कैसे था सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय, केसे था व्यापार

आखिर कैसे था प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय. आखिर वह किस प्रकार से करते थे वह व्यवसाय यहां जाने सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो के व्यवसाय के बारे में.

1. सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय

आज हम बात करेंगे सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय. सिंधु घाटी सभ्यता, जिसे शायद सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक माना जाता है, लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व के बीच अपने पूरे पोशाक में थी। इसका मुख्य हिस्सा आज के पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ भूभागों में फैला हुआ था।

यहां प्रमुख नगर जैसे मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, राखीगढ़ी, कालीबंगन, लोथल और धोलावीरा शामिल थे। इस सभ्यता की एक खासियत थी कि इसके शहर बहुत सलीके से बने थे और यहां का आर्थिक ढांचा काफी मजबूत था।

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय और व्यापार बहुत महत्वपूर्ण थे, जो न केवल लोगों की रोजी-रोटी का साधन थे, बल्कि संस्कृति और समाज की उन्नति में भी मददगार थे। सिंधु घाटी के लोग कुशल व्यापारी और कारीगर थे, जिनका व्यवसायिक जीवन बहुत व्यवस्थित और दूरदर्शी था।

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय के विविध स्वरूपों में कृषि सबसे महत्वपूर्ण थी। सिंधु घाटी की धरती पर फसलें जैसे गेहूँ, जौ, कपास, तिल, बाजरा, मटर और खजूर की खेती होती थी। लोथल और धोलावीरा जैसे शहरों में उपजाऊ मिट्टी और नदियों की मदद से किसान खेती करते थे। उनकी जल संचय प्रणाली और सिंचाई के आधुनिक तरीके भी उन्हें भरपूर फसलें देने में सहायता करते थे।

इससे सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय के लिए अधिशेष उत्पादन मिलता था, जिससे वो अपने आसपास के क्षेत्रों के लोगों के साथ वस्त्र की अदला-बदली कर सकते थे। कपास की फसल और उससे बने कपड़े इस सभ्यता की पहचान बन गए थे। कपास से धागा बनाने और वस्त्र बुनने का काम यहां के उद्योगों में शामिल था।

कृषि के अलावा पशुपालन को भी सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय के रूप में अपनाया गया था। बैल, भैंस, भेड़, बकरी और ऊंट का पालन किया जाता था, जो न केवल दैनिक जीवन में मदद करता था, बल्कि कृषि कार्यों में भी सहायक होता था। इन जानवरों से मिलने वाले दूध, चमड़ा, ऊन और हड्डियों का इस्तेमाल घरेलू जरुरतों के साथ-साथ व्यापार में भी किया जाता था। इसके साथ ही, मछली पकड़ने का व्यवसाय भी खासा प्रचलित था, खासकर उन क्षेत्रों में जो नदियों या समुद्र के करीब थे, जैसे लोथल।

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय में कुटीर उद्योग और हस्तशिल्प कला भी बहुत विकसित थी। यहां के लोग मिट्टी, पत्थर, धातु, हाथीदांत और गोमती चक्र जैसी सामग्रियों से आकर्षक वस्तुएं बनाते थे। इसमें मनके, खिलौने, मूर्तियाँ, बर्तन और सजावटी सामान शामिल थे।

विशेष रूप से टेराकोटा की वस्तुएं बहुत लोकप्रिय थीं। ये हस्तशिल्प वस्तुएं ना सिर्फ स्थानीय बाजारों में बेची जाती थीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी निर्यात की जाती थीं। मनके बनाना, जो अर्द्ध कीमती पत्थरों से किया जाता था, यहाँ का एक खास उद्योग था। हड़प्पा और चन्हुदड़ो में मिलने वाले मनका बनाने के केंद्र बताते हैं कि यह कार्य सुव्यवस्थित और संगठित था।

धातु कार्य भी यहाँ के व्यवसाय का एक खास पहलू था। यहां के लोगों ने तांबा, कांसा, सीसा, और टिन जैसी धातुओं के साथ काम करना सीखा हुआ था। वे इन धातुओं से औजार, हथियार, मूर्तियाँ और सजावटी वस्तुओं का निर्माण करते थे।

यहां की मशहूर मूर्ति, जो ब्रॉन्ज से बनी थी, यह दर्शाती है कि यहां के धातुकार बहुत कुशल थे। धातु के अलावा, पत्थर पर भी नक्काशी कर सुंदर मुहरें बनाई जाती थीं। इन मुहरों पर बने चित्र और लेखन व्यापारिक गतिविधियों में प्रयोग होते थे, जिससे यह प्रमाणित होता है कि व्यापार बहुत व्यवस्थित था।

