत्रुओं की सेनाओं के हमलों से बच यह बच सके।

यही वजह है कि इसे घेराबंदी और हमलों का सामना कई बार करना पड़ा,

3. मुगल और अन्य शत्रुओं के हमले

मुगलों और कुछ छोटे राज्यों ने राजस्थान के किलों पर हमला किया। मैंने भी मुगल सेना और स्थानीय ताकतों के हमले देखे। राजपूत युद्ध-कला, ऊँची दीवारें, घना जंगल और पत्थर के रास्ते आक्रमणकारियों को रोकते रहे।

मेने Achalgarh Fort में देखा इसकी भीतर बनी गुफाएं और छिपे रास्ते भी इसकी सुरक्षा में मदद करते थे।

4. गुप्त गुफाएं और छिपा खजाना

मेने सुना है इसके अंदर कुछ गुप्त गुफाएं और सुरंगें थीं, जो इसकी सुरक्षा का खास तरीका थीं. इन गुफाओं में राजसी खजाना छिपा रहता था, और जब हमला होता, खजाना सुरक्षित जगह ले जाया जाता.

हालांकि मेरे देखने पर गुफाओं के कारण इसके ऊपर हमला करना मुश्किल हो जाता. गुफाओं के अंदर के निशान रास्ते बताते हैं. 

5. सामरिक दृढ़ता और आक्रमणों का निष्फल होना

मेरे तलाश करने पर, किले की ऊँचाई, बड़े बुर्ज, मजबूत दीवारें और आसपास की जमीन ने कई आक्रमण रोके. इसकी मजबूत सेना और युद्ध-कला ने इसे सुरक्षा दी। मेरे अध्ययन में इसकी वास्तुकला ने दुश्मनों के लिए भीतर आना मुश्किल बना दिया।

6. अचलगढ़ के अंतिम युद्ध

मैंने देखा इतिहास में इसके बारे में बड़े युद्ध की जानकारी कम है, पर यह साफ़ है कि 16वीं सदी के बाद Achalgarh Fort स्थानीय राजाओं और मुग़लों के संघर्षों के बीच रहा। कई बार यह क़ब्ज़े के लिए लड़ा गया, पर समय के साथ इसका महत्व घट गया।

7. किले का सामरिक और सांस्कृतिक महत्व

अचलगढ़ किले पर हमले सिर्फ़ लड़ाई के लिए नहीं थे, बल्कि इनके पीछे संस्कृति और धार्मिक हित भी जुड़े थे। मेरे देखने पर इसके भीतर अचलेश्वर महादेव मंदिर और मंदाकिनी झील जैसे पवित्र स्थानों की सुरक्षा ज़रूरी थी।

वही दूसरी ओर मैंने पाया क़िलाधिकारियों ने इन्हें बचाकर धार्मिक आस्था की रक्षा करने की कोशिश की, ताकि इसकी सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहे।

6. अचलगढ़ किले के रहस्य और चमत्कार

जब मैं Achalgarh Fort के बारे में सोचता हूँ, तो उसकी खास इमारत, इतिहास, रहस्य और चमत्कार मुझे बहुत आकर्षित करते हैं। यह किला राजस्थान की एक अलग पहचान बनाता है। इसकी गुफाएं, मंदिर और झीलें मेरे मन में कई रोचक कहानियाँ और लोक-विश्वास लाते हैं।

जो बड़े रहस्य और चमत्कार मुझे अनुभव हुए, वे यह हैं

Achalgarh Fort

अचलगढ़ किले के रहस्य मेरे सफर का सबसे दिलचस्प हिस्सा बने

  1. नंदी की रंग बदलती मूर्ति 
  2. औषधीय और घी से जुड़ी झील
  3. गुफाओं में छिपा खोया खजाना
  4. गोपीचंद की तपस्या और मां काली का दर्शन
  5. गुप्त मार्ग और लड़ाई के समय की शरणस्थल

1. नंदी की मूर्ति का रंग बदलना

जब मैं अचलेश्वर महादेव मंदिर पहुँचा, जो Achalgarh Fort के अंदर है, तब भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा देखकर अच्छा लगा। इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार बाहर लगी नंदी की मूर्ति है, जो पाँच धातुओं से बनी है और जिसका रंग दिन में तीन बार बदलता है—

