कैसे था कुलधरा के लोगो का व्यवसाय, क्या करते थे वह जीवन में

आखिर कैसे था कुलधरा के लोगो का व्यवसाय. और वह अपने दैनिक जीवन में क्या काम करते थे. यहां जाने कुलधरा गांव के लोगो व्यवसाय के बारे में.

1. कुलधरा के लोगो का व्यवसाय

कुलधरा के लोगो का व्यवसाय

आज हम बात करेंगे कुलधरा के लोगो का व्यवसाय के बारे में. कुलधरा गांव, जो कि जैसलमेर जिले में स्थित है, राजस्थान की एक दिलचस्प जगह है। यहां के खंडहर जैसे भवन और सुनसान गलियां अपने पीछे एक शानदार और संगठित अतीत की कहानी कहती हैं। इस गांव की स्थापना 13वीं सदी में पालीवाल ब्राह्मणों ने की थी, जो अपने ज्ञान और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए जाने जाते थे।

कुलधरा के लोगो का व्यवसाय समुदाय व्यापार, कृषि, जल प्रबंधन और नैतिकता में गहरी रुचि रखता था। कुलधरा की आर्थिक व्यवस्थाओं को समझना सिर्फ बाजार की गतिविधियों को देखना नहीं है, बल्कि उस समय के ग्रामीण समाज के सहयोग, संसाधनों के व्यावसायिक उपयोग और आपसी व्यापारिक संबंधों की गहरी जानकारी हासिल करना है।

कुलधरा के लोगो का व्यवसाय में कृषि का मूल आधार खेती है, लेकिन यह किसी साधारण तरीके से नहीं की जाती थी। पालीवाल ब्राह्मणों ने अपने खेतों के लिए उन्नत और वैज्ञानिक तरीके अपनाए, जो उस क्षेत्र की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बहुत महत्वपूर्ण थे।

यहां बारिश बेहद कम होती थी, लेकिन इन लोगों ने पानी को संचित करने और सिंचाई के लिए कई अनोखे तरीके निकाले। वो बारिश के पानी को तालाबों, कुंडों और नहरों में जमा करते थे और खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए झर्रों का निर्माण करते थे। यह प्रबंधन इतना बेहतर था कि आज भी इसे अध्ययन का विषय माना जाता है।

कुलधरा के लोगो का व्यवसाय

कुलधरा के लोगो का व्यवसाय में कृषि सिर्फ अपनी जरूरत के लिए नहीं की जाती थी, बल्कि यह स्थानीय और दूर-दराज के बाजारों में व्यापार का एक साधन भी थी। पालीवाल ब्राह्मण गेहूं, जौ, बाजरा और मूंगफली जैसी फसलें उगाते थे, जो न केवल उनके परिवार के लिए है बल्कि वे इसे बेचते भी थे। ये उपज बड़े शहरों जैसे जैसलमेर और जोधपुर में जाए जाती थी। इसके अलावा, ये लोग अनार और नींबू जैसे पेड़ भी लगाते थे, जिनका व्यापार में भी महत्व था। इस तरह की कृषि ने पालीवाल ब्राह्मणों को एक संतुलित व्यवसायिक प्रणाली बनाने में मदद की।

कुलधरा के लोगो का व्यवसाय के लोग सिर्फ खेती में ही नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी माहिर थे। कपड़े बनाना, आभूषण बनाना, मसाले बेचना और पशुधन पालन उनके व्यवसाय का हिस्सा थे। खासकर महिलाएं कढ़ाई और बुनाई में सक्रिय रूप से भाग लेती थीं, जिससे घरेलू उद्योग बढ़ता था। अब इस गांव के लोग ऊन और कपास से बने कपड़ों को पास के बाजारों में बेचते थे। इसके अलावा, महिलाएं अपने हाथों से घरेलू औषधियां और सौंदर्य प्रसाधन भी बनाती थीं।

कुलधरा की भौगोलिक स्थिति ने इसे कुलधरा के लोगो का व्यवसाय के लिए एक अद्भुत केंद्र बना दिया था। यह गांव जैसलमेर के करीब था, जो एशिया और पश्चिमी भारत के बीच व्यापार का एक मुख्य स्थान था। ऊंट का कारवां अक्सर यहां आता था, जो गुजरात और सिंध जैसे क्षेत्रों से सामान लाता था। इससे कुलधरा के लोग इन व्यापारिक मार्गों के माध्यम से दूर-दराज के व्यापारियों के साथ संपर्क में रहते थे। वो अपने उत्पादों को प्रमुख बाजारों तक पहुंचाते थे और वहां से अपनी जरूरत की चीजें लाते थे।