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय की दृष्टि से, सिंधु घाटी के लोग काफी आगे थे। उन्होंने न केवल अपने भीतर व्यापार को सुगठित किया बल्कि बाहरी व्यापार में भी अपनी पहचान बनाई। अंदरूनी व्यापार में, नगरों और गांवों के बीच वस्तु विनिमय की एक सशक्त प्रणाली थी। नगरों में कारीगर अपने उत्पादों की अदला-बदली ग्रामीणों से अनाज, पशु या कच्चे माल के बदले में करते थे।

बाहरी व्यापार में, सिंधु घाटी के लोग मेसोपोटामिया, फारस, अफगानिस्तान और अन्य मध्य एशियाई क्षेत्रों के साथ व्यापार करते थे। खुदाई द्वारा मिली सिंधु घाटी की मुहरें इस बात का सबूत हैं कि इन सभ्यताओं के बीच व्यापार संबंध थे।

लोथल जैसे बंदरगाह नगर इस अंतरराष्ट्रीय व्यापार के असली केंद्र थे। यहां की गोदियों और ग्रेनरी ने यह साबित किया कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय में समुद्री व्यापार काफी सुव्यवस्थित तरीके से होता था। व्यापारी यात्रियों के लिए परिवहन प्रणाली भी विकसित थी। सड़कें और जलमार्ग दोनों का उपयोग किया जाता था। बैलगाड़ियों और नावों का इस्तेमाल सामान पहुँचाने के लिए किया जाता था। खुदाई में मिले नावों के मॉडल और घाटों से साबित होता है कि जल मार्ग व्यापार का एक अहम हिस्सा था।

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय में माप और तौल की अपनी एक खास प्रणाली थी। विभिन्न आकारों के बाट और मापने के उपकरण मिले हैं, जो यह दिखाते हैं कि लेन-देन को आसान बनाने के लिए मानकों को अपनाया गया था। सिंधु लिपि भी व्यापार में प्रयोग होती थी, चाहे वो व्यापारिक अभिलेख हों या पहचान पत्र। मुहरों पर बने चिन्ह और प्रतीक व्यापारिक सौदों की विश्वसनीयता बढ़ाने का काम करते थे।

महिलाओं की भूमिका भी व्यवसाय में महत्वपूर्ण थी, हालांकि उनके योगदान के बारे में प्रमाण सीमित हैं। कुछ हद तक, शिल्प कलाओं और वस्त्र बुनाई में उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता।

घरेलू उद्योगों में महिलाएं हिस्सा लेकर अपने परिवार को सहयोग करती थीं, जिससे उनका समाज में स्थान भी मजबूत होता था। यह दर्शाता है कि कारोबार केवल पुरुषों तक सीमित नहीं था; यह समाज के सभी वर्गों के साथ मिलकर चलाया जाता था।

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का व्यवसाय की व्यवस्था और संगठन ने इसे अन्य सभ्यताओं से अलग पहचान दी। उनकी नगरीय योजनाएं, जल प्रबंधन, लेखन प्रणाली और व्यापारिक संगठन ने साबित किया कि ये लोग सिर्फ किसान या कारीगर नहीं थे, बल्कि एक मजबूत आर्थिक समाज का हिस्सा थे।

यहां का व्यवसाय न केवल उनकी जीवनशैली का आधार था, बल्कि उनके सांस्कृतिक, सामाजिक, और राजनीतिक ढांचे को भी आकार देता था। इस तरह, यह कहना गलत नहीं होगा कि व्यापार ही वह तंत्र था जिसने सिंधु घाटी सभ्यता को वैश्विक तौर पर जोड़ा और उसे पुरातन समय की एक प्रमुख सभ्यता बना दिया।

इन्हें भी अवश्य पढ़े…

  1. भारत पाकिस्तान का बटवारा

अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया हो. तो इसे अपने दोस्तो के साथ. फेसबुक, वॉट्सएप, और इंस्टाग्राम आदि पर जरूर शेयर करे. हमारा कोरा स्पेस पेज.

Author

  • Lalit Kumar

    नमस्कार प्रिय पाठकों,मैं ललित कुमार ( रवि ) हूँ। और मैं N.H.8 भीम, राजसमंद राजस्थान ( भारत ) के जीवंत परिदृश्य से आता हूँ।इस गतिशील डिजिटल स्पेस ( India Worlds Discovery | History ) प्लेटफार्म के अंतर्गत। में एक लेखक के रूप में कार्यरत हूँ। जिसने अपनी जीवनशैली में इतिहास का बड़ी गहनता से अध्ययन किया है। जिसमे लगभग 6 साल का अनुभव शामिल है।वही ब्लॉगिंग में मेरी यात्रा ने न केवल मेरे लेखन कौशल को निखारा है। बल्कि मुझे एक बहुमुखी अनुभवी रचनाकार के रूप में बदल दिया है। धन्यवाद...

    View all posts

Leave a Comment