ऐसा माना जाता है। यह चमत्कार आज भी मेरी और अन्य पर्यटकों की जिज्ञासा का कारण है।rajasthanone+2

2. मंदाकिनी झील का औषधीय जल और घी से भरे रहस्य

किले में मंदाकिनी झील है। कहा जाता है इस झील का जल औषधीय गुण रखता था और कभी-कभार घी से भरी रहती थी। लोग मानते हैं कि ऋषि-मुनि इसी झील से घी लाते थे। अभी भी इसकी कहानी और रहस्य मुझे और लोगों को आकर्षित करते हैं।hindi.news18+2

3. गुफाएं और छुपा हुआ खजाना

Achalgarh Fort की गुफाएँ बहुत रहस्यमय मानी जाती हैं। कई लोग कहते हैं कि इन गुफाओं में कभी राजाओं का गुप्त खजाना छुपा था। गुफाओं की दीवारों पर बने निशान और चित्र खजाने की दिशा बताते हैं। पर ये गुफाएँ आम लोगों के लिए नहीं खुलती,

फिर भी उनकी कहानियाँ मेरी जिज्ञासा बढ़ाती हैं।navbharattimes.indiatimes+2

4. महाराजा गोपीचंद की तपस्या और मां काली का दर्शन

मैं Achalgarh Fort की एक पुरानी गुफा में राजा गोपीचंद की तपस्या की कहानी सुनकर बहुत अच्छा लगा। कहा गया है कि उन्होंने वहाँ 12 साल तक कठिन तप किया, फिर मां काली ने उन्हें दर्शन दिए। आज भी उसी गुफा में मां काली की करीब 6.5 फीट ऊँची प्रतिमा चट्टान पर है।

नवरात्रि के समय यहाँ भक्तों की भीड़ आती है और मैं भी खींचे चली जाती हूँ।

5. अदृश्य मार्ग और युद्धकाल के रहस्य

किले में बनी गुफाएं और गुप्त सुरंगे न सिर्फ रहस्य हैं, बल्कि युद्ध के दौरान इन रास्तों से शिक्षा-खज़ाना और सैनिक सुरक्षित निकलते थे। आज भी माना जाता है कि ये मार्ग और गुफ़ाएँ पूरी तरह से खुले नहीं हैं, और कई हिस्से अब भी बंद हैं।rajasthanone+2

6. अन्य लोककथाएं, बंद हिस्से और गुम्बद

जब मैं Achalgarh Fort की हवेली के ऊपर बने गुम्बद और उसकी ऊंचाई देखती हूँ, तो लगता है कि यही वजह है कि किला हमेशा रहस्य बना रहता है। यहाँ के कई हिस्से आज भी आम लोगों के लिए नहीं खुले हैं; केवल गाइड से ही मैं उनके बारे में जान पाती हूँ।

7. अचलगढ़ दुर्ग में पर्यटकों के भ्रमण का अध्ययन

Achalgarh Fort

यह अचलगढ़ दुर्ग माउंट आबू क्षेत्र का पुराना और सुंदर किला है. मुझे यहाँ घूमना बहुत अच्छा लगता है क्योंकि यहाँ के नजारे, मंदिर और पुरानी कलाकारी एक साथ मिलते हैं. हर उम्र के लोग यहाँ आराम से घूम सकते हैं और यहाँ की सुविधाएं हमारी यात्रा आसान बनाती हैं.