लेखा-जोखा रखने की भी एक पद्धति थी। पालीवाल ब्राह्मणों को गणित और ज्योतिष का अच्छा ज्ञान था, और वे अपने लेन-देन को बारीकी से लिखते थे। ये लोग समझते थे कि उनका सामाजिक और पारिवारिक प्रतिष्ठा उनके व्यापार पर भी निर्भर करती है। इसलिए उन्होंने हमेशा ईमानदारी और पारदर्शिता का पालन किया।

पालन-पोषण भी कुलधरा के लोगो का व्यवसाय का एक अहम हिस्सा था। यहां के लोग गाय, ऊंट, बकरियों और भेड़ों का पालन करते थे, जिससे वे दूध और ऊन प्राप्त करते थे। ये संसाधन न सिर्फ घरेलू जरूरत पूरी करते थे, बल्कि व्यापार में भी मदद करते थे। ऊंट का भी इस धंधे में बहुत अहम रोल था। कुलधरा के लोग ऊंटों की देखभाल के लिए विशेष परिवार बनाए गए थे, जो बाक‍ी लोगों को भी आवश्यक ज्ञान देते थे।

कुलधरा के लोगो का व्यवसाय

कुलधरा के हस्तशिल्प क्षेत्र में भी लोगों ने अपनी पहचान बनाई थी। कुलधरा के लोगो का व्यवसाय में मिट्टी के बर्तन, तांबे और कांसे की चीजें, कपड़े, और अन्य सजावटी वस्तुएं उनकी कारीगरी को दर्शाती थीं। विशेष अवसरों के लिए बनाए जाने वाले आभूषण व्यापार में महत्वपूर्ण थे। इस तरह की विविधता उनसे ये साबित करती है कि वे न केवल व्यवसायिक दृष्टि से बल्कि कलात्मकता में भी आगे थे।

ऋण प्रणाली भी कुलधरा के लोगो का व्यवसाय का एक हिस्सा थी, लेकिन यह एक संयमित और समाजिक सहिष्णुता पर आधारित थी। यदि कोई व्यक्ति ऋण लेना चाहता था, तो पंचायत की अनुमति लेना आवश्यक था। इसके लिए ब्याज की दरें सामान्यतः बहुत कम होती थीं। अगर किसी व्यापारी को नुकसान होता, तो पूरा समुदाय उसकी मदद करता था। यह एक प्रकार की स्थानीय सहकारी अर्थव्यवस्था थी, जहां सब एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते थे।

पेशेवर शिक्षा भी कुलधरा के लोगो का व्यवसाय का एक अहम हिस्सा थी। बच्चों को बचपन से ही लेखन और गणना सिखाई जाती थी। लड़कियों को भी घर के कामों में दक्ष बनाया जाता था, ताकि व्यवसाय का दायरा सिर्फ पुरुषों तक सीमित न रहे। ऐसे में, शिक्षा ने न केवल कारोबार में सुधार किया, बल्कि उनके विचारों को भी व्यापक किया।

कुलधरा में व्यवसाय का नैतिक पक्ष बहुत अहम था। यह सिर्फ पैसे कमाने का जरिया नहीं था, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और ईमानदारी से भी जुड़ा था। अगर कोई व्यापारी धोखाधड़ी करता, तो उसे समाज में दुःख-दर्द झेलना पड़ता। कुलधरा का ये व्यवसायिक जीवन एक सबक देता है कि कैसे पैसे कमाना और नैतिकता को संतुलित करके एक मजबूत समाज बनाया जा सकता है।

कुलधरा के लोग जो व्यवसाय करते थे, वो एक सांस्कृतिक और सामाजिक आधार पर आधारित था। यह सिर्फ उनकी जीविका का साधन नहीं था, बल्कि उनकी पहचान और स्वाभिमान का प्रतीक भी था। आज कुलधरा के खंडहर भले ही शांत हों, लेकिन उनका व्यापारिक अतीत उन दीवारों और गलियों में गूंजता है, जो कभी भारतीय ग्रामीण उद्यमिता का बेमिसाल उदाहरण था।

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  1.  कुलधरा के लोगो का जीवन

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  • Lalit Kumar

    नमस्कार प्रिय पाठकों,मैं ललित कुमार ( रवि ) हूँ। और मैं N.H.8 भीम, राजसमंद राजस्थान ( भारत ) के जीवंत परिदृश्य से आता हूँ।इस गतिशील डिजिटल स्पेस ( India Worlds Discovery | History ) प्लेटफार्म के अंतर्गत। में एक लेखक के रूप में कार्यरत हूँ। जिसने अपनी जीवनशैली में इतिहास का बड़ी गहनता से अध्ययन किया है। जिसमे लगभग 6 साल का अनुभव शामिल है।वही ब्लॉगिंग में मेरी यात्रा ने न केवल मेरे लेखन कौशल को निखारा है। बल्कि मुझे एक बहुमुखी अनुभवी रचनाकार के रूप में बदल दिया है। धन्यवाद...

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