1. भ्रमण का आनंद और दर्शनीय स्थल

जब मैं Achalgarh Fort के अंदर जाता हूँ, तो राजपूत कला, ऊँची दीवारें, बड़े बुर्ज, सभा कक्ष और पुराने दरवाज़े दिखते हैं. किले के अंदर मुझे खास जगहें मिलती हैं –

मैंने सोचा अचलेश्वर महादेव मंदिर, जैन मंदिर, मंदाकिनी झील, गुफाएं और पुराने मंडप. मंदिरों की पवित्रता, झील की शांति और गुफाओं की कहानियाँ मुझे रोमांचित करती हैं. यहाँ से अरावली पहाड़ों का दृश्य बहुत सुंदर लगता है,

अगर मुझे फोटोग्राफी पसंद हो, तो कैमरा लाना अच्छा रहता है.navbharattimes.indiatimes+1

2. सुविधाएं व व्यवस्थाएं

  • किला सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है (कुछ जगहों पर 5 या 7 बजे तक भी)। तो दिन भर घूमना मिल जाता है।
  • पहुँच बिल्कुल फ्री है, यानी टिकट नहीं लगता (बस तस्वीर लेने के लिए ₹10 लेने का नियम है)।traveltriangle+3
  • Achalgarh Fort के कुछ हिस्से खुले रहते हैं, लेकिन बहुत से गुम्बद, गुफाएँ और राजाओं के खजाने की जगहें बंद रहती हैं।
  • मुझे मंदिर दर्शन, ठंडा पानी और स्नान के अलावा खास सेवाएं नहीं मिलती। किले के आसपास होटल, लॉज, रिसॉर्ट और रेस्टोरेंट मिल जाते हैं, जहाँ शुद्ध शाकाहारी, राजस्थानी और पंजाबी भोजन मिलता है।
  • पार्किंग की जगह सीमित है, फिर भी मैं निजी वाहन, टैक्सी या ऑटो से किले तक आसानी से पहुँच सकता हूँ।
  • अगर पूरी जानकारी चाहिए, तो मैं गाइड भी ले सकता हूँ; जगह-जगह गाइड आसानी से मिल जाते हैं।

3. टिकट, शुल्क और यात्रा समय

  • टिकट, फीस और यात्रा समय किले में प्रवेश मेरे लिए मुफ्त है; मुझे पता है शायद कोई टिकट नहीं लगता है।
  • फोटो लेने के लिए मुझे ₹10 फीस देने होंगे।traveleva+1
  • मंदिरों में खास पूजा, त्योहार या आयोजनों के समय कोई अतिरिक्त फीस नहीं लगती।
  • Achalgarh Fort सालभर खुला रहता है, पर मेरी यात्रा visiting के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक ठंडा मौसम है, जब मौसम अच्छा होता है और भीड़ कम रहती है। 
  • कुछ त्योहारी दिनों (जैसे महाशिवरात्रि) में मंदिर में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। 

4. अनुभव व सुझाव

यह यात्रा इतिहास, संस्कृति, धर्म और प्रकृति को एक साथ महसूस करने जैसा है। शांत वातावरण, पुरानी दीवारें, गुफाओं की कहानियाँ, झील की पवित्रता और मंदिर की दिव्यता, सब मिलकर यात्रा को खास बना देते हैं। चाहे मैं बच्चा हूँ, बूढ़ा हूँ या जवान, मैं खुली हवा में घूम सकता हूँ।

फोटो खींचना, ध्यान और प्रकृति पसंद करने वाले लोग भी यहाँ आनंद लेते हैं।

5. खास सुझाव

  • मैं आरामदायक जूते पहनता हूँ, क्योंकि Achalgarh Fort के रास्ते पत्थर जैसे और उबड़-खाबड़ हैं।
  • मैं पानी, टोपी या छाता साथ रखता हूँ।
  • मैं सुबह या दोपहर में ही घूमने की कोशिश करता हूँ। 
  • मैं गाइड की मदद लेता हूँ ताकि मुझे छिपे तथ्य और रहस्य मिलें।

7.1 अचलगढ़ किले की यात्रा का मेरा अनुभव 

Achalgarh Fort

Achalgarh Fort राजस्थान के माउंट आबू के पास एक प्रसिद्ध जगह है. वहाँ पहुँचना मेरे लिए आसान था. वहाँ जाने के लिए कई रास्ते थे: हवाई, रेल और सड़क आदि विकल्प मौजूद हैं। यात्रा के दौरान मुझे कई सेवाएँ भी मिलीं।hindi.holidayrider+3

1. हवाई मार्ग

हवाई मार्ग सबसे निकट हवाई अड्डा उदयपुर (महाराणा प्रताप एयरपोर्ट) है, जो किले से लगभग 177 किलोमीटर दूर है. दिल्ली, मुंबई, जयपुर जैसी जगहों से उदयपुर के लिए उड़ानें मिलती हैं.

उदयपुर एयरपोर्ट से मैं टैक्सी या बस से माउंट आबू और फिर अचलगढ़ किले तक पहुंच सकता हूं. यह यात्रा लगभग 3–4 घंटे की है.tripinvites+1

2. रेल मार्ग

अगर मैं रेल से जाता, तो आबू रोड रेलवे स्टेशन सबसे करीबी विकल्प था, जो माउंट आबू से लगभग 28 किलोमीटर दूर है. आबू रोड स्टेशन दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर, मुंबई आदि शहरों से जुड़ा है.

वहाँ से मैं ऑटो, टैक्सी या बस लेकर माउंट आबू और फिर अचलगढ़ किले तक पहुँच सकता था. दूरी लगभग (11–13 किमी).

3. सड़क मार्ग

माउंट आबू राजस्थान के कई शहरों से सड़क से जुड़ा है। मुझे जयपुर, उदयपुर, अहमदाबाद, जोधपुर से बसें, टैक्सी और गाड़ी मिल सकती है। माउंट आबू से Achalgarh Fort की दूरी लगभग 11 किमी है, वहाँ मैं टैक्सी, ऑटो या गाड़ी से गया।

रास्ता पहाड़ी और घुमावदार है, इसलिए मैंने ध्यान से ड्राइव किया।

8. अचलगढ़ किले का निष्कर्ष क्या कहता है | Conclusion

Achalgarh Fort

मैं ललित कुमार जब 17 अक्टूबर 2024 को, मैं Achalgarh Fort की ओर जा रहा हूँ. यह किला राजस्थान के माउंट आबू क्षेत्र में है. मेरे लिए यह सिर्फ एक पुरानी जगह नहीं, बल्कि एक गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है.

किले की ऊँची दीवारें और मजबूत बुर्ज मुझे हमेशा पसंद आते हैं. मैंने सुना है कि इसका निर्माण मार्गन वंश के rulers ने शुरू किया था, पर 15वीं सदी में महाराणा कुंभा ने इसे फिर से बनाया और इसे मजबूत किया.

जैसे ही मैं Achalgarh Fort के अंदर प्रवेश करता हूँ, उसकी नक्काशीदार मंडप मुझे मंत्रमुग्ध कर देते हैं. किले के अंदर अचलेश्वर महादेव मंदिर है. शिव पूजा की एक खास परंपरा यहाँ है: मैं यहाँ नंदी की मूर्ति नहीं देखता, बल्कि भगवान शिव के चरणों की पूजा करता हूँ.

यह अनुभव मेरे लिए बहुत खास है. मैं मंदाकिनी झील के पास भी जाता हूँ, जिसका पवित्र पानी दवा जैसी कहानियों से भरा हुआ है. किले की हर दीवार, हर पत्थर में एक कहानी है, और मैं खुद को इस ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा महसूस करता हूँ।hindi.news18+3

Achalgarh Fort की गुफ़ाओं और खज़ानों के बारे में ढूंढ़ना मुझे अच्छा लगता है। और मैं फिर से यहाँ आया हूँ। ये गुफ़ाएं अब भी पर्यटकों के लिए आकर्षण हैं। यहाँ का कुछ हिस्सा ही खुला है, बाकी बंद है। महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों पर यहाँ का वातावरण और भी खास हो जाता है

और भीड़ आ जाती है। जब मैं इस किले के बारे में सोचता हूँ, तो मुझे पुरानी लड़ाइयों, सुरक्षा के तरीके और रहस्यमय कहानियाँ याद आती हैं। यह जगह राजस्थान की वीरता और आस्था की निशानी है, और यहाँ आकर मुझे हर बार नया अनुभव होता है।

आज Achalgarh Fort थोड़ा टूट-फूट गया है, पर इसकी विरासत और साहस अभी भी हमारी संस्कृति और पर्यटन में जीते हैं। यहाँ हर दीवार, हर गुफ़ा मुझे एक नई कहानी सुनाती है, और मैं उन कहानियों का हिस्सा बनना चाहता हूँ।

9. अचलगढ़ फोर्ट के अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | FAQ

यहाँ अचलगढ़ किले से संबंधित 15 महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर दिए गए हैं:

प्रश्न 1. अचलगढ़ किला किसने बनवाया था?

उत्तर: Achalgarh Fort शुरू में परमार राजाओं ने बनवाया था, लेकिन 1452 ईस्वी में महाराणा कुंभा ने इसे फिर से बनवाया। 

प्रश्न 2. अचलगढ़ किला कहाँ है? 

उत्तर: यह राजस्थान के सिरोही जिले में माउंट आबू के पास है।

प्रश्न 3. अचलगढ़ किले का इतिहास में क्या खास है?

उत्तर: यह किला राजपूत काल में सुरक्षा और धार्मिक स्थल के तौर पर महत्वपूर्ण था।

प्रश्न 4. किले के प्रमुख मंदिर का नाम क्या है? 

उत्तर: अचलेश्वर महादेव मंदिर।

प्रश्न 5. अचलेश्वर मंदिर में क्या खास है? 

उत्तर: यहाँ भगवान शिव के पैरों के अंगूठे की पूजा होती है। 

प्रश्न 6. Achalgarh Fort की बड़ी झील का नाम क्या है? 

उत्तर: मंदाकिनी झील। 

प्रश्न 7. किले की जगह कैसी है?

उत्तर: अरावली पर्वतमाला की ऊँची एक पहाड़ी पर स्थित है।

प्रश्न 8. अचलगढ़ किले का प्रवेश शुल्क कितना है?

उत्तर: सामान्य प्रवेश मुफ्त है।

प्रश्न 9. फोटोग्राफी पर कितना शुल्क लगता है?

उत्तर: फोटोग्राफी के लिए ₹10 शुल्क है।

प्रश्न 10. किला कब खुलता रहता है?

उत्तर: सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।

प्रश्न 11: किले के पास कौन-कौन सी सुविधाएं मिलती हैं?

उत्तर: पार्किंग, होटल, रेस्तरां, गाइड सेवाएं मिलती हैं।

प्रश्न 12: अचलगढ़ किले की मुख्य वास्तुकला शैली क्या है? 

उत्तर: राजपूत आकार-शैली। 

प्रश्न 13: किले में कौन-कौन से ऐतिहासिक स्थल हैं? 

उत्तर: Achalgarh Fort में सभा मंडप, पूजा मंडप, गुफाएं, मंदाकिनी झील, अचलेश्वर मंदिर।

प्रश्न 14: किले तक कैसे पहुंचा जा सकता है?

उत्तर: सड़क, रेल और हवाई मार्ग से माउंट आबू पहुँचकर टैक्सी से।

प्रश्न 15: अचलगढ़ किले के आसपास कौन-कौन सी प्रसिद्ध जगहें हैं?

उत्तर: माउंट आबू, दिलवाड़ा जैन मंदिर, नक्की झील।

Author: Lalit Kumar
नमस्कार प्रिय पाठकों, मैं ललित कुमार ( रवि ) हूँ। और मैं N.H.8 भीम, राजसमंद राजस्थान ( भारत ) के जीवंत परिदृश्य से आता हूँ।इस गतिशील डिजिटल स्पेस ( India Worlds Discovery ) प्लेटफार्म के अंतर्गत। में एक मालिक के तौर पर एक लेखक के रूप में कार्यरत हूँ। जिसने अपनी जीवनशैली में JNU और BHU से इतिहास का बड़ी गहनता से अध्ययन किया है। जिसमे लगभग 6 साल का अनुभव शामिल है। यही नहीं में भारतीय उपमहाद्वीप के राजवंशों, किलों, मंदिरों और सामाजिक आंदोलनों पर 500+ से अधिक अलग अलग मंचो पर लेख लिख चुका हु। वही ब्लॉगिंग में मेरी यात्रा ने न केवल मेरे लेखन कौशल को निखारा है। बल्कि मुझे एक बहुमुखी अनुभवी रचनाकार के रूप में बदल दिया है। धन्यवाद...

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